- --74वें स्थापना दिवस से शुरू हो रहा पुस्तक-मित्र अभियान
- -- पहला कदम के तहत दरियागंज पुलिस स्टेशन, दिल्ली-02 के साथ रविवार को आयोजन होंगे
नई दिल्ली : राजकमल प्रकाशन अपने 74वें स्थापना दिवस के अवसर पर 'पुस्तक-मित्र अभियान' को विधिवत शुरू कर रहा है। इसका पहला कदम 'चलें ज्ञान की ओर' होगा, जिसके तहत दरियागंज पुलिस स्टेशन, दिल्ली-02 के साथ 28 फरवरी, रविवार को आयोजन किए जाएँगे. गौरतलब है कि अपने 75वें वर्ष की ओर बढ़ते हुए राजकमल ने पिछले दो वर्षों से 'भविष्य के स्वर' कार्यक्रम का सिलसिला चला रखा था। जिसमें अब तक 14 अत्यंत संभावनाशील युवा प्रतिभाओं के व्याख्यान हो चुके हैं। लेकिन कोविड-19 की महामारी के दौर में इस वर्ष उस कार्यक्रम को पाठकोन्मुख बनाते हुए भविष्य के पाठकों तक पहुँचने का रास्ता बनाने की ओर बढ़ रहा है। 'पुस्तक-मित्र अभियान' पढ़ने की संस्कृति (रीडिंग कल्चर) को बढ़ावा देने की दिशा में एक सुनियोजित कोशिश है। इसके तहत पहला आयोजन दरियागंज पुलिस स्टेशन, दिल्ली-02 के सहयोग से 28 फ़रवरी 2021 को दोपहर में चुनिंदा बाल सुधार गृहों और उनके द्वारा संचालित स्टडी सर्किल में बाल साहित्य, जीवनियों और उपयोगी पुस्तकों के वितरण से शुरू होगा. जिसका समापन दरियागंज पुलिस स्टेशन परिसर में दिल्ली पुलिस के जवानों के बीच पुस्तक-वितरण से होगा। राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, अच्छी पुस्तकें हर वर्ग के लोगों तक पहुँचाना हमारा बुनियादी उद्देश्य है. हम पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव कदम उठा रहे हैं. पुस्तक- मित्र अभियान उसी की एक कड़ी है, जो राजकमल प्रकाशन की स्थापना के 75 वाँ वर्ष पूरा होने तक विशेष रूप से चलेगा. उन्होंने कहा, कोरोना काल में पुस्तकों का महत्व विशेष रूप से सामने आया. किताबों ने लोगों को न सिर्फ अकेलेपन से दूर रखा बल्कि अवसाद और दुश्चिंता जैसी कई समस्यायों में दवा का काम किया. किताबों ने अपनी रचनात्मक भूमिका साबित की. हम अधिक से अधिक लोगों तक उन्हें पहुँचाने का अपना दायित्व पूरा करने को प्रतिबद्ध हैं. पुस्तक-मित्र अभियान के पहले कदम को आगे बढ़ाने में विशेष सहयोग करने वाले दरियागंज के थानाध्यक्ष संजय कुमार ने कहा, साहित्यिक पुस्तकें तनाव भरे जीवन में राहत का काम तो करती ही हैं साथ ही अपनी संस्कृति से रूबरू भी कराती हैं। उन्होंने कहा, राजकमल प्रकाशन ने जो शुरुआत की है यक़ीनन बहुत प्रशंसनीय है।
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