पटना. बिहार महादलित विकास मिशन के अंतर्गत कार्यरत कर्मी हैं विकास मित्र.विकास मित्र के द्वारा ही सरकारी योजनाओं को दलितों के द्वार पहुंचाया जाता है.विकास मित्र की बहाली दलित समाज से किया जाता है.अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में 50 महादलित परिवार पर एक विकास मित्र का चयन किया जाता है.यह चयन प्रक्रिया 2010 से शुरू किया गया.इस समय प्रदेश में लगभग 9500 विकास मित्र कार्यरत हैं. मसौढ़ी के विकास मित्र कहते हैं कि प्रारंभिक काल में विकास मित्र का मानदेय 3000(तीन हजार) रूपये था.प्रदेश के प्रखंड कार्यालय में बिना विकास मित्र के काम नहीं हो पाता है.राशनकार्ड बनाना, पेंशन वितरण, आवास योजना, शौचालय योजना,जनगणना सरकार की सात निश्चय योजना से संबंधित कार्य विकास मित्र ही करते हैं.उन्होंने कहा कि विकास मित्र को चुनाव वक्त चुनावी कार्य में झोंक दिया जाता है.संजय कहते हैं कि वे खुद ही विधानसभा चुनाव में कार्य किए हैं. प्रखंड कार्यालय से लेकर दलितों के द्वार तक विकास मित्र कोरोना काल में कार्य कर रहे हैं.इस बीच मुजफ्फरपुर जिले के जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने विकास मित्र के नाम से संदेश दिए है या उसको पत्र भी कह सकते हैं.जिलाधिकारी के द्वारा कहा गया है कि विकास मित्र, बिहार महादलित विकास मिशन के अंतर्गत कार्यरत कर्मी है. विकास मित्र की भूमिका व्यापक है.गांव के विकास मे आपका महत्वपूर्ण योगदान है.अतः आप अवगत है कि जिले में प्रत्येक वर्ष अप्रैल से जून माह तक मस्तिष्क ज्वर ,दिमागी बुखार, चमकी बुखार के प्रभाव से 01से 15 वर्ष के बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं.यहां तक की उनकी मृत्यु भी हो जाती है.ये एक गंभीर बीमारी है.जो ससमय उपचार मिलने से ठीक हो सकता है.यदि आपके क्षेत्र मे बच्चे में उक्त लक्षण मिले तो आप नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र मे पहुंचाने का कष्ट करें. आपसे अनुरोध है कि विकास मित्र होने के नाते गांव के स्वास्थ्य विकास के लिए बीमारियों से बचाव तथा स्वास्थ्यबर्द्धन के दायित्व का निर्वहन करें तथा स्वस्थ समाज,स्वस्थ मुजफ्फरपुर एवं स्वस्थ बिहार के निर्माण में अपना योगदान करें. इधर जमुई जिले में खराब पड़े चापाकलों का सर्वेक्षण अब विकास मित्र करेंगे.इसके साथ ही पेंशन से वंचित विधवाओं की सूची तैयार करने की जिम्मेवारी भी विकास मित्रों को दी गई है. यह जवाबदेही जिला पदाधिकारी अवनीश कुमार सिंह के निर्देश पर दी गई है.सरकार द्वारा जो कार्य मिलता है उनका निर्वहन विकास मित्र के द्वारा किया जाता है. विकास मित्र कहते है कि कोरोना की प्रथम लहर में जोरदार ढंग से कार्य करने वाले विकास मित्र को 2020 में फ्रंटलाइन वॉरियर्स घोषित करने की मांग की गयी थी.इस बार 2021 में द्वितीय लहर के समय भी मांग की जा रही है. उन्होंने कहा कि कोविड से मरे शिक्षकों को अनुकंपा का लाभ देने के लिए सरकार नीति बना रही है. ठीक उसी प्रकार से सरकार से मांग करते हैं कि कोविड से मरे विकास मित्र को भी अनुकंपा का लाभ मिलना चाहिए. विकास मित्र अपने क्षेत्र मे कार्य के दौरान कोरोना के चपेट मे आ जाते है जिससे उनकी मौत हो जा रही है. विकास मित्र महादलित समाज के साथ-साथ गरीब परिवार से आते हैं.उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती है.जिससे उनका इलाज सही ढंग से नहीं हो पाता है.विकास मित्र के मर जाने से उनके परिवार को कोई देखने वाला नहीं होता है.उनके परिवार दाने दाने को मोहताज हो जाते हैं.जिस तरह से कोविड से मरे शिक्षकों को अनुकंपा का लाभ मिलने की नीति बन रही है.ठीक उसी तरह से कोविड से मरे विकास मित्र को भी अनुकंपा का लाभ मिलना चाहिए ताकि उनके परिवार का भरण पोषण हो सके. इस कोरोना काल मे बिना सुरक्षा के विकास मित्र अपनी जिंदगी के परवाह किए बिना कार्य को कर रहे हैं.इसलिए विकास मित्र को भी 50लाख का बीमा होना जरूरी है.इस समय विकास मित्र का मानदेय 12,056 मिलेगा है.
मंगलवार, 25 मई 2021
बिहार : विकास मित्र को भी 50लाख का बीमा होना जरूरी
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