नई दिल्ली। किसान आंदोलन अब किस दिशा में जायेगा यह तय नहीं है। किसान संगठनों ने साफ़ कह दिया है आंदोलन समाप्त नहीं होगा। वहीँ किसान आंदोलन के बीच भारतीय किसान यूनियन (भानू) और अन्य किसान संगठनों की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए किसान आंदोलन का समाधान करने की दिशा में देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को देखने के लिए 4 सदस्यों की कमेटी गठित कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के साथ ही अगले आदेश तक तीनों कृषि कानून लागू नहीं होंगे। इस कमेटी में जो 4 लोग हैं वो हैं, भारतीय किसान संघ अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यसभा सांसद के भूपेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (कृषि विशेषज्ञ), अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल घनावंत (शेतकारी संगठन) जो पहले से ही सरकार के द्वारा बनाये नए किसान कानून के समर्थक हैं या पक्षधर रहे हैं यह पब्लिक डोमेन में भी हैं ? सुप्रीम कोर्ट के स्टे के आधार पर ये कमेटी अपनी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को ही सौंपेगी, जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आती है तबतक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून पारित होने से पहले जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था वो अगले आदेश तक जारी रहेगा। कोर्ट ने गठित कमेटी से कहा कि वो दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप दें। देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति, सरकार के साथ-साथ किसान संगठनों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों को सुनने के बाद इस न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। प्राप्त रिपोर्ट में कमेटी की सिफारिशें होंगी। यह काम दो महीने में पूरा किया जाना है। पहली बैठक आज से दस दिनों के भीतर आयोजित की जाएगी। किसानों का सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि किसने और क्यों इन लोगों का नाम रिकमंड किया सुप्रीम कोर्ट के सामने यह बड़ा विषय है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता एवं किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है किसान माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे है। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी। देश का किसान इस फैसले से निराश है। एक नया पहलू सामने और आया है जब किसान आंदोलन को गलत बताने पर आमादा सरकार ने फ़र्ज़ी किसान संगठनों का समर्थन लेकर ट्वीटर युद्ध छेड़ दिया है ? कुल मिलाकर सरकार अपने गलत को सही बताकर किसी भी कीमत पर सही साबित करने में जुट गयी है।प्रतीक न्यूज़ को सूत्रों से प्राप्त जानकारी और एक टीवी रिपोर्ट के अनुसार हिन्द मजदुर किसान समिति जिसका पता ए टू जेड कॉलोनी परवसा गांव जिला बागपत है वह किसान आंदोलन के बाद दिसंबर में पंजीकृत हुई और किसान आंदोलन के खिलाफ सरकार के कृषि मंत्री से मिलकर अपना समर्थन दिया आखिर इसके पीछे की साजिश किसकी है यह कृषि मंत्री के ट्वीट से पता लग जाता है कि सरकार नए - नए फ़र्ज़ी किसान संगठन बनवाकर और वित् पोषित करके अपने कानून को अच्छा बताने की मुहीम में जुट गयी है। अब देखना होगा कि किसान सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नयी कमेटी को मानने के लिए बाध्य तो नहीं हैं लेकिन वह किस कदम की तरफ बढ़ते हैं। हालाँकि किसानों से स्पष्ट कर दिया है कमेटी में शामिल लोगों से वह सहमत नहीं है क्योंकि वह सरकार के समर्थक है और पब्लिक में उनके बारे में सभी जानकारी उपलब्ध है। और 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड और किसान आंदोलन समाप्त नहीं होगा और धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।
बुधवार, 13 जनवरी 2021

सुप्रीम कोर्ट में कमेटी बनवाकर सरकार रही सुप्रीम, किसान जारी रखेंगे आंदोलन
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