बिहार : चिकित्सकों ने चार समितियों के गठन को रद्द करने की मांग की है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

बिहार : चिकित्सकों ने चार समितियों के गठन को रद्द करने की मांग की है

  • अनुमति देने के लिए सीसीआईएम की अधिसूचना और नीति आयोग द्वारा चार समितियों के गठन से केवल मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा. आईएमए ने अधिसूचना को वापस लेने और चार समितियों के गठन को रद्द करने की मांग की है...

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पटना. सरकार ने चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद (Ayurveda) को और बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी करने की इजाजत दे दी है. आगामी 11 दिसंबर को देश भर में डॉक्टरों ने हड़ताल करने का फैसला लिया है.हालांकि इस दौरान कोरोना संक्रमण से जुड़ी चिकित्सीय सेवाएं जारी रहेंगी.मंगलवार को नई दिल्ली स्थित आईएमए भवन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने यह घोषणा करते हुए कहा है कि आर्युवेद चिकित्सकों द्वारा सर्जरी के कानूनी अभ्यास की अनुमति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. यह अनुमति देने के लिए सीसीआईएम की अधिसूचना और नीति आयोग द्वारा चार समितियों के गठन से केवल मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा. आईएमए ने अधिसूचना को वापस लेने और चार समितियों के गठन को रद्द करने की मांग की है. मंगलवार को आईएमए की आपातकालीन केंद्रीय कार्य समिति की बैठक हुई.इस दौरान आधुनिक चिकित्सा और सर्जिकल विषयों पर सीसीआईएम के निर्णयों पर विरोध जताया है.आईएमए का मानना है कि यह मिक्सोपैथी को वैध बनाने की दिशा में एक और कदम है.इसलिए 11 दिसंबर को सुबह 6 से शाम 6 बजे तक विरोध स्वरुप डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे. इस दौरान सभी गैर-जरूरी और गैर-कोविड सेवाओं को बंद रखा जाएगा.आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी. हालांकि पहले से तय ऑपरेशन नहीं किए जाएंगे. आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर राजन शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा चिकित्सा बहुलतावाद की वकालत करने और सभी चिकित्सा प्रणालियों के मिश्रण के लिए नीति आयोग की चार समितियां बड़े सबूत के रूप पर सामने आई हैं. वन सिस्टम पॉलिसी आधुनिक चिकित्सा सिस्टम को पूरी तरह खत्म कर देगा. आईएमए के अनुसार 8 दिसंबर को दोपहर 12 से दो बजे तक छोटे छोटे समूह में देश भर में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.इस दौरान डॉक्टर सफेद एप्रन और स्टेथोस्कोप पहनकर मिक्सोपैथी के खिलाफ नारे लगाएंगे. जबकि 11 दिसंबर को सेवा बंद कर विरोध करेंगे. केंद्र सरकार ने इसी से जुड़ा गजट नोटिफिकेशन 20 नवंबर को जारी किया. हम चाहेंगे कि आप सबसे पहले ये बड़ी खबर विस्तार से जानें और इस फैसले के बाद शुरू हुए विवाद को भी समझें. इसके बाद हम महर्षि सुश्रुत की बात करेंगे और उनकी महान रचना सुश्रुत संहिता के बारे में बताएंगे. आज सरकार के इस फैसले से होने वाले बड़े परिवर्तन की भी बात करेंगे. भारत सरकार ने 20 नवंबर को देश में आयुर्वेद (Ayurveda) को और बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया. सरकार ने गजट नोटिफिकेशन के जरिए आयुर्वेद (Ayurveda) के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी करने की इजाजत दे दी. अब देश के आयुर्वेदिक पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर भी एलोपैथिक डॉक्टरों की तरह एक दो नहीं, बल्कि 58 तरह की सर्जरी कर सकेंगे. इनमें हड्डी रोग, आंखों की सर्जरी, कान-गला और दांत की सर्जरी के अलावा स्किन ग्राफ्टिंग, ट्यूमर की सर्जरी, हाइड्रोसील, अल्सर और पेट की सर्जरी भी शामिल हैं. यही नहीं वाराणसी में हुए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को आप इस फैसले के बाद शहर का पहला कामयाब आयुर्वेदिक ऑपरेशन भी कह सकते हैं. सरकार के इस फैसले पर आयुष डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था नेशनल इंटिग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन यानी NIMA ने खुशी जताई है. लेकिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भारत सरकार के निर्णय पर असहमति जताई.


उन्होंने कहा कि चिकित्सा पद्धतियों के बीच में एक लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए. CCIM यानी Central Council of Indian Medicine खुद के प्राचीन लेखों से सर्जरी की अलग शिक्षण प्रक्रिया तैयार करे और सर्जरी के लिए मॉडर्न मेडिसिन के तहत आने वाले विषयों पर दावा न करे. IMA ने ये आरोप भी लगाया कि CCIM की नीतियों में अपने छात्रों के लिए मॉडर्न मेडिसिन से जुड़ी किताबें मुहैया कराकर इलाज के दोनों तरीकों को मिलाने की कोशिश हो रही है. सर्जरी आधुनिक मेडिकल साइंस का हिस्सा है और इसे आयुर्वेद (Ayurveda) के साथ मुख्यधारा में नहीं लाया जा सकता है. इसका मतलब है कि सरकार के निर्णय पर NIMA और IMA अब आमने-सामने हैं और 20 नवंबर के बाद से ये विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. सोमवार को वाराणसी के सूर्या अस्पताल में एक मरीज की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की गई और गाल ब्लैडर से पथरी निकालने का सफल ऑपरेशन हुआ. ये सर्जरी अस्पताल के आयुर्वेदिक सर्जन आशीष कुमार के नेतृत्व में की गई. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये सर्जरी एक आयुर्वेदिक अस्पताल में हुई. आप सोच रहे होंगे कि आयुर्वेद में सर्जरी कैसे संभव है? तो आपको ये जानकारी भी होनी चाहिए कि आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा का इतिहास 2600 वर्ष पुराना है और महर्षि सुश्रुत सर्जरी के जनक कहे जाते हैं. दिल्ली के प्राइवेट आयुसूत्रास क्लीनिक में हमें दिलराज सिंह मिले. दिलराज सिंह ने पिछले साल आयुर्वेदिक सर्जन से अपनी मां के अपेंडिक्स का ऑपरेशन करवाया था. दिलराज सिंह को खुद पाइल्स की समस्या थी. उन्होंने आयुर्वेदिक सर्जन से अपनी सर्जरी भी करवाई. दिलराज सिंह और उनकी मां का ऑपरेशन सफल रहा. सर्जरी के बाद दोनों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई. आयुर्वेदिक सर्जन के वहां ऑपरेशन करवाने से उनका दवा और ऑपरेशन का खर्चा बहुत ही कम आया, जबकि एलोपैथिक अस्पताल में बहुत लंबा-चौड़ा एस्टीमेट बताया गया था. जान लें कि महर्षि सुश्रुत ने ही सबसे पहले आयुर्वेद में 300 तरह की ऑपरेशन प्रक्रियाओं की खोज की थी. वो सदियों पहले कॉस्मेटिक सर्जरी, सिजेरियन डिलीवरी से लेकर आंखों तक के जटिल ऑपरेशन सैनेटाइज तरीके से किया करते थे. उन्होंने ही सबसे पहले 120 तरह के सर्जरी के उपकरण खोजे थे. आज ऐसे ही कई उपकरण आपको आधुनिकतम रूप के ऑपरेशन थियेटर में दिख जाएंगे. इसके अलावा महर्षि सुश्रुत ने सुश्रुत संहिता में अलग-अलग तरह की 1100 बीमारियों के बारे में लिखा था. आज शरीर के अलग-अलग हिस्से की सर्जरी के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ होते हैं लेकिन तकरीबन 2600 वर्ष पहले भारत भूमि पर पैदा हुए सुश्रुत प्लास्टिक सर्जरी भी करते थे और बिना एक्सरे के टूटी हुई हड्डियों की स्थिति का सही-सही अंदाजा भी लगा लेते थे. वो ऑपरेशन के जरिए उसे बेहतरीन तरीके से जोड़ भी देते थे.

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