संप्रभुता की रक्षा के लिए देश कोई भी बलिदान देने को तैयार: राजनाथ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

संप्रभुता की रक्षा के लिए देश कोई भी बलिदान देने को तैयार: राजनाथ

india-ready-to-sacrifice-rajnath
नयी दिल्ली 05 नवम्बर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रही तनातनी के बीच आज स्पष्ट रूप से कहा कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन साथ ही वह अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए भी पूरी तरह से तैयार है चाहे इसके लिए कोई भी बलिदान देना पड़े। राष्ट्रीय रक्षा कालेज की हीरक जयंती पर आयोजित वेबिनार में देश और विदेश के जाने माने सामरिक, सुरक्षा , विदेश नीति विशेषज्ञों और सैन्य तथा प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष मुख्य भाषण देते हुए श्री सिंह ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि पिछले कुछ समय से भारत को अपनी सीमाओं पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, “ भारत शांति प्रिय देश है। हमारा मानना है कि मतभेदों को विवादों में नहीं बदलने देना चाहिए। हम बातचीत के जरिये मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान को महत्व देते हैं। लेकिन एकतरफा कार्रवाई और हमले की स्थिति में वह अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए तैयार है चाहे इसके लिए कोई भी बलिदान देना पड़े। ” रक्षा मंत्री ने कहा कि विभिन्न देशों की यात्रा में आये उतार और चढाव से हमने सबसे बुनियादी सबक यही सीखा है कि केवल शांति की इच्छा से शांति हासिल नहीं की जा सकती किन्तु शांति सुनिश्चित करने के लिए युद्ध के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि भारत ने क्षमता विकास और स्वदेशीकरण की दीर्घावधि नीति तैयार कर यह प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि भारत ने क्षेत्र में और उसके बाहर साझा हितों के लिए समान विचार वाले देशों के साथ संबंध बनाये हैं और साझेदारी की है। इस संदर्भ में उन्होंने आस्ट्रेलिया , जापान और अमेरिका तथा रूस जैसे देशों के साथ भारत के संबंधों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ हमारी सामरिक साझेदारी पहले से कहीं अधिक मजबूत हुई है। भारत के रूस के साथ भी मजबूत पारंपरिक और गहरे संबंध हैं और दोनों देशों ने अतीत में कई चुनौतियों का मिलकर सामना किया है। भारत और आस्ट्रेलिया के भी साझा मूल्य और समान चिंता हैं। गत जून में दोनों देशों के बीच वर्चुअल सम्मेलन से व्यापक सामरिक साझेदारी और मजबूत हुई है।  

कोई टिप्पणी नहीं: