बिहार :जहां झुग्गी-वहीं मकान के आधार पर आवास नीति बनाने की मांग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 2 मार्च 2021

बिहार :जहां झुग्गी-वहीं मकान के आधार पर आवास नीति बनाने की मांग

  • कल 3 मार्च को विधानसभा के सामने खेग्रामस व मनरेगा मजदूर सभा का संयुक्त प्रदर्शन
  • हजारों दलित-गरीब मजदूरों की होगी भागीदारी, विभिन्न इलाकों से पटना पहुंचने लगे दलित-गरीब 

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पटना, 2 मार्च, अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मज़दूर सभा (खेग्रामस) और मनरेगा मज़दूर सभा के द्वारा कल दिनांक 3 मार्च को विधानसभा के समक्ष दलितों-गरीबों और मनरेगा मजदूरों का प्रदर्शन होगा. प्रदर्शन में शामिल होने के लिए हजारों-हजार की संख्या में लोग आज शाम से ही पटना पहुंचने लगे हैं. माले विधायक व खेग्रामस के सम्मानित अध्यक्ष सत्यदेव राम व विधायक तथा खेग्रामस के राज्य अध्यक्ष बीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने आज संयुक्त बयान जारी करके कहा कि कल के विधानसभा मार्च में हजारों की तादाद शामिल होगी. यह मार्च 12 बजे गेट पब्लिक लाइब्रेरी से निकलेगा विधाकय सत्यदेव राम ने कहा कि  बिहार में 50 लाख से ज्यादा ऐसे गरीब परिवार हैं जो जहां बसे हैं उसका मालिकाना हक उस जमीन पर नही है. आज़ादी के बाद 1948 में पीपी एक्ट बना था जिसमें गरीबों को बासगीत पर्चा का प्रावधान लाया गया था. आज की स्थिति में शहर और देहात के लिए एक समेकित आवास कानून बनाने की जरूरत है. गांव-पंचायतों और शहरों में चल रहे गरीब बसाओ आंदोलन के मद्देनजर इस सवाल को विधानसभा में मज़बूती से उठाया जाएगा. कल के मार्च में पेंशन और राशन की मासिक गारंटी के साथ-साथ सरकारी विद्यालयों के लड़के-लड़कियों को स्मार्ट फोन देने, प्रधानमंत्री आवास योजना में लूट की आंधी पर रोक लगाने, बूढ़े-बुढियों, विकलांगों और विधवाओं को कई कई महीने के बकाये पेंशन का भुगतान, राशन की होम डिलीवरी, मनरेगा में लूट पर लगाम लगाने, 200 दिन मज़दूरों को काम मिले और 500 रुपये दैनिक मज़दूरी की व्यवस्था करने, ग्रामीण विकास कार्यों और कृषि से जोड़ने आदि मांगें उठायी जाएंगी कहा कि हम जब दलित-गरीबों के जमीन-आवास की बात जब विधानसभा में उठाते हैं, तो मुख्यमंत्री तिलमिला जाते हैं. ऐसा इसलिये होता है कि उन्हें अपना अपराध याद आने लगता है कि उन्होंने भूमि सुधार आयोग की अनुशंसाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया और भूमिहीनों को 5डिसमल जमीन देने की घोषणा से भाग खड़े हुए. हज़ारों शतकीय आयु के वृक्षों की कटाई करने वाली पर्यावरण विरोधी सरकार गरीबों को उजाड़ने के लिये पर्यावरण का रोना रोती है। गरीबों के वास आवास की रक्षा हो और नदियों-तालाबों की उड़ाही हो-संरक्षण हो की नीतियों के आधार पर खेग्रामस गरीब बसाओ आंदोलन चलाती है. गरीब बसाओ-तालाब बचाओ के हम आन्दोलनजीवी हैं. तालाब और नदियों को सबसे खतरा सत्ता संरक्षित भमाफ़ियों से है जिसे सबसे ज्यादा तालाब की संख्या वाले दरभंगा-मधुबनी में समझा जा सकता है।नेताओं ने मांग की है कि अंग्रेजों के समय हुए पहले सर्वे के आधार पर तालाबों और नदियों के नक्शे सरकार सार्वजनिक करे और जल नल और हरियाली योजना में मची लूट की जांच किसी पर्यावरण एक्सपर्ट संस्था से करबाई जाएं.

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