आंकड़ों की इस घोषणा के दौरान ब्राज़ील के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार मंत्रालय मंत्री मार्कोस पोंटेस और उपराष्ट्रपति जनरल हैमिल्टन मौराओ, जो नेशनल काउंसिल ऑफ़ लीगल अमज़ोनिया की अध्यक्षता करते हैं, उपस्थित थे। मौराओ ने वनों की कटाई को रोकने के लिए किसी भी उपाय की घोषणा नहीं की और कहा कि डिग्रेडेशन (नाश) और अधिक हो सकता है। हाल के वर्षों में यह पहली बार था कि पर्यावरण मंत्री अनावरण समारोह में उपस्थित नहीं थे, जिस पद को रिकार्डो साल्लेज़ ने निभाया। इस बीच, नए प्रस्तुत बिल के जवाब में, ग्रीनपीस ब्राज़ील सहित 23 सिविल सोसाइटी संस्थानों ने सांसदों के बिल को बदलने की मांग करने के लिए "वन विद नो कट्स" (Floresta sem Cortes) अभियान शुरू कर दिया। आन्दोलन की अब वजह और भी साफ़ है क्योंकि क्योंकि मौजूदा सरकार द्वारा अपनी पर्यावरण-विरोधी नीति के अंतर्गत ब्राजील में पर्यावरण संरक्षण को कम करने के लिए पर्यावरण के लिए उपलब्ध बजट में कमी कर देना और संसाधनों को खर्च न करना दो तरीके हैं अपना मक़सद पूरा करने के। बजट में हुई कमी पर नज़र डालें तो साल 2019 से 2020 तक, पर्यावरण प्रहरी इदामा के विवेकाधीन खर्च बजट में 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर (30.4%) की कमी आई; ICMBio (संरक्षण इकाइयों की निगरानी करने वाली एजेंसी) के लिए US $ 18 मिलियन (32.7%) की कमी, और पर्यावरण मंत्रालय के प्रत्यक्ष प्रशासन के लिए US $ 6 मिलियन (32.7%) की कमी आयी।
इस ताज़ा घटनाक्रम पर ग्रीनपीस ब्राज़ील के अमेज़ॅन अभियान की प्रवक्ता क्रिस्टियन मेज़ेट्टी कहती हैं, "सरकार की यह नीतियां यह जलवायु, जैव विविधता और ब्राजील के समाज के लिए अकल्पनीय क्षति पैदा कर रही है। कांग्रेस को कहिये कि इस संदर्भ में वो सरकार के आर्थिक संसाधनों का हिस्सा Ibama और ICMBio जैसी संस्था को हस्तांतरित कर सकती है, क्योंकि उनके पास वनों की कटाई और आग से लड़ने के लिए कानूनी क्षमता और तकनीकी विशेषज्ञता है।" आगे ब्राज़ील के जलवायु वेधशाला (क्लाइमेट ऑब्ज़रवेटोरी) के कार्यकारी सचिव मारासिओ अस्ट्रिनी कहते हैं, “आमतौर पर, जब वनों की कटाई बढ़ती है, तो हम यह सोचकर हैरान रह जाते हैं कि पर्यावरण अपराध को नियंत्रित करने के लिए किए गए प्रयासों में क्या गलत हुआ। इस बार, हम जानते हैं कि वृद्धि इसलिए हुई क्योंकि सब कुछ ठीक वैसा ही हुआ जैसा कि सरकार का इरादा था”। और अंततः, ब्राज़ील सरकार द्वारा पर्यावरण बजट को घटाने की कवायद पर Climate Observatory में वरिष्ठ सार्वजनिक नीति विशेषज्ञ सुलेय अरुजो कहते हैं, "पर्यावरण एजेंसियों के लिए 2021 के लिए कम बजट का प्रस्ताव यह स्पष्ट करता है कि सरकार इस मुद्दे को प्राथमिकता नहीं देती है। एक ओर तो उपराष्ट्रपति वनों की कटाई को नियंत्रित करने के लिए मजबूत कार्रवाई का वादा करते हैं और दूसरी ओर ऐसा बिल प्रस्तुत हो रहा है।”
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