बिहार : अन्तर्राष्ट्रीय थैलीसीमिया दिवस पर जागरूकता एवं बचाव पर जोर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 9 मई 2020

बिहार : अन्तर्राष्ट्रीय थैलीसीमिया दिवस पर जागरूकता एवं बचाव पर जोर

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जमुई,08 मई। आमतौर पर सामान्य व्यक्ति के शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र करीब 120 दिनों की होती है, लेकिन थैलीसीमिया से पीड़ित रोगी के शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र घटकर मात्र लगभग 20 दिन तक ही रह जाती है। इसका सीधा असर व्यक्ति के हीमोग्लोबिन पर पड़ता है। जिसके कम होने पर व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है, और हर समय किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहने लगता है, इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में 6 महीने के बाद ही खून बनना बंद हो जाता है, और बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। यह उपाय महंगा होने के साथ रक्त की उपलब्धता पर भी निर्भर करता है जो हर समय संभव संभव नहीं है। इसके बाद भी थैलेसीमिया पीड़ित को अधिकतम 10 से 12 वर्ष जीवन होने की संभावना होती है। यह जानकारी अरविंद कुमार साहू ने दी है।

कैसे होता है यह रोग?
महिलाओं एवं पुरुष के शरीर में जीन की कमी से माइनर थैलीसीमिया हो सकता है। यदि दोनों जीन नहीं हो तो यह मेजर थैलीसीमिया भी बन सकता है। महिला व पुरुष में क्रोमोजोम में खराबी होने की वजह से उनके बच्चे के जन्म के 6 महीने बाद शरीर में खून बनना बंद हो जाता है और उसे बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है जो बहुत ही पीड़ादायक है।

थैलीसीमिया के हो सकते हैं गंभीर परिणाम...
थैलीसीमिया प्रभावित रोगी की अस्थि मज्जा बोन मैरो रक्त की कमी की पूर्ति करने की कोशिश में फैलने लगती है। जिससे सिर व चेहरे की हड्डियां मोटी और चैड़ी हो जाती है और ऊपर में ऊपर के दांत बाहर की ओर निकल जाते हैं। वही लीवर एवं प्लीहा आकार में काफी बड़े हो जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में इस रोग से लगभग डेढ़ से दो लाख पेशेंट ग्रस्त है एवं प्रतिवर्ष 10 से 12000 बच्चे इसमें और जुड़ते जाते हैं।

थैलीसीमिया का उपचार...
थैलेसीमिया का इलाज की गंभीरता पर निर्भर करता है। कई बार थैलीसीमिया से ग्रसित बच्चे को 1 महीने में दो से तीन बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है। बोनमैरो प्रत्यारोपण से इस रोग का इलाज सफलतापूर्वक संभव है लेकिन बोनमैरो का मिलान एक बेहद मुश्किल और जटिल प्रक्रिया है।इसके अलावा रक्ताताधान, बोनमैरो प्रत्यारोपण दवाएं और सप्लीमेंट्स, संभव है प्लीहा या पित्ताशय की थैली को हटाने के लिए सर्जरी करके भी इस गंभीर रोग का उपचार किया जा सकता है।

बचाव... विवाह से पूर्व होने वाले साथी का इसकी जांच।
गर्भधारण के पूर्व रक्त परीक्षण बताता है कि आप थैलीसीमिया संवाहक हैं या नहीं यदि माता-पिता दोनों ही संवाहक हो तो शिशु की 10 से 12 सप्ताह में जांच करके थैलीसीमिया से पीड़ित शिशु का जन्म रोका जा सकता है। विशेषज्ञों द्वारा यह जांच सुविधा देश के कई स्थानों में उपलब्ध है। रक्तदान कर इन पीड़ितों को चेहरे पर मुस्कान और जीवन देने वाले देवदूतों को हृदय से साधुवाद।

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