संस्कृत भाषा को जन भाषा बनाने का प्रयास कर रही है संस्कृत भारती... शर्मा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

संस्कृत भाषा को जन भाषा बनाने का प्रयास कर रही है संस्कृत भारती... शर्मा

  • - अतिथियों ने संस्कृत भाषा के महत्व व उपयोगिता से अवगत कराया।
  • -संस्कृत सप्ताह का हुआ समानप।
  • -गूगल मीट पर हुई बैठक।
google-meet-on-sanskrit
सीहोर। संस्कृत भारती द्वारा दिनांक 31 जुलाई से 6 अगस्त तक चले संस्कृत सप्ताह का समापन आॅनलाईन गूगलमीट पर किया गया। सीहोर जिला स्तरीय समापन समारोह में मुख्य अतिथि ज्योतिषाचार्य पं. गणेश शर्मा तथा मुख्य वक्ता डाॅ. नीरज शर्मा, ग्वालियर से उपस्थित रहें। कार्यक्रम कि अध्यक्षता डाॅ. ओमप्रकाश दुबे ने की व संस्कृत शिक्षिका श्रीमति दुर्गा सिंह ने माॅ सरस्वती की वंदना प्रस्तुुत कर कार्यक्रम की शुरूआत की कार्यक्रम का संचालन विष्णु प्रसाद परमार ने किया, भूमिका विषय निर्मलदास बैरागी ने रखा, समापन समारोह संयोजक पवन शर्मा तथा जिला सह संयोजक जितेन्द्र राठौर ने संस्कृत भारती द्वारा आयोजित संस्कृत सप्ताह के साप्ताहिक कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। धन्यवादार्पणम् पवन शर्मा ने व्यक्त किया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि पं. गणेश शर्मा ने कहा कि संस्कृत साहित्य में अपार ज्ञान का भण्डार है वर्तमान में उपेक्षित कठिन माने जाने वाली संस्कृत भाषा का पाढन अति आवश्यक है। संस्कृत को मुख्य अतिथि द्वारा प्रतिपादित किया। मुख्य वक्ता डाॅ. नीरज शर्मा ने संस्कृत भारती द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार व अध्ययन-अध्यापन की जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थिती में संस्कृत को जन भाषा बनाने की आवश्यकता है। उन्होने कहां कि हमारी सभ्यता संस्कृति का मूल संस्कृत भाष है। उसके ज्ञान के बिना भारत पुनः विश्व गुरू के पद पर प्रतिष्ठित नही हो सकता। कार्यकम के अध्यक्ष डाॅ ओम प्रकाश दुबे ने संस्कृत भारती के प्रयासों की सराहना करते हुऐं नवाचारों का उल्लेख किया और कहा कि संस्कृत भाषा बोलने वालेे को किसी भी प्रकार की गतिविधियां होती है। जो शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक क्षमता बढाने में सहायक है अन्य भाषाओं के कई उदाहरण् ब्ताते हुए संस्कृत की महत्ता अपने वक्तव्य में प्रकट की गई।

सप्ताह भर चले कार्यक्रम
संस्कृत भारती जिला सहसंयोजक जितेन्द्र राठौर ने समापन कार्यक्रम प्रतिवेदन में बताया कि प्रथम दिन प्रचार-प्रसार काा रहा, द्वितीय दिवस व्याख्यानमाला का विष्णु प्रसाद परमार द्वारा आॅनलाईन किया गया। तृतीय दिवस भारतीय बौद्धिक सम्पद् राकेश सिंह ठाकुर द्वारा सोशल एवं प्रिंट मीडिया के माध्यम से किया गया। चतुर्थ दिवस संस्कृत दिनाचरम् मनोज तिवारी, पंचम दिवस संस्कृ प्रतियोगिता ओम प्रकाश सेन इच्छावर, षष्टम् दिवस सम्भाषण प्रदर्शनम्। नाट्य प्रदर्शनम् ज्ञानप्रकाश मिश्रा एवं समापन पवन शर्मा आष्टा द्वारा सात दिवसीय कार्यकम जिले में संपादित करवायें गयें। जिसमें सभी विकासखण्ड केे लोग शामिल हुऐ।

कोई टिप्पणी नहीं: