पितरों को स्मरण का दिन आज से शुरू - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 3 सितंबर 2020

पितरों को स्मरण का दिन आज से शुरू

pitru-paksha-starts
लखनऊ 02 सितम्बर, हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितरों को स्मरण करने का दिन पितृ पक्ष आज से शुरू हो गया है जो 17 सितम्बर तक चलेगा ।इस अवधि में पितरों को तर्पण ,पिंड दान और श्राद्ध किया जाता है । भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष होता है । श्राद्ध पक्ष में जिस तिथि में पितरों का निधन हुआ हो ,उसमें जल,काला तिल,जौ,कुश और फूलों से श्राद्ध किया जाता है । मान्यता है कि उस दिन गाय, कौआ,कुत्ता को ग्रास देने तथा ब्राहम्णों को भोजन कराने से पितृ का कर्ज उतरता है ।लेकिन इस साल कोरोना को लेकर हालात कुछ अलग हैं । पितृ पक्ष में ब्राहम्ण भोजन करने घर नहीं आयेंगे ।उन्हें ऑनलाईन आमंत्रित किया जा रहा है ।उन्हें पूजा और भोजन के बदले भुगतान भी ऑनलाईन ही करना होगा । श्राद्ध कर्म में शहर से गांव तक ब्राहम्णों को बुलाया जाता है लेकिन इस बार यह संभव नहीं है ।कुछ सालों से संस्कृत कालेज के छात्र छात्राओं को भी श्राद्ध कर्म के लिये बुलाया जाने लगा है लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी होस्टल खाली करा लिये गये हैं। किसी भी होस्टल में एक भी छात्र नहीं है ।ब्राहम्णों और पुरोहितों की मौजूदगी नहीं होने के कारण भोज किसे करायें दसके लिये भी पंडितों की राय ली जा रही है ।पंडित श्री कांत शर्मा कहते हैं कि वृद्ध आश्रम,कुष्ट आश्रम तथा जरूरतमंदों को भोजन करा पितरों की आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना की जा सकती है ।

कोई टिप्पणी नहीं: