बेतिया. नयी दिल्ली से चलकर बिहार में टिड्डियों का प्रवेश हो गया है. रोहताश.सासाराम के बाद बगहा में चला आया है.एक खबर है कि पूर्वानुमान में पश्चिम चम्पारण के कृषि विभाग खरा उतरा है. उसने अपने पूर्वानुमान में ही संबंधित अधिकारियों को सचेत कर दिया गया था कि 27-28 जून को पश्चिम चम्पारण जिले में टिड्डियों के दल पहंुचेगा.उक्त निर्देश के आलोक में कृषि विभाग के अधिकारी एवं कर्मी पूरी तरह से मुस्तैद हो गए तथा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में सभी तरह के आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गयी.जिसके कारण कम नुकसान हो रहा है. टिड्डियों का दल पश्चिम चम्पारण जिले में देखा गया. जिला कृषि पदाधिकारी विजय प्रकाश ने बताया कि आज नरकटियागंज प्रखंड के चमुआ पंचायत में गन्ना के खेत में लगभग 500 टिड्डियों का दल पाया गया. परंतु वर्षा होने एवं ग्रामीणों द्वारा शोर मचाने के उपरांत टिड्डियों का दल पूर्व दिशा की ओर मनवा परसी पंचायत होते हुए गौनाहा प्रखंड की तरफ चला गया है. वहीं बगहा-01 प्रखंड के मझौआ एवं चन्द्राहा रूपवलिया पंचायत में देखा गया लेकिन वहां भी वर्षा होने के कारण नरकटियागंज प्रखंड के साठी पंचायत के बरव गांव में देखा गया. उन्होंने बताया कि टिड्डियों का दल नौतन प्रखंड के मंगलपुर एवं शिवराजपुर में देखा गया लेकिन यहां से ये मंगलपुर होते हुए पूर्व की दिशा में जाते देखे गये हैं जो पूर्वी चम्पारण जिला की ओर जाता है. वहीं मधुबनी, भितहां प्रखंड में ज्यादा संख्या में पाया गया है. सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण तथा अन्य अधिकारी कीटनाशक के साथ कैम्प किये हुए हैं. मधुबनी एवं भितहां प्रखंडों में फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी उपलब्ध करायी गयी है. आवश्यकतानुसार रात्रि में स्थिति को देखते हुए अग्रतर कार्रवाई की जायेगी. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि सभी प्रभावित होने वाले पंचायतों सहित संबंधित अधिकारियों को अलर्ट कर आवश्यक कार्रवाई करने हेतु कहा गया है. जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने कहा कि पूर्व में ही बिहार में भी इसके प्रवेश एवं प्रकोप की संभावनाओं से जिलेवासी को सतर्क कर दिया गया था. टिड्डी दल अपने मार्ग में आने वाले हरे पेड-पौधो, साग-सब्जियों एवं फसलों को खाकर भयंकर क्षति पहुंचाते हैं. इस टिड्डियों के संभावित प्रकोप से बचने के सभी उपाय ससमय कृषि विभाग द्वारा कर लिया गया है. जिलाधिकारी द्वारा कृषि निदेशालय से प्राप्त निदेशानुसार आम जनमानस को टिड्डियों के प्रकोप से बचाव के लिए सुझाव दिये गये हैं.
1. टिड्डी दल के प्रकोप की दशा में एक साथ इकट्ठा होकर ढोल, नगाड़ों, टीन के डिब्बों, थालियों आदि को बजाते हुए शोर मचायें.शोर से टिड्डी दल आसपास के खेतों में आक्रमण नहीं कर पायेंगे.
2. टिड्डी दल प्रायः सूर्य अस्त के समय किसी न किसी पेड़-पौधों पर सूर्य उदय होने तक आश्रय लेती है. इस समयावधि में अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है.
3. अनुशंसित कृषि रसायनों यथा क्लोरपायरीफास 50 प्रतिशत ई.सी., क्लोरपायरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. तथा फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी. का छिड़काव किया जा सकता है.
4. अनुशंसित रसायन के छिड़काव के लिए सबसे उपयुक्त समय रात्रि के 11.00 बजे से सूर्योदय तक होता है. अतः छिड़काव इसी अवधि के दौरान किया जाना लाभकारी होगा.
5. फसलों पर टिड्डियों का प्रकोप ज्योहि दिखाई पड़े तो त्वरित रूप से किसानों के द्वारा अपने फसलों पर निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है.(1) लैम्बडासायहेलोथ्रीन 5 ई.सी. की 1.0 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में या (2) क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. की 2.5 से 3.0 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में या (3) फिपरोनिल 5 ई.सी. की 1.0 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में या (4) डेल्टामेंथ्रीन 2.8 ई.सी. की 1.0 से 1.5 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है.
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