पटना (अलोक कुमार) अब बिहार से शराबबंदी उठा लेना ही बुद्धिमानी है.अब तो हर जगहों से शराब बरामद होने की खबर मिलने लगी है.अब तो पुलिसकर्मियों में दमखम नहीं रहा जो 2016 में था. राजधानी में स्थित पटना के एसके मेमोरियल हॉल के एक कोने से निकली धीमी-सी आवाज- नीतीश जी शराब को बंद करा दीजिए, इस आवाज ने एेसा असर डाला कि बिहार में इसके लिए सख्त कानून बनाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बहुत बड़े सामाजिक दायित्व के निर्वहन का बीड़ा उठाया और उसे पूरा कर दिखाया. 1 अप्रैल 2016 को शराबबंदी की बात चली और 5 अप्रैल को बिहार में शराब बंद कर दिया गया.आज भी वह दिन बिहार के लिए यादगार बनकर रह गया.शराब बंदी के इस बड़े फैसले की एक ओर तारीफ हुई तो दूसरी ओर निंदा भी. सब झेलते हुए आखिरकार शराबबंदी ने अपने चार साल पूरे कर लिए. पटना प्रमंडल के आयुक्त संजय अग्रवाल ने शराबबंदी को कड़ाई से लागू करने दिया निर्देश है.बिहार में शराबबंदी लागू होने के बावजूद शराब माफिया की सक्रियता सरकार की किरकिरी करा रही है, इसे देखते हुए पटना के कमिश्नर संजय अग्रवाल ने एक बड़ा आदेश दिया है. कमिश्नर संजय अग्रवाल ने पटना के डीएम और एसएसपी को निर्देश दिया है कि शराब माफिया से कनेक्शन रखने वाले दोषी अधिकारियों पर जल्द कार्रवाई की जाए. कमिश्नर संजय अग्रवाल ने इस मामले में अधिकारियों के ऊपर एफआईआर दर्ज कर तुरंत जेल भेजने को भी कहा है. आज पटना हाई कोर्ट ने गोपालगंज जिले के खजुरिया ग्राम में अवैध शराब पीने से हुई 16 लोगों की मौत मामले में विभिन्न पदों पर रहे पुलिसकर्मियों के बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया. जस्टिस आशुतोष कुमार ने इस मामले में 10 पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी को रद्द करते हुए राहत दी.इन पुलिसकर्मियों में मिथिलेश्वर सिंह, नीतीश कुमार सिंह, मनीष कुमार, सुनील कुमार श्रीवास्तव, चंद्रिका राम, धीरज कुमार राय, राज भारत प्रसाद सिंह, मनोज कुमार सिंह, राकेश कुमार सिंह व नवल कुमार सिंह शामिल हैं.
गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021
अब बिहार से शराबबंदी उठा लेना ही बुद्धिमानी
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