कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के स्थापना दिवस पर ऑनलाइन समाजवादी समागम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 17 मई 2021

कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के स्थापना दिवस पर ऑनलाइन समाजवादी समागम

  • संघर्ष  और वैचारिक मजबूती के साथ मध्यप्रदेश में फिर से समाजवादी आंदोलन को पुनर्जीवित करने का लिया संकल्प
  • 20 जिलों के 30 से ज्यादा नेताओं ने समागम में अपने विचार व्यक्त किए

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17 मई 20 21 । कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की 87वीं  वर्षगांठ के मौके पर मध्य प्रदेश के समाजवादी आंदोलन से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आज बहुजन संवाद पर ऑनलाइन समाजवादी समागम का आयोजन किया । इस समागम में प्रदेश के 20 जिलों के 30 से ज्यादा नेताओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संघर्ष और वैचारिक मजबूती से ही मध्यप्रदेश में फिर से समाजवादी आंदोलन को मजबूती दी जा सकती है ।आज भी गांव गांव में समाजवादी कार्यकर्ता मौजूद है, लेकिन उन्हें दिशा देने की जरूरत है। यदि हम सब संकल्प ले लें तो निश्चित रूप में आज जो स्थितियां है, उसे देखते हुए समाजवादी आंदोलन फिर से विकल्प बन सकता है। समाजवादी समागम के ऑनलाइन वेबीनार की शुरुआत करते हुए पूर्व विधायक और  समाजवादी समागम के संयोजक डॉ सुनीलम ने कहा कि कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना का मकसद ही था गरीबों ,मजदूरों ,किसानों, मजदूरों की आवाज को बुलंद किया जाए और आजादी के आंदोलन में उनकी भागीदारी हो ।आज से 87 वर्ष पहले सन 1934 में पटना के अंजुमन इस्लामिया हाल में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना हुई थी। उस सम्मेलन की अध्यक्षता प्रसिद्ध मार्क्सवादी विचारक आचार्य नरेंद्र देव ने की थी। सम्मेलन में जयप्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया, संपूर्णानंद, एमआर मसानी, पुरुषोत्तम त्रिकुमदास, रामवृक्ष बेनीपुरी, कमलादेवी चट्टोपाध्याय जैसे कई महत्त्वपूर्ण लोगों को मिलाकर कुल सौ लोग उपस्थित थे।  भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को समाजवादी सिद्धान्तों के आधार पर जनाभिमुख बनाने के लिये ही इस पार्टी की स्थापना की गयी थी। इन युवा समाजवादियों का विचार था कि जब तक आर्थिक और सामाजिक गैर बराबरी समाप्त नहीं होगी तब तक राजनीतिक  स्वतंत्रता अर्थहीन है।डा. सीनियर ने कहा किआज भारत आज़ाद जरूर है लेकिन जनता के सामने तानाशाही की परिस्थितियां 1930 के दशक जैसी ही कठिन हैं। ऑनलाइन  समाजवादी समागम को इंदौर के वरिष्ठ समाजवादी नेता रामबाबू अग्रवाल ने कहा कि आज विकल्प की आवश्यकता है हमें घरों में बैठे लोगों को जोड़ना होगा जो वर्तमान में लड़ सकते हैं उन्हें एकजुट करना होगा। उन्होंने कहा कि एकजुटता बनाने में समाजवादियों की अग्रणी भूमिका रही है। इंदौर से वरिष्ठ समाजवादी एड.अनिल त्रिवेदी ने कहा कि समाजवादी आंदोलन ऐसे विचारों का आंदोलन है जो सामान्य से सामान्य व्यक्ति को भी राजनीतिक गति और दिशा देता है। आजादी के पहले और आजादी के बाद इमरजेंसी के समय के बाद जमीन आसमान का अंतर हो गया है। समाजवादी की विचारधारा जीने का स्वरूप बतलाता है। कुदरत ने हमें जिस स्थिति में लाकर  खड़ा किया है उसे वैचारिक रूप से कैसे निपटा जाए उसे समाजवादी विचारधारा बदला जा सकता है।आज असंख्य क्रांतिकारियों की विरासत हमारे पास है उनके योगदान पर अध्ययन करने की आवश्यकता है। आज पॉवर पॉलिटिक्स को ही राजनीति का हिस्सा मान लिया गया है। जिसे समाजवादी वैचारिक दृष्टि से बदला जा सकता है। छिंदवाड़ा से एड.आराधना भार्गव ने कहा कि जो स्थिति 1934 में थी वही स्थिति आज भी है। इस सरकार ने देश को बाजारवाद के हवाले कर दिया गया है। दलबदल करने वाले को पांच राज्यों के चुनाव में जनता ने नकार दिया है। उन्होंने कहा कि तीनों कानून सिर्फ किसान विरोधी ही नहीं देश विरोधी भी  है। इसे वापस कराने के लिए किसान मजदूर को ही ही नही सभी को एकजुट होना पड़ेगा अन्यथा अनाज किसानों से नहीं अडानी और अंबानी के गोदामों से अनाज लेना होगा। रीवा से वरिष्ठ समाजवादी रामेश्वर सोनी ने कहा कि संसार में जब तक असमानता तथा भेदभाव रहेगा तब तक समाजवादी विरोध करेंगे। समाजवादी आंदोलन के परिणाम देर से ही सही लेकिन उसके परिणाम दुरगामी होते हैं।समाजवादी आंदोलन से  सम्मान जनक जीवन जीने का अधिकार मिलता है। अहंकार के कारण  विपक्षी दल अंधकार में डूबे हैं वे विरोध के लिए तत्पर दिखाई नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस और शिवसेना एक साथ सरकार बना सकती है तो कांग्रेसी और समाजवादी क्यों नहीं? 

     

पिपरिया के गोपाल राठी ने कहा कि समाजवाद को जिंदा रखने का एकमात्र विकल्प युवाओं को जन आंदोलनों से जोड़ना है। हमें समाजवादी साहित्य को पढ़ना तथा पढ़ाना चाहिए तथा लोगों तक विचार पहुंचाना होगा । आज जो अंधकार मय  स्थिति है उससे निपटने के लिए प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं को तैयार करना होगा। रीवा  से वरिष्ठ समाजवादी नेता  बृहस्पति सिंह ने समाजवादी आंदोलन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें समाजवादी अतीत को देखना होगा। 1934 में नासिक जेल में समाजवादियों ने सोशलिस्ट समाजवादी पार्टी का गठन किया। समाजवादी का अर्थ शोषण मुक्त, समतामूलक समाज का निर्माण करना है। सर्वप्रथम हमें लोक शिक्षण का कार्य शुरू करना चाहिए, जिस तरह राष्ट्र सेवा दल कार्य कर रहा है समाजवादी साहित्यों को छोटे-छोटे खंडों में प्रचार करना चाहिए। इस देश की सत्ता निरंकुश हो गई है क्योंकि समाजवादी बटे हुई है।उन्होंने कहा कि लोक शिक्षण से लोक संघर्ष तैयार किया जा सकता है। इंदौर से वरिष्ठ समाजवादी नेता सुभाष रानाडे ने कहा कि हमारे पास समृद्ध विरासत होने के बावजूद हम कंगाल की स्थिति में है। इस स्थिति के लिए पूर्व के समाजवादी नेता भी जिम्मेदार हैं। समाजवादी आंदोलन तरल हो कर  बह गया जबकि कम्युनिस्ट आंदोलन जड़ होकर जम गए। उन्होंने कहा कि जब तक कार्यकर्ताओं की हिस्सेदारी नहीं होगी  तब तक समाजवादी आंदोलन खड़ा नहीं होगा। परिवारवाद के कारण भी विधटन हुआ है। आर एस एस को मुख्यधारा में लाने का पाप भी हमारा ही है। उन्होंने कहा कि आज भी समाजवादी आंदोलन जन आंदोलन के रूप में जिंदा है। इंदौर से वरिष्ठ समाजवादी नेता रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि भले ही आज समाजवादी आंदोलन का जनाधार कम हो गया हो लेकिन गांव गांव में समाजवादी आंदोलन के कार्यकर्ता हैं उन पुराने कार्यकर्ताओं के साथ नए नौजवानों को जोड़कर हम फिर से समाजवादी आंदोलन को पुनर्जीवित कर सकते हैं इसलिए आज कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के स्थापना दिवस पर हम सब को संकल्प लेना चाहिए कि हम वैचारिक कार्यकर्ता तैयार कर संघर्ष को मजबूती देंगे होशंगाबाद से लीलाधर राजपूत ने कहा कि गैर बराबरी और अन्याय के खिलाफ लड़कर ही समाजवादी आंदोलन मजबूत हुआ था  आज फिर जब अन्याय और बाजारवाद का बोलबाला है तब  समाजवादी विचार ही देश में विकल्प बना सकते हैं रायसेन से टीआर आठ्या ने कहा कि विचार की मजबूती ही विकल्प बनाएगी हमारे पुराने समाजवादी नेताओं ने विचार के साथ संघर्ष के कार्यकर्ता तैयार किए जिन्होंने ही सोशलिस्ट आंदोलन को मजबूती दी आज इसकी बड़ी जरूरत है झाबुआ से समाजवादी नेता राजेश बैरागी ने कहा कि 1952 से 1982 तक झाबुआ में मामा बालेश्वर दयाल  ने समाजवादी विचारधारा कायम रखी। आर्थिक परिस्थिति कमजोर होने के कारण समाजवादी आंदोलन कमजोर होता गया। इंदौर, उज्जैन, झाबुआ में समाजवादी विचारधारा को नई दिशा देने की आवश्यकता है । होशंगाबाद से लीलाधर राजपूत ने कहा कि समाजवादी आंदोलन से जुड़े नेता अलग-अलग दलों में बढ़ गए उनके संघर्ष का रास्ता छोड़ दिया जिसके चलते समाजवादी आंदोलन से रसातल की ओर चला गया आज फिर जरूरत है कि हम विचार को मजबूती देकर संघर्ष का रास्ता अपनाएं रीवा से अजय खरे ने कहा कि आज इमरजेंसी से भी बदतर स्थिति निर्मित हो गई है। हमें सत्ता के लिए लालायित नहीं होना चाहिए। सिद्धांतों के साथ समझौता कर सत्ता में नहीं आएंगे। सत्ता का गणित अलग है और समाजवादी आंदोलन का गणित अलग है हमें सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ना होगा। कपूर चंद यादव, खालिद भाई मंसूरी, एड वीरेंद्र सिंह  सहित अन्य कई वक्ताओं ने समाजवादी समागम को संबोधित किया।संचालन डा. सीनियर ने किया। 

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