बिहार : वेतन भोगियों को मार्च 2020 से वेतन नहीं मिल रहा है : महामंत्री - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 9 सितंबर 2020

बिहार : वेतन भोगियों को मार्च 2020 से वेतन नहीं मिल रहा है : महामंत्री

वेतन पर सरकारी लॉकडाउन लगने पर स्वास्थ्यकर्मी  बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के नेताओं को फोन पर 'लाल सलाम' करके वेतन संबंधी जानकारी लेते हैं और केवल वेतन के बारे में बात पूछते हैं, किन्तु आंदोलन से बचना चाहते हैं. महामंत्री ने कहा कि वेतन के सवाल पर 24 अगस्त को जिलों मे प्रदर्शन हुए,जिसके लिए साथियों का अभिनंदन है....
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पटना. प्रत्येक दिन स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य सचिव लोकेश कुमार सिंह आकर मीडिया को नोवल कोरोना के बारे में बताते हैं. कि बिहार में 1667 नए कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई. मंगलवार को इसके साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,50,694 हो गयी. बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के एक शिष्टमंडल महामंत्री के नेतृत्व में  स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य सचिव लोकेश कुमार सिंह से मिला. स्वास्थ्य सचिव लोकेश कुमार सिंह से मिलकर शिष्टमंडल के नेतृत्वकर्ता महामंत्री ने कहा कि शीर्ष 2211 के वेतनभोगियों को मार्च 2020 से वेतन नहीं मिल रहा है.इस पर स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव लोकेश कुमार ने स्पष्ट तौर पर बताया कि केन्द्र से पैसा नहीं मिला है, और ना हीं केन्द्र पैसा दे रही है।यह कहकर केन्द्र सरकार की पौल खोल दी. बता दें कि बिहार  में भी परिवार कल्याण केंद्र प्रायोजित योजना संचालित है. इसमें केंद्रांश 60 प्रतिशत व राज्यांश 40 प्रतिशत राशि शीर्ष 2211 में डाला जाता है.तब जाकर कोरोना वॉरियर्स को वेतनादि मिलता है.पटना जिले के 23 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ हजारो वेतनभोगियों को मार्च माह से वेतन नहीं मिल रहा है.जो हाल वित्तीय वर्ष 2019-20 में था वही हाल 2020-21 में हो रहा है। बिहार सरकार के राज्यकर्मी बेहाल हैं। खासकर स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत ए.एन.एम..



स्वास्थ्य सचिव लोकेश कुमार सिंह ने शिष्टमंडल को बताया कि स्वास्थ्य विभाग को आकस्मिकता निधि से त्रृण लेना पड़ेगा , जिसकी संचिका मुख्यमंत्री के पास गयी है. संचिका वापस आने के बाद राशि मंत्री परिषद से पारित होगी, तब जाकर विभाग को प्राप्त होगी.इस प्रक्रिया में काफी समय लगने की सम्भावना है.समय सीमा के बारे में नहीं बताये. वेतन से महरूम ए.एन.एम.ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से नियमित सैलरी नहीं दी जा रही है.केवल परिवार कल्याण केंद्र प्रायोजित योजना में शामिल ए.एन.एम. ही बेहाल हैं. इन लोगों के समक्ष वेतन के अभाव में भूखमरी की नौबत आ गयी है.लॉकडाउन लगाने वाली सरकार के कारण कोरोना वॉरियर्स को कोना में बैठकर रोना आ रहा हैं.हर तबके के लोगों को खुश किया गया.जो फ्रंटियर कार्यकर्ता हैं उनको    निराश कर दिया गया. जाहिर है कि जिनके परिवार वेतनभोगी हैं उनका व परिवार की हालत व स्थिति क्या हो गयी होगी? इम्यूनिटी पावर कम होने से संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है. वेतन से महरूम परिवारों में बीमारी से लड़ने के लिए पौष्टिक भोजन का बेहद अभाव हो गया है. बनिया उधार देना बंद कर दिया है. वेतन पर सरकारी लॉकडाउन लगने पर स्वास्थ्यकर्मी  बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के नेताओं को फोन पर 'लाल सलाम' करके वेतन संबंधी जानकारी लेते हैं और केवल वेतन के बारे में बात पूछते हैं, किन्तु आंदोलन से बचना चाहते हैं. महामंत्री ने कहा कि वेतन के सवाल पर 24 अगस्त को जिलों मे प्रदर्शन हुए,जिसके लिए साथियों का अभिनंदन है.

उन्होंने कहा कि बिहार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के राज्य कमिटी द्वारा लिए गए निर्णय के आलोक में शनिवार को सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया.जिसकी अध्यक्षता जिलाध्यक्ष गायत्री कुमारी ने किया गया. सभा को संबोधित करते हुए जिला मंत्री आनन्द कुमार सिंह के द्वारा सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी विरोधी नीति पर विस्तार से प्रकाश डाला गया एवं प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग के नाम से मांग पत्र सिविल सर्जन बक्सर को दिया गया.वही सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पटना सिविल सर्जन के द्वारा प्रदर्शन के दौरान राज्य के नेताओं पर फर्जी मुकदमा वापस लिया जाए साथ ही शीर्ष 2211 एवं अन्य शीर्ष में आवंटन की व्यवस्था सुनिश्चित के लिए बात की गई.साथ ही राज्य सरकार के द्वारा महिला सशक्तिकरण की बात कही गई जो महिला कर्मचारी का वेतन आवंटन के अभाव में नहीं मिलना सरकार की नाकामी को दर्शाता है सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन की अवधि में अवकाश के दिन देर शाम तक कार्य करने के बदले नाश्ता एवं भोजन हेतु नगद राशि का भुगतान नहीं किया गया जो स्वास्थ्य कर्मियों के मनोबल जैसे कार्य को स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा किया जा रहा है.सभा को अरुण कुमार ओझा, गुड्डी कुमारी, ललिता जाधव, रेणु कुमारी, महावीर पंडित आदि थे.  महामंत्री ने सवाल करते हुए कहा कि सभी लोग ईमानदारी पूर्वक आकलन करके देखे, कि क्या हमने सही मायने में अपनी समग्र ताकत का प्रदर्शन किया था ? खानापूर्ति व माँग पत्र समर्पित कर देने से लड़ाई नहीं जीती जा सकती है. अजीब विडम्बना है, हमले बढ़े हैं, चुनौतियाँ बढ़ी हैं दूसरी ओर हमारा प्रतिरोध घटा है.साथियों , यदि जीत हासिल करनी है तो पूरी ताकत से लड़नी ही होगी.गत वर्ष 'हाजरी बनाकर काम करो'आंदोलन चला था.इसका प्रभाव सरकार पर पड़ा.मगर यह कैसी स्थिति सरकार ने बना दी है कि वेतन निकासी करने के लिए आंदोलन करना पर रहा है.साथियों, वक्त की पुकार है, एक बड़ी लड़ाई की तैयारी करें, एक सम्पूर्ण कार्य बहिष्कार की तैयारी करें ,जिसकी घोषणा शीघ्र ही की जाएगी. सभी राज्य पदधारक, सभी जिला मंत्री जिलों में साथियों को इसके लिए तैयार करेंगे.

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