सोचिये अगर आपको ये पता लगे की अचानक अब कल से काम बंद होने वाला है.... अनगिनत प्रश्न मन में आने लगेंगे और ये स्वाभाविक क्रिया भी है l इस कोरोना के महामारी की वजह से सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाये जिसमें एक जगह पर जमा ना होना,सामाजिक दूरी बना कर रखना, एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी एवं सावधानी की जानकारी मुख्य थी l दृष्टि फाउंडेशन मुख्यतः भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्यतः महिलाओं के साथ काम करती है l वाराणसी, भागलपुर , कोरबा एवं आसाम के ग्रामीण क्षेत्रों में सिलाई से सम्बंधित महिलाओं से विचार-विमर्श करके ये निश्चय किया गया की चूँकि कोरोना तेजी से फ़ैल रहा है और इससे सम्बंधित ही कुछ बनाया जाय l समूह की महिलाओं ने कॉटन मास्क बनाना शुरू किया, इससे न केवल महिलाएं आत्मनिर्भर बनीं हैं वरन वह लॉकडाउन में भी काम करके खुद के साथ परिवार का भरण पोषण कर रहीं है। कोरोना लॉक डाउन में जहां जान के लाले पड़ने वाले थे वहां हिम्मत कर के महिलाओं ने अपने घरों पर सिलाई मशीन से मास्क बनाने में लग गयीं । इससे महिलाओं का लॉक डाउन का समय भी आसानी से गुजर रहा है। साथ ही घर बैठे रोजगार भी मिल रहा है। बिहार से कुछ लोगों ने दृष्टि से सम्पर्क किया और 5000 मास्क उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया, इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के कई सामाजिक संस्थाएं जो आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की सहायता कर रहे हैं उनलोगों ने भी मास्क बनाने के लिए अनुरोध किया l इन छोटे - छोटे ऑर्डर्स से इन महिलाओं को बेशक कम काम मिला है लेकिन यकीन मानिये इन ऑर्डर्स ने इस बुरे समय में इनके घर का चूल्हा जलाया है l यह हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि हम महिलाओं द्वारा बनाए गए इन उत्पादों को बढावा दें। इसके साथ ही यदि हम इनका सहयोग करेंगे तो इससे न केवल महिलाओं को बढावा मिलेगा वरन उनका उत्साह वर्धन भी होगा।
गुरुवार, 28 मई 2020
विशेष : मास्क निर्माण से रोजगार- COVID19
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