गोपनीयता के कानून की समाप्ति एवं सम्पति कर लागू करने की मांग को लेकर बैठक - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 21 मार्च 2021

गोपनीयता के कानून की समाप्ति एवं सम्पति कर लागू करने की मांग को लेकर बैठक

economic-justice
मोतिहारी.आज रविवार को मोतिहारी नरसिंह बाबा के मठ के प्रांगण में आर्थिक न्याय के लिए सरकार एवं सभी राजनीतिक दलों से अमीरी रेखा के निर्माण,धन के गोपनीयता के कानून की समाप्ति एवं सम्पति कर लागू करने की मांग को लेकर बैठक की गयी. प्रबुद्ध जनता एवं युवा साथियों को संबोधित करते हुए आर्थिक न्याय मिशन "हम हैं भारत"के राष्ट्रीय संयोजक श्री हरेराम महतो ने कहा कि जब तक देश के हर नागरिक को अभाव मुक्त नहीं किया जा सकेगा तब तक लोकतंत्र और स्वतंत्रता कोरी बकवास है. देश में आज चालू नेताओं ने समाज को धार्मिक जातीय एवं क्षेत्रीय मुद्दा में उलझा कर रख दिया है. उन्होंने कहा कि चारों तरफ इंसानों के बीच में तनाव पैदा कर दिया गया है जिससे एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के एक जाति के लोग दूसरे जाति के एवं एक क्षेत्र के लोग दूसरे क्षेत्र के लोगों के परस्पर विरोध में खड़े नजर आने लगे हैं.जिससे सामाजिक समरसता छिन्न-भिन्न हो गई है. इन सभी के पीछे आर्थिक असमानता सबसे बड़ा कारक है. आगे कहा कि जबतक इसे दूर नहीं किया जा सकेगा एवं लोगो को अभाव मुक्त स्वतंत्र तथा सम्मानजनक जीवन जीने का व्यवस्था नहीं की जाएगी तब तक देश कभी विश्व गुरु नहीं हो सकता चाहे जितना भी वंदे मातरम जय श्री राम या भारत माता की जय का नारा लगा लीजिए. श्री महतो ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है एक सौ लाख करोड़ से ज्यादा देश पर देसी विदेशी कर्ज लग रहा है परिणाम स्वरूप देश को चलाने के लिए पूर्वजों के द्वारा अर्जित परिसंपत्तियों को बेचा जा रहा है जो समस्या का स्थाई समाधान नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि देश को सुदृढ़ ढंग से चलाने के लिए एवं हर जनता को अभाव मुक्त करने के लिए धन की आवश्यकता होती है जो वर्तमान कर प्रणाली से कतई संभव नहीं है अतः सभी तरह के टैक्सों को बंद कर दिया जाना चाहिए एवं देश के मुट्ठी भर करीब 14 लाख लोगों पर मिनिमम (5%) सलाना ब्याज के दर से संपत्ति कर लागू होना चाहिए जिससे देश को चलाना कम से कम 4 सौ लाख करोड़ से ज्यादा के आमदनी होना संभव है. जहां सरकार को विभिन्न तरह के टैक्सों को लगाकर जनता को परेशान करने के बावजूद भी अधिकतम 25 लाख करोड़ की आमदनी जुटा पाना मुश्किल हो गया है जबकि पिछले वर्ष 36 लाख करोड़ से ज्यादा का बजट बना था. ऐसी स्थिति में करीब  ग्यारह लाख करोड़ का बजट घाटा चला गया. इस घाटे की पूर्ति सरकार कैसे कर सकती है? यह सरकार के द्वारा देश को बताया जाना चाहिए. आर्थिक न्याय मिशन के थ्योरी के अनुसार मुट्ठी भर अति धनकुबेरों पर 5% चलाना संपत्ति कर लगा देने से 4 लाख करोड़ आमदनी संभव हो जाएगा जिससे सरकार को सभी क्षेत्रों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने में परेशानी नहीं होगी नौकरी पेशा लोगों को वेतन देने में कोई समस्या नहीं होगा और देश के प्रत्येक नागरिक को उसके हिस्से का 10-10 हजार रुपए प्रति माह दे देना एवं देश पर लदे तमाम कर्ज को चुका देने के बावजूद भी सरकार के खजाने में अकूत धन राशि जमा रहना संभव है. सरकार अपनी अक्षमता के कारण या धूर्तता के कारण ऐसा नहीं कर रही है। जिससे मुट्ठी भर लोगों का शासन देश के 130 करोड़ से ज्यादा लोगों पर चलता रहे.

कोई टिप्पणी नहीं: