बिहार : संगठन को बचाना चिराग के लिए बड़ी चुनौती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

बिहार : संगठन को बचाना चिराग के लिए बड़ी चुनौती

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पटना : मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल के मौजूदगी में लोजपा की एकमात्र एमएलसी नूतन सिंह भाजपा में शामिल हो गई थी। इसके बाद बुधवार को विधान परिषद में पार्टी का विलय विधिवत रूप से भाजपा में हो गया। विलय होने के बाद विधान परिषद में लोजपा की उपस्थिति नगण्य हो गई है। वहीं, विधानसभा में एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह को लेकर कहा जा रहा है कि वे भी बजट सत्र के बाद कभी भी जदयू में शामिल हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो विधानसभा और विधान परिषद में लोजपा का कहीं भी नामोनिशान नहीं रहेगा। विदित हो कि विधानसभा चुनाव के बाद से ही लोजपा में असंतोष गहराता जा रहा है। सबसे पहले पशुपति कुमार पारस के साथ पार्टी के एक धड़े ने नाराजगी जताई थी। लेकिन, बाद में मनाने के बाद मामला शांत हुआ। हालांकि, वे किसी भी प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में नहीं गए। नाराजगी को भांपते हुए चिराग ने दिसंबर में लोजपा की प्रदेश कार्यसमिति को भंग कर दिया था। सभी प्रकोष्ठों को भंग करने के बाद यह कहा जा रहा है कि संगठन के अंदर नारजगी को कम करने के लिए चिराग ने ऐसा किया है। लेकिन, ढाई महीने बीतने के बाद आंशिक बदलाव देखने को मिला है। पार्टी में गतिविधियां बंद है, निराश होकर नेता और कार्यकर्ता पार्टी छोड़ रहे हैं। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि बिहार में भूपेंद्र यादव के मिशन को पूरा करने के लिए चिराग अपने बंगले को बचाने में असफल होते दिख रहे हैं। जिस तरह चिराग ने नीतीश की रीढ़ की हड्डी को कमजोर किया है, उसी तरह भूपेंद्र यादव के चंगुल में फंसकर चिराग कमजोर होते जा रहे हैं। जल्द ही चिराग को अपनी नीति बदलनी होगी।

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