मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से आता हूँ जिसने दुनिया को स्वीकार करना और सहिष्णुता सिखाई है और जो सभी धर्मों को सच मानता है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से आता हूँ जिसने पृथ्वी के सभी धर्मों और देशों के सताए हुए लोगों को शरण दी है। - स्वामी विवेकानंद, शिकागो भाषण, 1893..
भोपाल, 12 जनवरी। आज स्वामी विवेकानंद की 158 वीं जयंती है।इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाते हैं।एकता परिषद के संस्थापक पी. वी. राजागोपाल ने कहा कि मैं 1893 में शिकागो में दिए गए विवेकानंद जी के भाषण में से इन शब्दों पर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।मेरा मानना है कि हमारे राष्ट्र की ताकत आत्मसात करने और एक साथ आगे बढ़ने में निहित है। विवेकानंद जी एवं गांधी जी दोनों ही समावेशीता के विश्वासी थे और उनका मानना था कि भारत की सुंदरता विभिन्न फूलों से रचित एक गुलदस्ता है। उन्होंने स्वामी के वक्तव्य को कोड किया ' मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से आता हूँ जिसने दुनिया को स्वीकार करना और सहिष्णुता सिखाई है और जो सभी धर्मों को सच मानता है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से आता हूँ जिसने पृथ्वी के सभी धर्मों और देशों के सताए हुए लोगों को शरण दी है। - स्वामी विवेकानंद, शिकागो भाषण, 1893'। आगे उन्होंने कहा कि हालाँकि, आज यह देखना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि विवेकानंद जी एवं कई अन्य दार्शनिकों के देश में विभिन्न प्रचारों के माध्यम से इस ताकत को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इस तरह के प्रयास का बहुत हालिया उदाहरण अहिंसक किसानों के कृषि कानूनों के खिलाफ जाने पर देखा जा सकता है। सत्ता में बैठे लोग इस विरोध को खालिस्तानी, अर्बन नक्सल जैसे नामों से चित्रित करने का प्रयास कर रहे हैं और वे इसे देशद्रोही कहते हैं। जो कि सरकार का मुख्य मुद्दे को संबोधित करने से हटने का प्रयास हां एक प्रयास है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के कल के बयान में आशा की किरण देखी जा सकती है जो किसानों के अहिंसक स्वभाव की सराहना करती है और सरकार से किसानों के मामले पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहती है। इससे पता चलता है कि इस तरह के अहिंसक और एकीकृत विरोध प्रदर्शन हमारे देश की ताकत हैं और कोई भी प्रचार तंत्र उनके खिलाफ काम नहीं कर सकता है। इस प्रकार, आज के युवाओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे स्वामी विवेकानंद के उपदेशों को समझें और अपने देश की घटती एकता को बचाने की दिशा में काम करें और राष्ट्र को विवेकानंद और गांधीजी के दर्शन की ओर अग्रसर करें। राजगोपाल पी. वी. एकता परिषद के संस्थापक एवं अखिल भारतीय सर्वोदय समाज के राष्ट्रीय संयोजक हैं।
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