पटना,07 सितम्बर। एक तन्हा लड़की के साथ क्या कर रहे है कौन सा समाज बना रहे है? यह मीडिया के कारनामा के आलोक में रखकर पूछा रहा है। इसी को ही मॉब ब्लिंचिंग कहा जाता हैं।इसी को ही लड़की के साथ छेदछाड़ कहा जाता है।अभद्रता की पराकाष्ठा तो है।एक लड़की पर जुर्म अभी साबित भी नहीं हुआ है उसे दिन -रात मेंटली टॉर्चर कर रहे हैं। जुर्म और जालिम दोनो अपने हद पर है।फैसाला तो अदालत को करना है, नशाखोरी का अधूरा आरोप लगा रहे है, खुद ही अदालत, खुद ही जज, खुद ही सरकारी एजेंसियाँ बनकर बैठे हैं। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन( ऐपवा) की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी का कहना है कि सुशांत सिंह मामले में न्याय व्यवस्था को अपना काम करने दिया जाए। मीडिया हस्तक्षेप बंद हो।
आगे ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु से हर संवेदनशील व्यक्ति मर्माहत है और सुशांत व उसके परिवार को न्याय मिले यह हर बिहारवासी चाहेगा, लेकिन सुशांत सिंह की मृत्यु के लिए रिया चक्रवर्ती दोषी है या नहीं यह अदालत को तय करने दिया जाए।इस मामले में जिस तरीके से टीवी चैनलों में रिया की छवि पेश की जा रही है वह शर्मनाक है।कल जिस तरीके से रिया के साथ मीडिया कर्मियों ने धक्का मुक्की की, उसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्यवाई की जानी चाहिए।ऐपवा की ओर से मीडिया से भी हम अपील करना चाहते हैं कि कानून व्यवस्था को अपना काम करने दें।हम समाज के आमलोगों से भी अपील करते हैं कि वे इस बात को समझें कि देश में बढ़ रही बेरोजगारी , आर्थिक तंगहाली, बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार के प्रवासी मजदूरों,किसानों की बदहाली, बिहार में अपराधियों का बढ़ता मनोबल, महिलाओं पर बलात्कार,अत्याचार आदि मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस मुद्दे को इस्तेमाल करने की कोशिश हो रही है।
किसी महिला को अगर वह दोषी है तब भी अपनी बात कहने का मौका दिया जाना चाहिए और जांच एजेंसियों को निष्पक्ष तरीके से काम करना चाहिए। हम अदालत, राष्ट्रीय महिला आयोग, और न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी से भी अपील करते हैं कि मीडिया जिस तरह महिला विरोधी भाषा और सोच के साथ रिया के बारे में प्रसारण कर रही है उसे सख्ती से रोका जाए। सुशांत जिस प्रगतिशील विचार का होनहार नौजवान था शायद उसे भी यह पसंद नहीं होता कि बिना दोष सिद्ध हुए किसी महिला को सार्वजनिक रूप से इस तरह जलील किया जाए।इसलिए हम सुशांत के प्रति सम्मान रखने वाले हर व्यक्ति से अपील करते हैं कि वे मीडिया के इस रवैये के प्रति अपनी असहमति जताएं।
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