नेट जीरो होने की प्रतिबद्धता सूची साल भीतर हुई दोगुनी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 22 सितंबर 2020

नेट जीरो होने की प्रतिबद्धता सूची साल भीतर हुई दोगुनी

दिल्ली समेत भारत के तीन शहर भी शामिल: संयुक्त राष्ट्र 
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कोविड-19 ने जिस तरह पूरी दुनिया को बेबस कर तमाम अर्थव्यवस्थाओं को बर्बाद किया है, उसके मद्देनज़र तमाम देशों और बड़े उद्योगपतियों ने अंततः प्रकृति के आगे सर झुका ही दिया है। इस बात की तसदीक़ इसी बात से होती है कि महामारी के आर्थिक असर से उबरने के लिए तमाम स्थानीय सरकारों और व्यवसायों ने नेट ज़ीरो एमिशन या शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए ज़ोर शोर से प्रतिबद्धता दिखाई है। इतना ही नहीं, प्रतिबद्धता दिखाने वाले देशों और उद्योगों की सूची एक वर्ष से भी कम समय में दोगुनी हो गई है। सबसे बड़ी बात है कि इस सूची में जुड़ने वाले ताज़ा नामों में भारत के तीन शहर भी हैं। दिल्ली के साथ चेन्नई और कोलकाता इस लिस्ट में शामिल होने वाले नए शहर हैं।



डेटा-ड्रिवेन एंवायरोलैब और न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार इस पूरी सूची की बात करें तो अब अमेरिका के एमिशन से ज़्यादा कार्बन फुटप्रिंट वाले शहर और लगभग $11.4 ट्रिलियन के संयुक्त राजस्व वाली कंपनियां, अब सदी के अंत तक नेट ज़ीरो होने के लक्ष्य का पीछा कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र के रेस टू जीरो अभियान की तर्ज़ पर यह शहर और उद्योग 2050 तक शून्य-कार्बन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने की दौड़ में हैं। रेस टू जीरो अभियान, 2040-50 के दशक में शून्य उत्सर्जन के लिए प्रतिबद्ध स्थानीय सरकारों, व्यवसायों, निवेशकों और अन्य लोगों का सबसे बड़ा गठबंधन है। अब इसमें 22 भौगोलिक क्षेत्र, 452 शहर, 1,128 व्यवसाय, 549 विश्वविद्यालय और 45 बड़े निवेशक और उद्योगपति शामिल हैं। शामिल होने वालों की सूची में अगर फेसबुक और फोर्ड जैसे उद्योग शामिल हैं तो वहीँ भारत के तीन बड़े शहर भी शामिल हैं। यह सारे ऐलान, भारतीय समयानुसार सोमवार देर शाम COP26 और जीरो कार्बन ग्रोथ एजेंडा इवेंट के दौरान, न्युयोर्क सिटी के जलवायु सप्ताह के पहले दिन किये गए। इस आयोजन में हुई चर्चा में देशों के शीर्ष नेता और उद्योगों के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। चर्चा में शामिल बड़े नामों में भारतीय मूल के ब्रिटेन सरकार के व्यापार, ऊर्जा और औद्योगिक रणनीति के सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट अलोक शर्मा, ब्लूमबर्ग के संस्थापक मायकल ब्लूमबर्ग, और संयुक्त राष्ट्र, जलवायु परिवर्तन, की  कार्यकारी सचिव, पेट्रीसिया एस्पिनोसा शामिल थे।

आलोक शर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा, "मैं सभी देशों से न सिर्फ़ और भी ज़्यादा महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों को प्रस्तुत करने का आग्रह कर रहा हूं, मैं सभी से यह भी आग्रह कर रहा हूँ कि जितनी जल्दी हो सके सभी नेट ज़ीरो एमिशन तक पहुंचने की प्रतिज्ञा लें।" उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए पेट्रीसिया एस्पिनोसा बोलीं, “रेस टू ज़ीरो में शामिल देशों और संस्थाओं ने इन ख़ास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है और हमें उम्मीद है कि यह सभी वादे पूरे भी होंगे। दुनिया को निराश नहीं किया जा सकता।” वहीँ माइकल ब्लूमबर्ग ने कहा, "वायु प्रदूषण को कम करना, स्वास्थ्य में सुधार करना, लोगों के जीवन का विस्तार करना, जलवायु संकट से लड़ना और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाना आदि सब संभव है। लेकिन हमें इन में से केवल किसी एक का चयन नहीं करना है। यह सभी बातें असल में एक दूसरे से जुड़ी हैं।” डेटा-ड्रिवेन एनवायरोलैब और न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट के अनुसार, सदी के अंत तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य का पीछा करने वाली स्थानीय सरकारों और व्यवसायों की संख्या में 2019 के अंत के मुक़ाबले काफी वृद्धि हुई है। इसकी बड़ी वजह रही है कोविड के प्रभावों से उबरना और उसमें जलवायु को प्राथमिकता देना। इस पूरे मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ ने कहा, “कार्बन सीमाओं का सम्मान नहीं करता है। इसलिए कार्बन कटौती के इन लक्ष्यों को पूरा करने का एकमात्र तरीका सरकारों के लिए एकजुट हो कर आगे बढ़ना और एक शून्य कार्बन भविष्य की दिशा में एक साथ काम करना है।”

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