- छात्र-नौजवानों ने भगत सिंह के सपनों का भारत बनाने का लिया संकल्प., देश की आजादी व लोकतंत्र पर हमला बंद करे सरकार - आइसा
मुजफ्फरपुर. आज आॅल इंडिया स्टूडेन्ट्स एसोसिएशन (आइसा) ने शहीदे आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू के शहादत दिवस को रोजगार अधिकार दिवस के रूप में मनाया. इस अवसर पर मुखर्जी सेमिनरी रोड स्थित आइसा कार्यालय में छात्र- नौजवानों ने भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के साथ शहीदे आजम भगत सिंह के सपनों का भारत बनाने का संकल्प लिया. इस अवसर पर मोदीराज में देश की आजादी, लोकतंत्र व संविधान पर लगातार हो रहे हमले के खिलाफ संघर्ष तेज करने का भी संकल्प लिया गया.इसके बाद आइसा कार्यकर्ताओं ने शहर में छात्र-युवा अधिकार मार्च निकाला.इस दौरान छात्रों को बेहतर व मुफ्त शिक्षा तथा नौजवानों को रोजगार देने, शिक्षा व रोजगार विरोधी नई शिक्षा नीति वापस लेने, लाॅकडाउन से परेशान छात्रों से शैक्षणिक शुल्क लेने पर रोक लगाने, शैक्षणिक संस्थानों में मुफ्त नामांकन व शिक्षा की गारंटी करने, बैंक, रेलवे सहित सरकारी संसाधनों के निजीकरण पर रोक लगाने ,खेत-खेती-किसान विरोधी तीनों कृषि कानून को वापस लेने, लाॅकडाउन के कारण बेरोजगार हुए सभी मजदूरों को रोजगार देने,बेरोजगारों को रोजगार मिलने तक 10 हजार रुपये प्रति माह बेरोजगारी भत्ता देने, बंद पड़े कल-कारखानों को चालू करने सहित अन्य मांगो को लेकर आवाज बुलंद की.
श्रद्धांजलि सभा व मार्च में आइसा के राज्य पार्षद दीपक कुमार, शाहनवाज, सौरभ कुमार,फैजान अख्तर, राघवेन्द्र कुमार, मो.आदिल, मुन्ना कुमार, आनंद, सर्वेश, मो.गुलजार,सदाफ अहमद, विक्की कुमार, सचिन, मो.जफर सहित आइसा के पूर्व राज्य अध्यक्ष सूरज कुमार सिंह,इंसाफ मंच के जिला अध्यक्ष फहद जमां व अन्य छात्र-नौजवान शामिल थे. इस अवसर पर आइसा कार्यकर्ताओं ने कहा कि 23 मार्च भगतसिंह शहादत दिवस से शुरू कर 14 अप्रैल बाबा साहेब अंबेदकर की जयंती तक आइसा और इंकलाबी नौजवान सभा के द्वारा देशव्यापी युवा अधिकार अभियान चलाया जायेगा. इस दौरान नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ बंद करने तथा रोजगार का प्रबंध करने की मांग के साथ शहर से गांव तक छात्र-नौजवानों का मार्च तथा धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया जायेगा. आगे उन्होंने कहा कि देश को आजादी शहीदे आजम भगत सिंह सहित लाखों छात्र-नौजवानों और देशवासियों की कुर्बानी के बल पर मिली थी. लेकिन भगत सिंह और शहीदों के सपनों का भारत बनाने की लड़ाई आज भी जारी है. आजादी के 74 वर्षों के बाद भी देश में भारी आर्थिक संकट, तंगहाली व बेरोजगारी से आमलोग त्रस्त हैं. कोरोना महामारी से निबटने के नाम पर मनमाने ढंग से देश पर लाॅकडाउन थोपने के कारण छात्र-नौजवानों सहित मजदूर-किसानों, व्यवसायियों का संकट चरम पर है. इन संकटों को ठोस तरीके से हल करने के बदले मोदी सरकार निजीकरण करने में जुटी है. साथ ही आत्मनिर्भरता के नारे की आड़ में सरकार देश पर काॅरपोरेट- कम्पनी राज थोपने में जुटी है जो देश के वर्तमान व भविष्य के साथ खिलवाड़ है. तीन काले कृषि कानूनों को थोप कर खेत-खेती को भी अंबानी-अडानी के हवाले किया जा रहा है. जिसका पूरे देश में विरोध जारी है. छात्र-नौजवानों का हित और देश का भविष्य भगत सिंह व अंबेदकर के रास्ते पर चलकर कर ही सुरक्षित रह सकेगा.
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