सट्टे का जनक रतन खत्री अलविदा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 12 मई 2020

सट्टे का जनक रतन खत्री अलविदा

अब सट्टा नेटवर्क कौन संभालेगा और अंकों के गणित का खेल कौन सा जादूगर चलाएगा 
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मुंबई, पूरे देश में सट्टा किंग के रूप में मशहूर मटका किंग रतन खत्री का शनिवार को मुंबई में निधन हो गया वह 88 वर्ष के थे बता दे कि रतन खत्री कई दिनों से बीमार चल रहे थे वह अपने परिवार के साथ मुंबई सेंट्रल की नवजीवन हाउसिंग सोसाइटी में रहते थे शनिवार को रतन खत्री ने दुनिया को अलविदा कह दिया इसकी खबर लगते ही देशभर में मटका और सट्टा कारोबार करने वालों में हलचल मच गई है रतन खत्री ने 1960 के दौर में कल्याण जी भगत के साथ मिलकर मटका कारोबार की शुरुआत की थी वरली मटका के नाम से शुरू हुए इस कारोबार में रतन खत्री मैनेजर थे लेकिन कुछ साल बाद ही 1964 में रतन खत्री ने कल्याण जी भगत से किनारा कर लिया और अपने धंधे को रतन मटका नाम से शुरुआत की देखते ही देखते रतन खत्री का  धंधा ऐसा चला कि लोग उसे मटका किंग के नाम से पुकारने लगे बीते कई दशकों से मटका खेलना कई लोगों की बुरी आदतों में शामिल है रतन खत्री के जाने के बाद सट्टा और मटका कारोबार पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं क्योंकि रतन खत्री एक ऐसा शख्स था जो अंकगणित की विद्या को अच्छी तरह समझता था खुल्ला अंक, जोड़ी, पत्ते ,क्राश पत्ती आदि सट्टे की श्रेणियां है जिस पर  पैसा लगाने से निम्न श्रेणी से उच्च श्रेणी तक ऊंचे दाम मिलते हैं एक रु का 9 रुपए 50 पैसे, एक रूपया के 90 रू , एक रू के 130 रू , और एक रुपए के 10,000 रू, आदि श्रेणियों में सट्टे के दांव लगाने पर रतन खत्री भुगतान करता था इसका नेटवर्क विदेश में फैला हुआ था बताया जाता है कि रतन खत्री और कल्याण जी भगत के बीच में अनबन होने के कारण देशभर में सट्टे की दो वर्लिया हो गई थी और देशभर में सट्टा रतन वर्ली और कल्याण वर्ली के नाम से खुलने लगा उसके बाद में रतन खत्री के देखा देख कल्याण सट्टा ,मिलन सट्टा, मधुर सट्टा के नाम से वर्लिया खुलने लगी याद रहे कि सट्टा मटका और लाटरी तीनों आंकड़ों का खेल है और आंकड़ों पर ही दांव लगाए जाते हैं अंग्रेजों के जमाने से ही यह खेल मुंबई में खेला जा रहा है बताया जाता है कि अंग्रेजों के दौर में न्यूयार्क कॉटन मार्केट के कारोबार खुलने और बंद होने पर पैसा लगाया जाता था जो हार जीत कहलाती थी जैसा की अभी शहर बाजार में भी हो रहा है रतन खत्री का जन्म एक सिंधी परिवार में हुआ था और 1947 में भारत पाक विभाजन के दौरान अपनी किशोर अवस्था में वह पाकिस्तान के कराची से मुंबई आया था मटका किंग के नाम से देशभर में प्रसिद्ध रतन खत्री ने मटका जो कि एक प्रकार का जुआ कहां जाता है को इजाद किया था जो भारत के सबसे बड़े सट्टेबाजी रैकेट में शामिल है रतन खत्री वह शख्स है जिसने देश भर में सट्टे का नेटवर्क स्थापित किया था जो दशकों से उसके नियंत्रण में रहा उसका कहना था कि सट्टा खुलने के बाद  गरीब के पास पैसे आ जाते हैं  और वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेता है  इसलिए  रतन खत्री कहां करता था कि  मैं  गरीबों का जीवन संवारने के लिए  मटका चलाता हूं अब उसके जाने के बाद सट्टा नेटवर्क कौन संभालेगा और अंकों के गणित का खेल कौन सा जादूगर चलाएगा ये मटका बाजार में चर्चाओं का विषय बना हुआ है

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