मंज़ूर एहतेशाम का जाना साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति : अशोक महेश्वरी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 26 अप्रैल 2021

मंज़ूर एहतेशाम का जाना साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति : अशोक महेश्वरी

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नई दिल्ली : प्रसिद्ध उपन्यासकार मंज़ूर एहतेशाम के निधन पर राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने गहरा शोक जताया है. उन्होंने कहा है कि मंज़ूर एहतेशाम का जाना साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है. अशोक महेश्वरी ने सोमवार को कहा, मंज़ूर एहतेशाम हिन्दी के उन चुनिंदा रचनाकारों में से थे जिन्होंने अपने लेखन के जरिये मुस्लिम समाज के बहाने भारतीय जनजीवन के अनेक देखे-अनदेखे पहलुओं को सामने रखा वे शोर-शराबों से दूर रहकर विनम्रता से सचाई को रेखांकित करने वाले लेखक थे. उनका जाना साहित्य जगत की और हमारे पूरे समाज की अपूरणीय क्षति है. उन्होंने कहा, राजकमल प्रकाशन को मंज़ूर एहतेशाम के सर्वाधिक चर्चित उपन्यास ' सूखा बरगद' समेत उनकी तमाम कृतियों को प्रकाशित करने का सौभाग्य हासिल है. उनका नहीं रहना राजकमल प्रकाशन समूह के लिए व्यक्तिगत क्षति है. शोक की इस घड़ी में उनके परिवार और पाठकों के प्रति हम हार्दिक संवेदना प्रकट करते हैं. गौरतलब है कि 3 अप्रैल 1948 को भोपाल में जन्मे मंज़ूर एहतेशाम का 26 अप्रैल 2021 को निधन हो गया. वे हिन्दी के प्रमुख उपन्यासकारों में शुमार थे. उनके ' सूखा बरगद' को हिन्दी के क्लासिक उपन्यासों में गिना जाता है. 1973 में उनकी पहली कहानी प्रकाशित हुई थी. पहर ढलते, कुछ दिन और, दास्तान-ए-लापता, बशारत मंज़िल और मदरसा उनके चर्चित उपन्यास हैं. तसबीह, तमाशा तथा अन्य कहानियाँ उनके यादगार कहानी संग्रह हैं. कथाकार सत्येन कुमार के साथ मिलकर उन्होंने 'एक था बादशाह' नाटक भी लिखा. उल्लेखनीय साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें 'पद्मश्री' समेत अनेक सम्मान प्रदान किये गए थे.

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