डीजीपी का बयान निंदनीय, पुलिस कार्रवाई का भी होता है कोई नियम-कायदा.
पटना 25 मार्च, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने विधानसभा के भीतर विपक्ष के विधायकों पर बर्बर पुलिस अत्याचार के संदर्भ में आज डीजीपी के आए बयान को निंदनीय बताया है. कहा कि क्या बिहार के डीजीपी को नहीं मालूम है कि पुलिस कार्रवाई का भी नियम-कायदा है. आज जब पूरे देश व दुनिया में लोकतंत्र की संस्था पर हुई पुलिसिया कार्रवाई की निंदा हो रही है, तब डीजीपी बयान दे रहे हैं कि विधानसभा के अध्यक्ष की अनुमति के बाद ज्यादा बल प्रयोग करने वाले पुलिस पर कार्रवाई की जा सकती है. जबकि पूरी दुनिया ने अपनी खुली आंखों से देखा कि डीजीपी, डीएम व एसपी के नेतृत्व में यह कायरतापूर्ण कार्रवाई की गई और जनता के चुने प्रतिनिधियों को लात-घूसों से पीटा गया. यहां तक कि गैर पुलिस तत्वों ने विपक्ष के विधायकों को बेरहमी से पीटा. वीडियो फुटेजों से साफ पता चलता है कि डीएम के कहने और एसपी के इशारे पर पुलिस ने हर सीमा का उल्लंघन किया. महिला विधायकों तक को नहीं छोड़ा, उन्हें घसीटा गया, यहां तक कि एक पूर्व महिला मंत्री की साड़ी खुलने तक की नौबत आ गई. इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति और क्या हो सकती है? डीजीपी को बिहार की जनता से माफी मांगनी चाहिए. पुलिस ने किसी भी कायदे - कानून को नहीं माना और आने वाले पुलिस राज की झलकी दिखलाई. पुलिस, बिहार के मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा किए गए इस जघन्य अपराध और बिहार को लोकतंत्र की कब्रगाह बना देने की अति निंदनीय घटना को बिहार की जनता देख रही है. हमें उम्मीद है कि राज्य की जनता अपने राज्य को पुलिस राज नहीं बनने देगी और लोकतंत्र की रक्षा में आगे आएगी. कल के बिहार बंद में इस गुस्से का इजहार होगा.
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