पटना। पूर्व मंत्री श्याम रजक की राजद में घर वापसी हो गया।अभी भी रामकृपाल यादव बीजेपी में हैं। पर जदयू को छोड़कर श्याम रजक राजद में आ गये हैं। दोनों की गिनती लालू प्रसाद के सबसे करीबी नेताओं में होती थी।हमेशा राजद में राम-श्याम की जोड़ी की चर्चा हर जगह होती थी, लेकिन श्याम रजक अचानक जद (यू) में चले गए। 2009 में जदयू में गये थे,11साल के बाद अब फिर बताया जा रहा है कि जद (यू) में रजक सहज नहीं महसूस कर रहे थे।पहली बार राजद के टिकट पर 1995 में विधायक बने थे।2015 में वे छठी बार विधायक बने। घर वापसी के बाद सोशल मीडिया फेसबुक पर श्याम रजक लाइव थे। 11 साल के बाद जदयू से हटकर घर वापसी करने पर श्याम रजक की आलोचना हो रही है। पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कहा कि दल बदलने पर कुछ जदयू के नेता फेसबुक पर अपशब्द लिख रहें है। उनसे यही कहना चाहते है की श्याम रजक जी को सत्ता सुख भोगने का लालच रहता तो मंत्री पद पर चिपके रहते, छोड़ते नहीं। पार्टी में अपनी लगातार उपेक्षाओं से बहुत आहत हो गये थें। अपने मान सम्मान को बचाने के लिये मज़बूरी में पार्टी छोड़ना पड़ा।पर जदयू के नेताओ से पूछना चाहते है कि पल्टूराम किसका नाम है?यह नाम उनका क्यों पड़ा ? मिट्टी में मिल जायेंगे पर भाजपा में नहीं जायेगे। यह किसने कहा था?
जब श्याम रजक जी जैसे लोग पार्टी छोड़ दें , तब तो कुछ सोचना बनता है। आपके लोग तर्क दे रहे की हमने उन्हें मंत्री बनाया ,राष्ट्रीय संगठन में महत्वपूर्ण ओहदा दिया।श्याम जी आपके मंत्री बनने के पहले कितने विभागों के मंत्री रह चुके हैं। कभी चंद्रशेखर के सबसे करीबी लोगों में शुमार श्याम रजक जी से जदयू में जो व्यवहार किया गया,सब लोग जानते। हकीकत यही है कि आपने श्याम रजक जी का इस्तेमाल कर पिछड़ों और दलितों में अपनी स्वीकार्यता बढ़ायी । केवल श्याम रजक जी ही नहीं , जदयू के कई सारे मंत्री घुटन के शिकार हैं । श्याम रजक ने कहा कि दशरथ मांझी को कुछ घंटों के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था। जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री का पद दिया और मुझको मंत्री बनाकर क्या उपकार किया?जबकि एसटी/एससी का समुचित कल्याण और विकास नहीं किया गया।उन्होंने कहा कि कल्याण विभाग और एससी-एसटी कल्याण विभाग में राशि खर्च ही नहीं हो पाती है। 9 माह में केवल 12 प्रतिशत और 3 माह में 61 प्रतिशत कर दिया जाता है। शेष लेप्स कर जाता है।तो इस तरह मुख्यमंत्री एसटी/एससी का विकास कर रहे हैं।
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