सरकार नहीं जानती कितने मज़दूर मरे कितनी नौकरियाँ गयीं : राहुल गाँधी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 16 सितंबर 2020

सरकार नहीं जानती कितने मज़दूर मरे कितनी नौकरियाँ गयीं : राहुल गाँधी

  • सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि मोदी सरकार नहीं जानती कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मज़दूर मरे और कितनी नौकरियाँ गयीं।


तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई?
हाँ मगर दुख है सरकार पे असर ना हुई,
उनका मरना देखा ज़माने ने,
एक मोदी सरकार है जिसे ख़बर ना हुई। 

rahul-gandhi
नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा-हमारे पास मौत का आंकड़ा नहीं, मुआवजा कैसे दें, राहुल गांधी ने कही ये बात...कोरोना वायरस के दौरान जा री लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की मौत के मुआवजे पर केंद्र सरकार ने कहा कि हमारे पास आंकड़ें नहीं हैं तो मुआवजा कैसे दें। इसपर राहुल गांधी ने ट्वीट कर तंज कसा है और कहा है कि तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई? केंद्र सरकार ने कहा-हमारे पास मौत का आंकड़ा नहीं, मुआवजा कैसे दें, राहुल गांधी ने कही ये बात... केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने सोमवार को लोकसभा में बताया है कि प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा हमारे पास है ही नहीं तो ऐसे में हम मुआवजा कैसे दे सकते हैं। मुआवजा देने का ऐसे में  ‘सवाल नहीं उठता है’। इसपर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है।राहुल गांधी ने मोदी सरकार से पूछा कि सरकार ने अगर प्रवासियों के मौत का रिकॉर्ड नहीं रखा तो क्या मौतें नहीं हुईं?  दरअसल, कोरोना वायरस को रोकने के लिए 25 मार्च से देशभर में लागू किए गए 68 दिनों के लॉकडाउन में कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई? इसका आंकड़ा मोदी सरकार के पास नहीं है। मंगलवार सुबह ट्वीट कर राहुल गांधी ने सरकार से सवाल किया, ‘मोदी सरकार नहीं जानती कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मज़दूर मरे और कितनी नौकरियां गईं।तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई? हां मगर दुख है सरकार पे असर ना हुई, उनका मरना देखा ज़माने ने, एक मोदी सरकार है जिसे खबर ना हुई।’ कोरोना वायरस के बीच हो रहे पहले संसदीय सत्र में मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार के पास अपने गृहराज्यों में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों का कोई आंकड़ा है? विपक्ष ने सवाल में यह भी पूछा था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि इस दौरान कई मजदूरों की जान चली गई थी और क्या उनके बारे में सरकार के पास कोई डिटेल है? साथ ही सवाल यह भी था कि क्या ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता या मुआवजा दिया गया है?



दरअसल, सरकार से पूछा गया था कि कोरोनावायरस लॉकडाउन में अपने परिवारों तक पहुंचने की कोशिश में जान गंवाने वाले प्रवासी मजदूरों के परिवारों को क्या मुआवजा दिया गया है? सरकार के जवाब पर विपक्ष की ओर से खूब आलोचना और हंगामा हुआ।श्रम मंत्रालय ने माना है कि लॉकडाउन के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर देशभर के कोनों से अपने गृह राज्य पहुंचे हैं। इसपर केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने अपने लिखित जवाब में बताया कि ‘ऐसा कोई आंकड़ा मेंटेन नहीं किया गया है. ऐसे में इसपर कोई सवाल नहीं उठता है।' एनडी टीवी के प्राइम टाइम में सेवलाइफ फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ पीयूष तिवारी ने कहा कि देश भर में 25 मार्च से 31 मई के बीच लॉकडाउन के दौरान करीब 200 प्रवासी कामगारों की मौत घर लौटने के दौरान 1,461 सड़क दुर्घटनाओं में हुई है। सेव लाइफ फाउंडेशन द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, इन दुर्घटनाओं में 198 प्रवासी कामगारों सहित कुल 750 लोगों की मौत हुई है। कोरोनो वायरस संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के कारण पूरे देश में भूख-प्यास से बेहाल हजारों परिवार घर जाने के लिए निकल पड़े थे। कोई साधन नहीं होने के कारण लाखों लोग पैदल ही सामान और बच्चों को कंधे पर लादकर हजारों किलोमीटर दूर अपने घरों की ओर निकल पड़े। कई इलाकों में अभी भी हजारों लोग इस सफर पर हैं। इस दौरान मजबूरी और हताशा में जान बचाने के लिए पैदल ही घरों की ओर निकले कई मजदूरों के साथ कई हादसे भी पेश आए जिनमें करीब 200 प्रवासी मजदूरों की जान चली गई। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 94 मौतें हुईं। इसके बाद मध्य प्रदेश में 38, बिहार में 16, तेलंगाना में 11 और महाराष्ट्र में 9 लोगों की सड़क हादसों में मौत हो गई।

सेवलाइफ फाउंडेशन द्वारा मीडिया-ट्रैकिंग और कई सूत्रों से वेरिफिकेशन के जरिये संकलित आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश दुर्घटनाएं तेज रफ्तार और ड्राइवर की थकान के कारण हुई। आंकड़ों के अनुसार 68 दिनों के लॉकडाउन के दौरान, 1,390 लोग सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए। इस मामले में भी उत्तर प्रदेश 30 प्रतिशत यानी 245 घायलों के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद तेलंगाना 56, मध्य प्रदेश 56, बिहार 43, पंजाब 38 और महाराष्ट्र भी 36 घायलों के साथ इस लिस्ट में हैं। सेवलाइफ फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ पीयूष तिवारी ने कहा कि कोविड-19 के साथ अभी भी चारों ओर, हम सड़क दुर्घटना से संबंधित ट्रॉमा के साथ अत्यधिक हेल्थकेयर प्रणाली का बोझ नहीं उठा सकते। आंकड़ों से पता चलता है कि तीसरे और चौथे चरण में राज्यों से प्रतिबंधों को हटाने के साथ सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई। इन सबके बीच 68 फीसदी मौतों में पैदल यात्री, दोपहिया और तिपहिया वाहन शामिल हैं। सेवलाइफ फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ पीयूष तिवारी ने कहा कि देश भर में 25 मार्च से 31 मई के बीच लॉकडाउन के दौरान करीब 200 प्रवासी कामगारों की मौत घर लौटने के दौरान 1,461 सड़क दुर्घटनाओं में हुई है। सेव लाइफ फाउंडेशन द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, इन दुर्घटनाओं में 198 प्रवासी कामगारों सहित कुल 750 लोगों की मौत हुई है।बिहार प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के उपाध्यक्ष सिसिल साह ने कहा कि इसे आधार बनाकर मुआवजा दिया जायं। 

कोई टिप्पणी नहीं: