बिहार : चमकी बुखार का कहर आरम्भ, पिछले साल की ही तरह सरकार लापरवाह : माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 12 मई 2020

बिहार : चमकी बुखार का कहर आरम्भ, पिछले साल की ही तरह सरकार लापरवाह : माले

क्वारन्टीन सेंटरों की स्थिति बेहद खराब, कुव्यवस्था के कारण लोगों की हो रही मौत 
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पटना 11 मई, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि चमकी बुखार ने अपना कहर बरपाना आरम्भ कर दिया है, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार ने विगत साल 500 से अधिक बच्चों की हुई दर्दनाक मौतों के बाद भी कोई सबक नहीं सीखा और इस बार भी लापरवाही ही बरत रही है. अब तक 5 बच्चों की मौत हो चुकी है, और यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो पिछले साल की घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है. 5 बच्चों की मौत की खबर मुजफ्फरपुर की है, लेकिन पिछले साल चमकी बुखार का असर न केवल मुज़फ़्फ़रपुर बल्कि लगभग पूरे राज्य में देखा गया था. इसलिए, सरकार को मुज़फ़्फ़रपुर पर केंद्र करते हुए पूरे राज्य पर सोचना चाहिए. आगे कहा कि काफी आंदोलन के बाद मुजफ्फरपुर में बच्चों का 60 बेड वाला अस्पताल बन जाने की खबर है, लेकिन उसमें बच्चों के विशेषज्ञ की स्थाई बहाली अभी तक नहीं हुई है. इसकी बजाय सरकार यहां - वहां से जिस किसी डाक्टर को भेजना चाह रही है. इससे समस्या खत्म नहीं होगी.  बच्चे मर रहे हैं, लेकिन अभी तक अस्पताल शुरू तक नहीं हो सका है. यह लापरवाही नहीं तो और क्या है? अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर की व्यवस्था करना सरकार का पहला कार्यभार है. चमकी बुखार का बड़ा कारण गरीबी बताया जाता रहा है. लेकिन प्रभावित इलाकों में गरीबी उन्मूलन की भी किसी विशेष योजना की रिपोर्ट नहीं है. राज्य और जिला अस्पतालों में कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई है. सरकारी व्यवस्था को देखकर लगता है कि इस बार भी बड़ी संख्या में बच्चे मारे जाएंगे. हर बार रिसर्च की बात होती है, लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति की रिपोर्ट नहीं है.  इसलिए हमारी मांग है कि सरकार बिना किसी देरी के राज्यस्तरीय और मुजफ्फपुर सहित राज्य के सभी जिला स्तरीय अस्पतालों में आईसीयू की संख्या बढ़ाये, बेडों की संख्या बढ़ाए और प्रखंड से लेकर प्रथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को चमकी बुखार से लड़ने के लिए न्यूनतम सुविधाओं से लैस करे. गरीबों की टोलियों में सफाई पर विशेष ध्यान दे और प्रभावित इलाकों के बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन की गारंटी करे. गांवों तक जरूरी दवाइयों की भी पहुंच होनी चाहिए. साफ पानी आदि की व्यवस्था अविलंब करे.

बिहार में चल रहे क्वारन्टीन सेंटरों की हालत बेहद अमानवीय है और अब वहां से मौत की दुखद खबरें भी आ रही हैं. भाकपा-माले की जिला स्तरीय टीमों ने अपने - अपने जिला के केंद्रों का दौरा कर जो रिपोर्ट भेजी है, वह बेहद मार्मिक है. ऐसा लगता है कि कोरोना से पहले लोग भूख और अन्य त्रासदियों से मर जायेंगे. विगत दिनों जहानाबाद के रामलखन सिंह यादव कॉलेज में चल रहे क्वारन्टीन सेंटर का दौरा करने के बाद माले नेताओं ने पाया कि लोगों को भरपेट सामान्य भोजन भी नहीं मिल रहा है. बच्चों के लिए दूध और अन्य सुविधाएं की तो बात ही जाने दिया जाए. भोजपुर में विधायक सुदामा प्रसाद और कॉमरेड मनोज मंजिल भी ने कई केंद्रों का दौरा किया और व्यवस्था ठीक करने की अपील प्रशासन से की. सिवान में विधायक सत्यदेव राम और कटिहार में महबूब आलम भी लगातार सेंटरों का दौरा कर रहे हैं. कटिहार सेंटर से खराब व्यवस्था के कारण कई मजदूर भाग भी गए थे. रविवार को हुई तीन मौतें मधुबनी, औरंगाबाद और भागलपुर से जुड़ी हुई हैं. सुनने में आता है कि मुख्यमंत्री हर दिन सेंटरों की जानकारी लेते हैं. फिर इस तरह की लापरवाही क्यों बरती जा रही है? क्या मजदूरों को सरकार इंसान नहीं समझती? भाकपा-माले तमाम केंद्रों की स्थिति में तत्काल सुधार करने और न्यूनतम सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग करती है.

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