रीतेश कुमार कहते हैं कि मेरी मां आवेदन दी थीं।प्रधानमंत्री आवास योजना से निर्मित मकान में रहने का सुख का सपना देखते-देखते मेरी मां दम तोड़ दी. अभी आवेदन देने के साढ़े तीन साल हो रहा है.....
चनपटिया,11 अगस्त । पश्चिम चम्पारण जिला में है चनपटिया नगर पंचायत। यहां के वार्ड नम्बर -01 में पड़ता है सामरिक टोला।वार्ड पार्षद कौन हैं उपदेश प्रसाद का। इस वार्ड नंबर 1 के वार्ड पार्षद उपदेश प्रसाद पर आरोप है,उन्होंने एक के बदले खुद के 5-5 इंदिरा आवास योजना से घर बनाकर पास में रख लिया। मालूम हो कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के द्वारा महत्वपूर्ण आवास योजना इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) शुरू की गई थी। यूपीए के सत्ता जाने के बाद एनडीए की सरकार आने पर इस (आईएवाई) को नया रूप दिया गया।साथ में इसका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) कर दिया गया। माननीय प्रधानमंत्री ने 20 नवम्बर, 2016 को आगरा में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण का शुभारंभ किया था। इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) की पुनर्संरचना करके पीएमएवाई-जी तैयार किया गया। 2022 तक ‘सबसे लिए आवास’ लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पीएमएवाई-जी के अंतर्गत 31 मार्च, 2019 तक एक करोड़ तथा 2022 तक 2.95 करोड़ पक्के आवासों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इनमें से 51 लाख घरों का निर्माण 31 मार्च, 2018 तक पूरा कर लिया गया। इस योजना के तहत सरकार का लक्ष्य 2019 तक एक करोड़ घर बनाने का था। इसके आलोक में वार्ड में वार्ड नम्बर-1 के झोपड़ीनुमा घर के ऊपर तिरपाल तान के गुजर करने वालों ने आवेदन किया। नगर पंचायत सरकार, चनपटिया कार्यालय के सामने सामरिक टोला के गौतम कुमार कहते हैं कि 2017 में ही आवेदन दिये हैं।उसी समय से परेशान हूं। केवल वार्ड पार्षद उपदेश प्रसाद कहा करते हैं कि धैर्य रखे और मुझ पर विश्वास करें। वे आवेदकों को दीर्घ भ्रमित कर रहे हैं। एक महिला ने कहा कि उसने भी 2017 में आवेदन दी हैं।यह सोचकर पांच हजार रूपये दी कि वार्ड पार्षद जल्दी से प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि दिलवा देंगे। मुझे 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना के मुताबिक चुना गया है। हमलोगों को (मैदानी इलाकों में रहने वालों ) को 1.20 लाख रूपये तो पहाड़ी इलाकों में रहने वालों को 1.30 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है।वह अनुदान सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में जाता है।जिसे पाने व देखन के लिए तीन साल से लालायित हूं।आगे कहती हैं कि जो मकान वाले हैं,उनको आसानी से प्रधानमंत्री आवास योजना से मकान बन जा रहा है, और जो वास्तव में जरूरतमंद हैं और झोपड़ीनसीब हैं,उनको कार्यालय से झोपड़ी तक मैराथन दौड़ लगाने को बाध्य होना पड़ रहा हैं। इसी तरह राजन कुमार नामक दिव्यांग हैं, जिनका बायां हाथ कट गया है। फिलवक्त ट्रेन पर मूंगफली और चना बेचकर गुजारा करते हैं। आवेदन दिए 2 साल हो गया है। आवेदन पास भी है। दिव्यांग कहते हैं कि कार्यालय से कागजात ही गायब है। फिर भी वार्ड पार्षद कहते हैं कि 4-5 माह रूक जाएं, राशि दिलवा देंगे। रीतेश कुमार कहते हैं कि मेरी मां आवेदन दी थीं।प्रधानमंत्री आवास योजना से निर्मित मकान में रहने का सुख का सपना देखते-देखते मेरी मां दम तोड़ दी. अभी आवेदन देने के साढ़े तीन साल हो रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता जितेश कुमार का कहना है कि यह कुकारनामा जनप्रतिनिघि का है जिन्होंने ₹25,000- 30000 की मांगी राशि वार्ड पार्षद को चढ़ावा चढ़ा दिये हैं वह गंगा नहा लिये,जो नहीं चढ़ा सकें वे सब नरक भोग रहे हैं। इसमें कार्यपालक अभियंता का भी हाथ है।
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