आज लोगों को कोरोना रूपी वैश्विक समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे समय में अपने मन को पूर्णतः शांत रखना चाहिए। यदि हमारा मन शांत होता है तो हम अपने अंदर प्रवेश करने वाले नकारात्मक सोच और विचारों की आहट सुन व समझ पाते हैं। इन भावों और अपने व्यवहार में आए परिवर्तन के माध्यम से हम समझ सकते हैं कि हमे अपने आपको भावनात्मक संबल देने की आवश्यकता है। जिस समय हमारे अंदर यह विचार भी आए कि कोरोना जैसी बीमारी की चपेट में मैं और मेरा परिवार भी आ सकते हैं, वहीं समझ जाइएगा कि आपने बीमारी को आमंत्रण दे दिया है। क्योंकि अधिकांश बीमारी मन की सोच में आती है। चूंकि समय खराब है और हमारा मन मजबूत नहीं है कि वह इन नकारात्मक विचारों को आने से रोकें तो इसके भी कई उपाय हैं जिनकी हम तैयारी कर सकते हैं। प्रतिदिन सुबह उठकर परमात्मा को धन्यवाद दें एक सुबह और दिखाने के लिए। प्रतिदिन अपने आपको यह बोले कि आप पूरी तरह तन-मन से स्वस्थ हैं। इस तरह की प्रार्थना से आपके अंदर आत्मविश्वास बढ़ेगा, साथ ही जो शब्द आप बोल रहे हैं, वे भी ध्वनि के साथ आपके मन की तरंगों के माध्यम से अवचेतन मन तक अपनी पहुंच बना लेंगे। शब्दों की ऊर्जा और ध्वनि का मेल हमारे जीवन में कई परिवर्तन लाता है। हम यदि नकारात्मक शब्दों को बोलेंगे तो वहीं ऊर्जा हमारे अवचेतन मन तक पहुंचेगी और विचारानुसार हमारा मन उसी प्रक्रिया में जाएगा जैसे शब्दों को उसने सुना। किसी भी परिस्थिति में अपने शब्दों और भावों पर पहले ध्यान दीजिएगा। यही शब्द और भाव मिलकर आपके जीवन का पथ निर्धारित करते हैं।
-डाॅ. सुजाता जैन-
प्रवक्ता, सामायिक क्लब
34-बी, आरती बिल्डिंग, 85, तारदेव रोड
मुम्बई-400034, मो. 9968126797
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