बेतिया : थरूहट की कला देश एवं विदेश में अपना परचम लहराएं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 16 सितंबर 2020

बेतिया : थरूहट की कला देश एवं विदेश में अपना परचम लहराएं

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बेतिया. पश्चिम चम्पारण जिले बगहा प्रखंड में काफी संख्या में थरूहट समुदाय के लोग रहते हैं.जब कभी सीएम नीतीश कुमार यात्रा की शुरूआत करते हैं,तो बगहा के थरूहट क्षेत्र से ही करते हैं.इधर मन की बात में पीएम नरेन्द्र मोदी ने थरूहट लोगों के बारे में जिक्र किये थे.पीएम,सीएम के बाद डीएम भी थरूहट समुदाय की सुधि लेने लगे हैं.थरूहट की कला देश एवं विदेश में अपना परचम लहराएं, ऐसा प्रयास  जिलाधिकारी करने लगे हैं. जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने पदाधिकारियों से कहा कि इनके विभिन्न कलाओं को डिजिटल प्लेटफाॅर्म के माध्यम से बुलंदियों तक पहुंचाएं. मौके पर आयोजित हस्तशिल्प सेवा केन्द्र द्वारा कार्यशाला सह सेमिनार में 33 शिल्पकारों के बीच वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्गत आर्टिजन आइडेंटी कार्ड का वितरण किया गया.आर्टिजन आइडेंटी कार्ड से शिल्पकारों को अनेकों सुविधाएं और उन्हें अपने उत्पाद को राष्ट्रीय स्तर तक बिक्री कर पाने में सहायता मिलेगी.विभिन्न तरह के कार्यक्रम करने से थारू जनजाति के लोगों में खासकर महिलाओं में क्षमता संवर्धन, कौशल विकास एवं रोजगार/स्वरोजगार सृजन से खुशहाली आ जाएगी.  जिलाधिकारी  कुंदन कुमार ने कहा कि थरूहट की विभिन्न कला देश एवं विदेश में कैसे अपना परचम लहराएं, इस दिशा में सभी को प्रयास करना होगा.आज इस मंच से एक नयी शुरूआत की जा रही है जिससे थारू जनजाति के लोगों खासकर महिलाओं में क्षमता संवर्धन, कौशल विकास एवं रोजगार/स्वरोजगार का सृजन होगा तथा उनकी जिंदगी में खुशहाली आएगी. उन्होंने कहा कि थरूहट की कलाओं को निखारने की आवश्यकता है ताकि सदियों से चली आ रही इन सांस्कृतिक कलाओं को संरक्षित करते हुए इनका विकास किया जा सके.हम सभी को समन्वित प्रयास करके थरूहट की कला को बुलंदियों तक पहुंचाना है. सदियों से चली आ रही इन कलाओं का सम्मान होना चाहिए तथा सभी को मिलजुल कर ऐसा प्रयास करना चाहिए कि थरूहट की कला न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी परचम लहराएं.



जिलाधिकारी आज जिला निबंधन एवं परामर्श केन्द्र के प्रांगण में वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में हस्तशिल्प सेवा केन्द्र, मधुबनी द्वारा आयोजित कार्यशाला सह सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.जिलाधिकारी द्वारा इस कार्यशाला सह सेमिनार का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्जवलित कर किया गया. उन्होंने कहा कि थरूहट के शिल्पकारों को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है ताकि ये और अधिक आधुनिकता के मिश्रण के साथ अपने उत्पादों का प्रोडक्शन कर सके.साथ ही इन्हें आॅनलाइन मार्केटिंग के लिए फोटो अपलोड करना, पोर्टल ओपेन करना आदि की भी विधिवत जानकारी उपलब्ध करायी जाय ताकि उन्हें परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन थरूहट समुदाय के लोगों की बेहतरी के लिए हरसंभव प्रयास करेगा. जिलाधिकारी द्वारा थरूहट समुदाय के लोगों खासकर महिलाओं को आॅनलाइन प्रशिक्षण देने पर जोर दिया. साथ ही जिले के शिल्पकारों के उत्पाद को जेम पोर्टल पर उपलब्ध कराने की बात कही. उन्होंने थरूहट के लोगों से अपने विरासत को संजोए रखने की अपील भी की.उन्होंने कहा कि जेम पोर्टल शिल्पकारों को अपने उत्पादों को बेचने का अवसर प्रदान करता है.इसलिए आवश्यक है कि सभी शिल्पकारों को जेम पोर्टल के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाय तथा जेम पोर्टल पर फोटो अपलोड आदि की विस्तृत जानकारी प्रशिक्षण के माध्यम से मुहैया करायी जाय.

कार्यालय विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) के सहायक निदेशक, श्री मुकेश कुमार ने बताया कि वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार अंतर्गत इस कार्यालय का उदे्श्य है कि यहां के आदिवासी शिल्पकारों को विभिन्न योजनाओं से परिचित कराया जाय ताकि उनको योजनाओं का लाभ मिल सके.उन्होंने बताया कि दस्तकार सशक्तीकरण योजना अंतर्गत सर्वे उपरांत स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाता है. चिन्हित शिल्पकारों का बैंक खाता, पहचान कार्ड, आदि से संबंधित कार्य किया जाता है.कलस्टर का नियमित देखभाल, उनकी आवश्यकताओं का आकलन आदि के लिए हस्तशिल्प सेवा केन्द्र एवं इम्प्लेमेंटिंग एजेंसी समय-समय पर कलस्टर का निरीक्षण करती है. संबंधित एजेंसी कलस्टर का डीपीआर बनाकर आवश्यक इंटरवेंशन के लिए प्रस्ताव भेजती है. वहीं हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत संबंधित शिल्प में कुशल जनशक्ति एवं स्वरोजगार को उत्पन्न करना प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उदेश्य है. इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले को प्रतिदिन 300 रू0 का वजीफे का प्रावधान है. साथ ही लाभार्थियों को संबंधित शिल्प का टूल किट का भी वितरण किया जाता है. उन्होंने बताया कि डिजाईन कार्यशाला के अंतर्गत शिल्पकारों के परम्परागत स्किल एवं नए तकनीकों को समावेषित कर आधुनिक बाजार के पसंद एवं प्राथमिकता के अनुसार नए प्रोटोटाइप का विकास करना एवं उत्पादों को बढ़ाना इस कार्यशाला का मुख्य उदे्श्य है. साथ ही समाकलित डिजाईन एवं तकनीकी विकास प्रोजेक्ट के तहत नए डिजाईनों का विकास, नए तकनीक का विकास एवं शिल्प बनाने की प्रक्रिया में तकनीकी सहूलियत के साथ अधिक से अधिक शिल्पियों का कौशल उन्नयन करना है.  कार्यशाला के दौरान जिलाधिकारी द्वारा अनुसूचित जनजाति समुदाय के कुल 33 शिल्पकारों के बीच वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्गत आर्टिजन आइडेंटी कार्ड का वितरण किया गया. आर्टिजन आइडेंटी कार्ड से शिल्पकारों को अनेक सुविधाएं प्राप्त होंगी तथा वे अपने उत्पाद को राष्ट्रीय स्तर तक भी बिक्री कर पाएंगे.

सहायक निदेशक, श्री कुमार ने बताया कि पहचान कार्ड के माध्यम से शिल्पकारों को प्रशिक्षण लेने में सहूलियत मिलेगी.साथ ही मुद्रा योजना के तहत ऋण की व्यवस्था की जायेगी तथा ऋण में देय ब्याज राशि में 6 प्रतिशत ब्याज की कमी भी की जाती है.उन्होंने बताया कि समय-समय पर शिल्पकारों द्वारा बनाये गये विभिन्न उत्पादों की बिक्री हेतु मेला का आयोजन देश के विभिन्न स्थलों पर किया जाता है. इस प्रकार के मेले के आयोजन में भाग लेने वाले शिल्पकारों को आने-जाने का किराया तथा प्रतिदिन 500 रूपये की दर से खाना-पानी की व्यवस्था भी की जाती है. साथ ही मेले में उत्पदों की बिक्री के लिए निःशुल्क स्टाॅल भी मुहैया कराया जाता है. उन्होंने बताया कि बेहतर कार्य करने वाले वैसे शिल्पकार जिन्हें बिहार सरकार एवं भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जाता है, उन्हें 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने के उपरांत 3500 रूपये प्रतिमाह की दर से पेंशन दिये जाने का भी प्रावधान है.साथ ही बीमा की भी व्यवस्था की गयी है. कार्यशाला में विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा आॅनलाइन मार्केटिंग, जेम रजिस्ट्रेशन, प्रोडक्ट डाइभरसिफिकेशन, नये डिजाईन का विकास, मुद्रा योजना आदि की विस्तृत जानकारी दी गयी. कार्यक्रम में श्री अखिलेश कुमार, डिजाईनर, निफ्ट, श्री राजीव कुमार झा, आॅनलाइन जेम विशेषज्ञ, श्री बलजीत कुमार, शाखा प्रबंधक, उतर बिहार ग्रामीण बैंक ने संबंधित विषयों/योजनाओं पर पाॅवर प्वाइंट के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्रदान किये.

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