मिलकर काम करना है, बिहार को आगे बढ़ाना है : नीतीश - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 7 फ़रवरी 2021

मिलकर काम करना है, बिहार को आगे बढ़ाना है : नीतीश

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पटना 07 फरवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता की सेवा करना सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों का दायित्व बताया और कहा कि राजनीतिक तौर पर अलग होकर भी मिल-जुलकर काम करना है और प्रदेश को आगे बढ़ाना है। श्री कुमार ने रविवार को यहां विधानमंडल विस्तारित भवन के सेंट्रल हॉल में विधानसभा भवन शताब्दी वर्ष शुभारंभ सह प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि बिहार का पुराना इतिहास है। बीच में बिहार पिछड़ गया था लेकिन फिर से आगे बढ़ रहा है। आजादी के बाद डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, स्व. अनुग्रहण नारायण सिंह, जननायक कर्पूरी ठाकुर जैसी कई विभूतियों ने बिहार को आगे बढ़ाया है। बिहार आगे बढ़ रहा है और आगे बढ़ता ही रहेगा। उन्होंने कहा, "समाज के एक बड़े तबके पर किए जा रहे अच्छे कार्यों का प्रभाव दिखता है लेकिन समाज में 10 प्रतिशत लोग गड़बड़ करने वाले भी हैं। हमलोग भले ही राजनीतिक तौर पर अलग हैं लेकिन मिल जुलकर काम करना है, लोगों की सेवा करनी है और बिहार को आगे बढ़ाना है ताकि देश भी आगे बढ़ता रहे। समाज में प्रेम, भाईचारा और सद्भाव का माहौल बनाये रखना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी सदस्य विधायक या विधान पार्षद के रूप में निर्वाचित होते हैं वे सभी जनप्रतिनिधि, जनता के प्रतिनिधि हैं। लोकतंत्र लोगों का शासन है। लोग अपने बीच से एक प्रतिनिधि चुनकर शासन के लिए भेजते हैं। चाहे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के, सभी जनप्रतिनिधि सरकार के अंग होते हैं। आज कई जनप्रतिनिधियों ने जो बातें कही हैं उन सब बातों पर गौर करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में जनता मालिक है। सभी विधायक जनता के प्रतिनिधि हैं और सरकार में बैठे लोग जनता के सेवक हैं। सभी विधायक सरकार के अंग हैं चाहे पक्ष हों या विपक्ष। श्री कुमार ने कहा, "सदन के सदस्यों का कर्तव्य है कि अपने क्षेत्र में हो रही समस्याओं के संबंध में जानकारी ले और उनका कर्तव्य है कि वे सदन की कार्यवाही में इसे रखें और बाहर भी इसे सार्वजनिक करें। हम आप सबको आश्वस्त करते हैं कि जो भी सार्थक प्रश्न होगा उसका जरूर समाधान किया जाएगा। जब हम विधायक और सांसद थे तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथियों के साथ मिलकर सदन में लोगों के हित की बात एकजुट होकर रखते थे। सरकार का दायित्व है जनप्रतिनिधियों की बातें सुनना, और उसका समाधान करना। लोकतंत्र की मजबूती के लिए सभी जनप्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जनता की सेवा के लिए हमसब प्रतिबद्धत हैं। लोगों की समस्याओं को दूर करना हमारा कर्तव्य है। लोगों की सेवा करना ही हमारा धर्म है। जनता ने फिर से जो जिम्मेवारी दी है, हम उसे पूरा करेंगे।" 


मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कुछ सदस्यों ने चर्चा के दौरान विधानमंडल के सत्र की अवधि बढ़ाने की बात की है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विधानसभा के अध्यक्ष और विधान परिषद के कार्यकारी सभापति मिलकर निर्णय लें कि सदन अधिक से अधिक दिनों तक चलेे, जिसमें सदस्य अधिक से अधिक सवाल सदन के समक्ष रख सकें और उसका समाधान हो सके। श्री कुमार ने कहा कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने इस सेंट्रल हॉल का उद्घाटन 07 फरवरी 2016 को कराया था। इस दौरान 06 और 07 फरवरी को कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए थे। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा शताब्दी वर्ष समारोह पूरे साल चलेगा। इस समारोह में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी शामिल होंगे। देशभर के लोग भी इन कार्यक्रमों से अवगत होंगे। एक दिन ऐसा भी कार्यक्रम रखें जिसमें पूर्व विधायकों, विधान पार्षदों को भी आमंत्रित किया जाए ताकि हम उनके अनुभवों को सुनकर उनका लाभ उठा सकें। नई पीढ़ी के जनप्रतिनिधि कई बातों को भी जान सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार विधानसभा और बिहार विधान परिषद पहले संयुक्त रूप से उपसभा विधायी कहलाता था। वर्ष 1920 में बिहार विधानसभा भवन के निर्माण का कार्य शुरू हुआ और 07 फरवरी 1921 को यह भवन बनकर तैयार हो गया। उन्होंने कहा कि शताब्दी समारोह कार्यक्रम में ‘लोकतंत्र में विधानमंडल में सदस्यों की भूमिका’ पर परामर्श किया गया। इसके पहले भी कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है। विधायी परिषद के 100 वर्ष पूर्ण होने पर उस समय के सभापति स्व. ताराकांत झा ने बड़े पैमाने पर बिहार विधान परिषद शताब्दी समारोह कार्यक्रम आयोजित किया था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भी इसमें शामिल हुई थीं। इसी कार्यक्रम में व्याख्यान देने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी आए थे। देश और देश के बाहर के प्रमुख विद्वतजन ने भी अपने व्याख्यान दिए थे। विधान परिषद की पहली बैठक 20 जनवरी 1913 को पटना कॉलेज के प्रांगण में हुई थी। विधान परिषद् के सौ साल पूरे होने पर आयोजित हुये कार्यक्रम में स्व. रामाश्रय बाबू भी उपस्थित थे, जो पचास साल पहले विधान परिषद् के सदस्य बने थे। 

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