बिहार : प्रशासन व डॉक्टरों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 26 दिसंबर 2020

बिहार : प्रशासन व डॉक्टरों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की

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पटना. केंद्रीय राज्य स्वास्थ्य मंत्री अश्वनी चौबे ने ट्वीट के जरिए बयान जारी कहा कि बिहार के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर गए हैं.डॉक्टर  काम पर वापस आए' 'मैं सरकार से अपील करता हूं उनकी मांगों को पूरा  किया जाए''राज्य हित और देश हित में जूनियर डॉक्टर हड़ताल खत्म कर  काम करें'@ AshwiniKChoubey.बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को चाहिए तत्काल हड़ताल समाप्त कराएं. बिहार के जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि हमलोगों को मजबूरी में हड़ताल पर जाना पड़ा.उनका कहना है कि 2014 में ही बिहार सरकार के संकल्प पत्र में ये घोषणा हुई थी कि प्रत्येक 3 वर्षों पर रेजिडेंट्स डॉक्टरों ( पीजी और सीनियर रेजिडेंट्स) का स्टाइपेंड और सैलरी को संशोधित किया जाएगा और इसके तहत मई 2017 में बढ़ोतरी की गई पर 2020 में अभी तक इस पर कोई विचार नहीं किया गया है.जबकि सभी जूनियर व सीनियर डॉक्टर कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहे हैं. थक- हारकर बुधवार को एक बार फिर से बिहार के जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल (Junior Doctor Strike) कर दी है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच (PMCH, Patna) समेत राज्यभर के मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने ये हड़ताल स्टाइपेंड की राशि बढ़ाने की मांग को लेकर की है. बुधवार सुबह 7 बजे से सभी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत करीब ढाई घंटे तक पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में विभिन्न विभागों का निरीक्षण करते रहे लेकिन जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों से हड़ताल को लेकर कोई बात नहीं हुई. प्रधान सचिव ने कहा कि अस्पतालों में मरीजों को किसी प्रकार का कष्ट नहीं होने दी जाएगी. हड़ताल किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, विधि-सम्मत कार्रवाई की जाएगी. पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ हरेंद्र कुमार ने बताया कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के करीब एक हजार जूनियर डॉक्टरों ने कोरोना यूनिट की ड्यूटी को छोड़कर सभी कार्यों का बहिष्कार किया. उन्होंने बताया कि कार्य बहिष्कार को लेकर सभी मेडिकल कॉलेज के प्रशासन को मौखिक रूप से एक दिन पूर्व जानकारी दे दी गयी थी. कॉलेज प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के टालमटोल रवैये के कारण जूनियर डॉक्टर्स कार्य बहिष्कार करने को लेकर मजबूर हुए हैं. उन्होंने बताया कि पिछली बार अगस्त, 2020 में हड़ताल की घोषणा की गयी थी लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने पटना हाईकोर्ट से हड़ताल को लेकर स्थगन आदेश लेकर इस पर पाबंदी लगा दी थी.


उन्होंने बताया कि 2017 में जूनियर डॉक्टर्स की छात्रवृत्ति प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष के लिए क्रमश: 50 हजार, 55 हजार व 60 हजार रुपए मासिक निर्धारित हुई थी.तब प्रत्येक तीन वर्ष पर छात्रवृत्ति में बढ़ोतरी किए जाने का आश्वासन स्वास्थ्य विभाग ने दिया था. इसके अनुसार, जनवरी, 2020 में छात्रों की छात्रवृत्ति में बढ़ोतरी की जानी थी लेकिन उसे अबतक नहीं किया गया है.जबकि वर्तमान में एम्स, पटना और आईजीआईएमएस, पटना के जूनियर डॉक्टरों को 90 हजार रुपए छात्रवृत्ति के रूप में भुगतान किया जा रहा है.वहीं, डीएमसीएच जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ नीरज कुमार ने कहा कि जबतक उनकी मांग पूरी नहीं होती तबतक वे काम पर नहीं लौटेंगे.पूरे बिहार के जूनियर रेजिडेंट्स के कार्य बहिष्कार को रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी समर्थन दिया है. रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का भी समर्थन दूसरी ओर, रेजींडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार ने जूनियर डॉक्टरों की मांगों का समर्थन किया.उन्होंने कहा कि जेडीए व आरडीए द्वारा अनेक बार स्वास्थ्य मंत्री व प्रधान सचिव, स्वास्थ्य को रेजीडेंट डॉक्टरों के स्टाइपेंड व सैलरी बढ़ाने को लेकर कई माध्यमों से सूचित किया गया है. इसके बावजूद राज्य सरकार द्वारा इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इस बीच बिहार के सारे मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले जाने से अस्पतालों पर खासा असर पड़ रहा है.दूर-दूर से इलाज करवाने आने वाले लोग जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण बैरंग वापस जाने को मजबूर हैं.वहीं दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डीएमसीएच ) में जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल के विरोध में मरीज व परिजनों ने हंगामा किया.डॉक्टरों द्वारा आपातकालीन विभाग और केंद्रीय ओपीडी में ताला जड़ने से मरीजों के परिजन नाराज थे.इलाज के लिए दूर दूर से आये सैकड़ों मरीजों का आक्रोश फूट पड़ा. हड़ताल का विरोध करते हुए मरीजों एवं उनके परिजनों ने डीएमसीएच चौराहे को करीब एक घंटे तक जाम कर दिया.सड़क पर टायर जलाकर उन लोगों ने अस्पताल प्रशासन व डॉक्टरों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. जब कोई नतीजा नहीं निकला तो थक-हारकर वे लोग निजी क्लीनिक का रुख करने लगे. ओपीडी, इमरजेंसी व वार्ड ड्यूटी का पूरी तरह से बहिष्कार किया गया.पश्चिम चंपारण से आए पारस प्रसाद सड़क हादसे में घायल हो गए थे.PMCH में बुधवार को उनके पैर का ऑपरेशन होना था, लेकिन उन्हें बताया गया कि आज हड़ताल है इसलिए ऑपरेशन नहीं हो पाएगा.पश्चिम चंपारण से ही आए विद्यासागर के पाइल्स का ऑपरेशन होना था, लेकिन उसकी तिथि भी बढ़ा दी गई है.

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