मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) लॉकडाउन के बीच सरकार ने प्रवासियों के लिए जो छूट दी उसका गलत फायदा भी उठाया जा रहा। ताजा मामला नेपाल के 12 मदरसा छात्रों से जुड़ा है। वे फर्जी पता बताकर महाराष्ट्र से मधुबनी पहुंच गए। इसके पीछे उनकी सोच यह रही होगी कि यहां से नेपाल जाने में सुविधा होगी। मगर, नेपाल पुलिस के रोक दिए जाने के बाद इनका सच सामने आ गया है। फिलहाल सभी को खुटौना के क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है।
बताया जा रहा कि महाराष्ट्र के जिला नन्दुआर के अक्लकुआ स्थित मदरसा इस्लामियां इसातुल उलूम में पढ़ रहे 12 नेपाली छात्र श्रमिक स्पेशल ट्रेन से दरभंगा आए। बस से मधुबनी होते हुए गुरुवार को स्थानीय प्लस टू उच्च विद्यालय स्थित क्वारंटाइन केंद्र पर पहुंचे। यहां पंजीयन के बाद उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की गई। इसके बाद उनसे घोषणा पत्र लेकर उन्हें होम क्वारंटाइन में 21 दिनों तक रहने के निर्देश देकर उन्हें घर जाने को कहा गया। वास्तव में वे नेपाली नागरिक मगर, वे प्रखंड के निवासी नहीं थे। उन्होंने पहचान छिपाकर फर्जी पता लिखवा दिया था। वास्तव में वे नेपाली नागरिक थे।
क्वारंटाइन सेंटर से निकल वे आराम से सीमावर्ती लौकहा से पूरब लक्ष्मीपुर पहुंचे। वहां से सीमा पार कर नेपाली क्षेत्र के बेलही गांव में घुसने का प्रयास किया। सीमा के उस पार नेपाली क्षेत्र में तैनात नेपाल शस्त्र प्रहरी बल के अधिकारियों व जवानों में उन्हें प्रवेश करने की कतई इजाजत नही दी। छात्रों ने नेपाली नागरिकता के कागजात भी दिखाए। मगर, अधिकारी टस से मस नहीं हुए। थक हारकर सभी 12 छात्र भारतीय क्षेत्र में बन्दरभुल्ली चौक पर आ गए। कंधों पर बैग लटकाए अजनवी चेहरों को देखकर अलग बगल के लोग उनसे पूछताछ करने लगे। लोगों को जब पता चला कि वे महाराष्ट्र से आए हैं, जो भयंकर रूप से कोरोना संक्रमित राज्य है। लोग इन छात्रों से दूर रहने को कहने लगे। उनकी कहानी जानकर कुछ लोगो को दया आ गई। लोग उन्हें मझोड़ा के पंचायत सरकार भवन में ले गए। खाना खिलाया और वहां रहने का बंदोबस्त किया। खबर फैलते ही प्रशासन हरकत में आया। बीडीओ पंचायत सरकार भवन तक गए, उनके संबंध में जानकारी ली। बीडीओ ने बताया कि वे उन्हें दुबारा प्लस टू उच्च विद्यालय स्थित प्रखंड क्वारंटाइन सेंटर में भर्ती करने जा रहे हैं।
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