केंद्र का मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भरता की बात करना पाखंड जैसा : दिल्ली हाईकोर्ट - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 29 अगस्त 2020

केंद्र का मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भरता की बात करना पाखंड जैसा : दिल्ली हाईकोर्ट

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पर पूछे सवाल.  

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा, यह काफी पीड़ादायक है कि एक तरफ सरकार (Government) ‘मेक इन इंडिया’ और 'आत्म-निर्भर' होने की बात करती है और दूसरी तरफ वह ऐसी निविदाएं जारी करती है जो छोटी इकाइयों को क्षेत्रीय हवाई अड्डों (Airports) पर ‘ग्राउंड हैंडलिंग परिचालन’ में शामिल होने से रोकती है. 
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नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने विभिन्न क्षेत्रीय हवाई अड्डों (Airports)पर ‘ग्राउंड हैंडलिंग’ सेवाएं प्रदान करने के लिए निविदाओं में हिस्सा लेने के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव की बृहस्पतिवार को आलोचना की और कहा कि स्थानीय उद्यमियों (Entrepreneurs) को बढ़ावा देने को लेकर केंद्र सरकार (Central Government) का रवैया ‘आडंबर वाला’ है.  उच्च न्यायालय ने राजनीतिक नेतृत्व की आलोचना की और कहा कि यह काफी पीड़ादायक है कि एक तरफ सरकार ‘मेक इन इंडिया’ और 'आत्म-निर्भर' होने की बात करती है और दूसरी तरफ वह ऐसी निविदाएं जारी करती है जो छोटी इकाइयों को क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर ‘ग्राउंड हैंडलिंग परिचालन’ में शामिल होने से रोकती है.  


न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा, यदि आप वास्तव में इन लोगों (छोटी इकाइयों) को बाहर करना चाहते हैं, तो ऐसा कहें. आप अपनी बातों में आडंबरपूर्ण रवैया नहीं अपनाएं. आपका राजनीतिक नेतृत्व ‘मेक इन इंडिया’ की बात करता है, वे आत्म-निर्भर भारत की बात करता है, वे स्थानीय उद्योग को प्रोत्साहित करने की बात करते हैं, लेकिन आपके कार्य आपके शब्दों से मेल नहीं खाते. आप पूरी तरह से आडंबरपूर्ण रवैया अपना रहे हैं.  पीठ ने केंद्र और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से कहा कि वह राजनीतिक नेतृत्व से बात करें कि यदि वे इस तरीके से आगे बढ़ना चाहते हैं तो वे ‘मेक इन इंडिया’ पर भाषण क्यों दे रहे हैं. पीठ ने पूछा, क्या उन्हें (राजनीतिक नेतृत्व को) ऐसा होने की जानकारी भी है. पीठ ने कहा, हम कह रहे हैं कि इस देश या उस देश से आयात बंद कर दो और दूसरी ओर हम अपने ही उद्यमियों की मदद नहीं कर रहे.उच्च न्यायालय ने 35 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक कारोबार और अनुसूचित एयरलाइनों के साथ काम करने के अनुभव जैसे निविदा पात्रता मानदंडों का उल्लेख करते हुए कहा, आप चाहते हैं कि बड़ी इकाइयां आएं और शायद चाहते हैं कि विदेशी टाई-अप हों.  

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