बिहार : 8 दिसंबर का भारत बंद ऐतिहासिक होगा: राजाराम सिंह - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 6 दिसंबर 2020

बिहार : 8 दिसंबर का भारत बंद ऐतिहासिक होगा: राजाराम सिंह

  • मोदी सरकार वार्ता का दिखावा कर रही, तीनों काले कानूनों की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं.
  • अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की बिहार इकाई की हुई बैठक.
  • बिहार में मंडियों को बर्बाद कर सबसे पहले नीतीश कुमार ने किसानों को बर्बादी के रास्त धकेला
  • वामपंथी दलों सहित विपक्ष की सभी पार्टियों का मिल रहा समर्थन
  • दिल्ली में हन्नान मौला और बिहार में राजद नेताओं पर मुकदमे थोपना फासीवादी आचरण

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पटना 6 दिसंबर, तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी, न्यनूतम समर्थन मूल्य पर सभी फसलों की खरीद की गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसाओं को लागू करने, प्रस्तावित बिजली बिल 2020 वापस लेने, किसान नेताओं सहित सभी लोकतंत्र-मानवाधिकार की लड़ाई लड़ रहे कार्यकर्ताओं पर लादे गए फर्जी मुकदमे की वापसी आदि मांगों पर 8 दिसंबर के भारत बंद को बिहार में ऐतिहासिक बनाने के उद्देश्य से आज अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की बिहार इकाई की बैठक आयोजित हुई. बैठक की अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव तथा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति बिहार के प्रभारी कामरेड राजाराम सिंह ने किया. बैठक में स्वराज इंडिया के नेता ऋषि आनंद, सीतामढ़ी के समन्वय समिति के नेता आनंद किशोर, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव रामाधार सिंह आदि उपस्थित हुए. किसान सभा-केदार भवन के राज्य सचिव अशोक कुमार और किसान सभा-जमाल रोड के सचिव विनोद कुमार बैठक में तो शामिल नहीं हो सके, लेकिन उनसे फोन पर बात करके फैसलों को अंतिम रूप दिया गया.

बैठक में सर्वप्रथम पटना के गांधी मैदान में गांधी स्मारक के समीप उक्त मांगों पर धरना दे रहे राजद के नेताओं पर मुकदमे थोपने की निंदा की गई. साथ ही, दिल्ली संसद भवन पर आंदोलन कर रहे अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य हनान मौला पर किए गए मुकदमे की भी कड़ी निंदा की गई कामरेड राजाराम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के साथ कल पांचवे दौर की बैठक बिना निष्कर्ष खत्म हो गई है. क्योंकि सरकार उक्त तीनों कानून को यथावत बनाए रखने पर अड़ी हुई है, वहीं किसान प्रतिनिधि उक्त कानूनों तथा बिजली बिल की समाप्ति से कम पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं कर सकते. इसलिए यह लड़ाई अब आर-पार की हो गई है. उन्होंने राज्य के सभी जनवादी, प्रगतिशील, महिला-सांस्कृतिक-छात्र-युवा संगठन से अपील की है कि 8 दिसंबर के भारत बंद को सफल बनाने में अपना योगदान दें. विदित है कि किसान संगठनों के आह्वान पर आयोजित बंद को भाकपा-माले, सीपीआई, सीपीआइएम, फारवर्ड ब्लाॅक, आरएसपी सहित अन्य राजनीतिक दल भी समर्थन कर रहे हैं. बिहार में तो नीतीश कुमार की सरकार ने 2006 में ही मंडियों की व्यवस्था खत्म करके यहां के किसानों को बर्बादी के रास्ते धकेल दिया है. अब बिहार में भी यह आंदोलन गांव-गांव में फैलने लगा है. बैठक में निर्णय लिया गया कि जिला स्तरीय विभिन्न किसान संगठनों से सहमति हासिल करते हुए एकताबद्ध होकर प्रभावी रूप से भारत बंद को सफल बनाया जाएगा. बाजार-चट्टी शहर के अलावे गांव से गुजरने वाली मुख्य सड़कों को जाम कर बंद को सफल बनाया जाएगा. पटना में 8 दिसंबर को 11 बजे बु़द्धा स्मृति पार्क से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर से मुख्य मार्च आयोजित होगा, जिसमें बड़ी संख्या में किसानों के भाग लेने की संभावना है.

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