बिहार : कोरोना की बजाए सत्ता के बारे में सोचने के कारण भाजपा दफ्तर बना कोरोना सेंटर. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 14 जुलाई 2020

बिहार : कोरोना की बजाए सत्ता के बारे में सोचने के कारण भाजपा दफ्तर बना कोरोना सेंटर.

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पटना 14 जुलाई 2020, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने आज प्रेस बयान जारी करके कहा है कि भाजपा और जदयू कोरोना महामारी के इस भीषण दौर में अपने नागरिकों की जिंदगी की चिंता और संवेदनशील व जिम्मेदार रवैया अपनाने की बजाए बिहार चुनाव को वर्चुअल तरीके से हड़प लेने के ही काम में लगी हुई हैं. यही कारण है कि आज बिहार में कोरोना का महाविस्फोट हुआ है और राज्य की स्थिति लगातार बदतर होते जा रही है. हालत यहां तक पहुंच गई है कि आज भाजपा दफ्तर भी इस महाविस्फोट से नहीं बच सका. क्योंकि वहां हर दिन चुनावी टिकट के लिए लोगों की भीड़ लग रही थी और शारीरिक दूरी व सेनिटाइजेशन का कोई भी ख्याल नहीं रखा गया. यह बहुत दुखद है कि आज की तारीख में आम लोगों के साथ-साथ डाॅक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, राजनेता, पुलिस अधिकारी यानि समाज का हरेक तबका बुरी तरह कोरोना की चपेट में हैं और लोगों की दुखद मृत्यु की खबरें आ रही हैं. आईसीयू के अभाव में अब लोग फुटपाथ पर तड़प-तड़प कर मरने लगे हैं.  उन्होंने कहा कि सरकार को 6 महीना का वक्त मिला था, यदि वह कुर्सी की चिंता की बजाए अस्पतालों की व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर ध्यान देती, हर जिला अस्पतालों में व्यापक पैमाने पर आईसीयू की व्यवस्था की गई होती, तो आज स्थिति इतनी विकराल नहीं होती. सरकार कोरोना के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए फिर से लाॅकडाउन कर रही है, लेकिन यह कोई विकल्प नहीं है. लाॅकडाउन की सबसे ज्यादा मार गरीब-मजदूरों व कामकाजी हिस्से पर ही पड़ेगा. पिछले तीन महीने से जारी लाॅकडाउन के कारण वे पहले ही पूरी तरह से टूट गए हैं. फिर भी यदि सरकार लाॅकडाउन करती है तो सबसे पहले वह आयकर के दायरे के बाहर के सभी परिवारों को अगले 6 महीने तक 7500 रु. प्रति माह, प्रति व्यक्ति 10 किलो अनाज और उनके रोजी-रोजगार का प्रबंध करे. स्वयं सहायता समूहों ने जो कर्ज लिया है, उसको माफ किया जाए. माले राज्य सचिव ने यह भी कहा कि जो भी लोग कोरोना पाॅजिटिव हो चुके हैं, उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं.

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