लखनऊ। उस अभागा शख्स का नाम है विष्णु तिवारी। उसके खिलाफ़ रेप का झूठा मुकदमा दर्ज किया गया। 20 साल बाद अदालत ने मुकदमे को झूठा बताया और उन्हें रिहा कर दिया। जी हां,यह उत्तर प्रदेश है।विष्णु तिवारी को 20 साल तक उस जुर्म की सजा मिली जो उन्होंने किया ही नहीं था। उनके पिता बेटे का दुख ना झेल सकें। उनकी माँ बेटे को याद करते करते, उसे आखिरी बार देखने की इच्छा लेकर ही भगवान को प्यारी हो गईं। इस सिस्टम ने उन्हें माता-पिता के आखिरी दर्शन भी नसीब ना होने दिए। इसकी भरपाई कौन करेगा? सामाजिक कार्यकर्ता है विनय पांडे। उसने पेटीशन शुरू करके अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली तथा माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ से मांग कर रहे हैं कि निर्दोष विष्णु तिवारी जी को आर्थिक मुआवजा तथा उनके परिवार में एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। जिससे विष्णु जी के ज़ख्मों पर संतोष का मरहम लग सके।
विष्णु तिवारी को न्याय दिलाएं
16 सितंबर, साल 2000 को यूपी के ललितपुर ज़िले के गांव सिलावन निवासी विष्णु तिवारी के खिलाफ़ रेप का झूठा मुकदमा दर्ज किया गया। 20 साल बाद अदालत ने विष्णु के खिलाफ दायर मुकदमे को झूठा बताया और उन्हें रिहा कर दिया। विष्णु के बारे में कहना है कि वह पढ़े लिखे नहीं थे। उन्हें न ही पुलिस जांच के बारे में पता था और न ही वकील के बारे में कुछ पता था। विष्णु को 20 साल तक उस जुर्म की सजा जेल में रहकर गुजारनी पड़ी, जो उसने किया ही नहीं था। इन 20 सालों में विष्णु ने अपना सब कुछ खो दिया-अपनी जवानी, माता-पिता, घर-परिवार। इसकी भरपाई कौन करेगा?उनके पिता बेटे का दुख ना झेल सकें और उन्हें लकवा मार गया और उनकी मौत हो गई। उनकी माँ बेटे को याद करते करते, उसे आखिरी बार देखने की इच्छा लेकर ही भगवान को प्यारी हो गईं। विष्णु तिवारी ने ना केवल माता-पिता को खो दिया बल्कि इस सिस्टम ने उन्हें माता-पिता के आखिरी दर्शन भी नसीब ना होने दिए। सिस्टम की लापरवाही और मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन ने विष्णु तिवारी का 20 साल का समय उनसे छीन लिया।.हम ये पेटीशन शुरू कर अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली तथा माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ से मांग करते हैं कि निर्दोष विष्णु तिवारी जी को आर्थिक मुआवजा तथा उनके परिवार में एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। हमारी पेटीशन साइन करें और जितना हो सके शेयर करें ताकि विष्णु जी के ज़ख्मों पर संतोष का मरहम लग सके।
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