बिहार : पटना में असरदार रहा बंद, नहीं खुले प्रतिष्ठान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 26 मार्च 2021

बिहार : पटना में असरदार रहा बंद, नहीं खुले प्रतिष्ठान

  • जीपीओ गोलंबर से बंद के समर्थन में निकला माले का जुलूस, डाकबंगला पर हुई वाम दलों की सभा
  • माले विधायकों की भी हुई बंद में भागीदारी, लोकतंत्र के हत्यारे नीतीश कुमार माफी मांगो
  • जीटी रोड सहित नेशनल हाईवे घंटो रहे जाम, प्रखंड मुख्यालयों-कार्यालयों पर मार्च
  • बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस अधिनियम, 2021 वापस लेने तक लड़ाई जारी रहेगी.

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पटना 26 मार्च, बिहार विधानसभा में पुलिसिया गुंडागर्दी व लोकतंत्र की हत्या के जिम्मेवार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार की जनता से माफी मांगने के सवाल पर आज महागठबंधन के आह्वान पर बिहार बंद का असर जोरदार रहा. राजधानी पटना में भी बंद का व्यापक असर देखा गया. अधिकांश दुकानें व प्रतिष्ठान बंद रहे. आॅटो सेवायें भी बंद रहीं. दूसरी ओर, तीनों कृषि कानूनों, निजीकरण व 4 श्रम कोड के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के संयुक्त आह्वान पर भारत बंद के समर्थन में अखिल भारतीय किसान महासभा, ऐक्टू सहित अन्य किसान - मजदूर संगठन से जुड़े कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में सड़क पर उतरे. दरभंगा के सिमरी थाना प्रभारी ने बन्द समर्थकों के साथ बदतमीजी की है।दलित महिला प्रमिला देवी को धक्का देकर घायल कर दिया है।सिंघवारा प्रखंड सचिव सुरेंद्र पासवान के साथ भी मारपीट की है! पटना में जीपीओ गोलबंर से माले, किसान महासभा व ऐक्टू के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने बंद के समर्थन में मार्च निकाला. जिसका नेतृत्व पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, अमर, किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केडी यादव, विधायक व किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव अरूण सिंह, तरारी से विधायक सुदामा प्रसाद, घोसी विधायक रामबलि सिंह यादव, दरौली से विधायक सत्यदेव राम, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, कमलेश शर्मा, किसान नेता शिवसागर शर्मा, उमेश सिंह, मुर्तजा अली, ऐक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार आदि नेताओं ने किया. 


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जीपीओ गोलबंर से बंद का यह मार्च स्टेशन परिसर होते हुए डाकबंगला चैराहे पर पहुंचा और फिर वहां एक सभा आयोजित की गई. सीपीआईएम-सीपीआई व उनसे जुड़े ट्रेड यूनियन व किसान संगठन के साथ-साथ राजद के भी लोग बंद के समर्थन में डाकबंगला चैराहा पर पहुंचे और फिर चैराहे को जाम कर दिया. वहां पर बंद समर्थकों ने सभा आयोजित की. मार्च के दौरान माले कार्यकर्ता नीतीश कुमार बिहार की जनता से माफी मांगो, डीजीपी व डीएम पर कार्रवाई करो, लोकतंत्र की हत्या बंद करो, बुद्ध की धरती को पुलिसिया राज में बदलने की साजिश मुर्दाबाद, बिहार को यूपी बनाना बंद करो के साथ-साथ तीनों कृषि कानून व पुलिस राज अधिनियम 2021 को वापस लेने संबंधी नारे लगाते रहे. सभा को विधायक अरूण सिंह, केडी यादव, ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव, ऐडवा की रामपरी, सीपीआई के जिला सचिव रामलला सिंह, सुदामा प्रसाद, सत्यदेव राम आदि नेताओं ने संबोधित किया, जबकि संचालन कमलेश शर्मा ने किया. माले विधायक व अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव अरूण सिंह ने इस मौके पर कहा कि 23 मार्च को विधानसभा के अंदर जनप्रतिनिधियों के साथ नीतीश जी के इशारे पर जो सलूक किया गया है, उसने पूरी दुनिया में बिहार का नाम बदनाम कर दिया है. संसदीय व्यवस्था के इतिहास में आज तक ऐसा नहीं हुआ, जो नीतीश जी के शासनकाल में हुआ. उन्होंने पुलिस राज की झलकी दिखलाई. इसके खिलाफ आज बिहार की जनता सड़क पर है और स्वतःस्फूर्त बिहार बंद है.


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केडी यादव ने कहा कि नीतीश जी खुद को लोहिया व जेपी का चेला बताते हैं.लोहिया व जेपी की लड़ाई तो लोकतंत्र की लड़ाई थी. नीतीश जी पुलिस राज बना रहे हैं. वे लोहिया व जेपी की विचारधारा को त्यागकर भाजपा की गोद में जा बैठे हैं. माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि क्या बिहार के डीजीपी को नहीं मालूम है कि पुलिस कार्रवाई का भी नियम-कायदा है. आज जब पूरे देश व दुनिया में लोकतंत्र की संस्था पर हुई पुलिसिया कार्रवाई की निंदा हो रही है, तब डीजीपी बयान दे रहे हैं कि विधानसभा के अध्यक्ष की अनुमति के बाद ज्यादा बल प्रयोग करने वाले पुलिस पर कार्रवाई की जा सकती है. जबकि पूरी दुनिया ने अपनी खुली आंखों से देखा कि डीजीपी, डीएम व एसपी के नेतृत्व में यह कायरतापूर्ण कार्रवाई की गई और जनता के चुने प्रतिनिधियों को लात-घूसों से पीटा गया. यहां तक कि गैर पुलिस तत्वों ने विपक्ष के विधायकों को बेरहमी से पीटा. वीडियो फुटेजों से साफ पता चलता है कि डीएम के कहने और एसपी के इशारे पर पुलिस ने हर सीमा का उल्लंघन किया. महिला विधायकों तक को नहीं छोड़ा, उन्हें घसीटा गया, यहां तक कि एक पूर्व महिला मंत्री की साड़ी खुलने तक की नौबत आ गई. इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति और क्या हो सकती है? डीजीपी को बिहार की जनता से माफी मांगनी चाहिए.


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धीरेन्द्र झा ने कहा कि पुलिस ने किसी भी कायदे - कानून को नहीं माना और आने वाले पुलिस राज की झलकी दिखलाई. पुलिस, बिहार के मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा किए गए इस जघन्य अपराध और बिहार को लोकतंत्र की कब्रगाह बना देने की अति निंदनीय घटना को बिहार की जनता देख रही है. राज्य की जनता अपने राज्य को पुलिस राज नहीं बनने देगी और लोकतंत्र की रक्षा में आगे आएगी. डाकबंगला चैराहे पर आयोजित सभा को अन्य दलों के नेताओं ने भी संबोधित किया. जीटी रोड रहा जाम: गया जिले के डोभी में माले कार्यकर्ताओं ने जीटी रोड को जाम किया. इसके अलावे गया-कुर्था रोड, गया-खिजरसराज रोड को भी घंटो जाम रखा गया. पूर्वी चंपारण में एनएच 28 को लगभग एक घंटा जाम किया गया. जयनगर में महावीर चैक व वाटर वेज चैक जाम रहा. समस्तीपुर में एनएच 28 को माले कार्यकर्ताओं ने जाम किया. मुजफ्फरपुर में एनएच 77 को तुर्की-कुढ़नी , पूर्वी चंपारण में मोतिहारी-अरेराज रोड, सिवान में जेपी चैक, दाउदनगर में पटना-औरंगबाद रोड, अरवल में पटना-औरंगाबाद रोड को भगत सिंह चैक, बोचहां-मुजफ्फरपुर में एनएच 57, भागलपुर में सुजागंज बाजार, दरभंगा में एनएच 57 को बाजार समिति चैक, नवादा में प्रजातंत्र चैक, भागलपुर में एनएच 80 आदि सड़कों पर परिचालन व्यवस्था ठप्प कर दिया गया. सीतामढ़ी में इंसाफ मंच के कार्यकर्ताओं ने मार्च किया. मधेपुरा, बिहारशरीफ, नवादा, वैशाली, समस्तीपुर, पूर्णिया, गोपालगंज आदि जिला केंद्रों पर भी बंद के समर्थन में मार्च हुआ.

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