इंदौर : सैंचुरी मजदूरों के आंदोलन के 1371 दिन में हुए पूर्ण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 19 जुलाई 2021

इंदौर : सैंचुरी मजदूरों के आंदोलन के 1371 दिन में हुए पूर्ण

  • इंदौर सहित पूरे मध्यप्रदेश में आंदोलन के समर्थन में विभिन्न किसान और मजदूर संगठनों ने मुख्यमंत्री के नाम दिया ज्ञापन
  • सैंचुरी  मैनेजमेंट की मनमानी रोकने और जबरिया वीआरएस देने के मामले में हस्तक्षेप करें मध्य प्रदेश सरकार

century-mill-protest
इंदौर।  बिरला समूह के खरगोन जिले में स्थित सेंचुरी रेयान और डेनिम मिलके आंदोलनरत मजदूरों के आंदोलन के 1371 दिन पूर्ण हो चुके हैं । मिल प्रबंधन जबरीया तरीके से मजदूरों और कर्मचारियों को वीआरएस दे रहा है ,जो ना तो नियमानुसार है और ना ही प्रदेश के हित में ।मजदूर श्रमिक जनता संघ के नेतृत्व में लगातार आंदोलन कर रहे हैं। जनता श्रमिक संघ की अध्यक्ष मेधा पाटकर   ने भी श्रमिकों के समर्थन में भूख हड़ताल की थी । आज पूरे मध्यप्रदेश में विभिन्न किसान और मजदूर संगठनों ने जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर मांग की कि श्रमिक और प्रबंधन विवाद में मध्य प्रदेश सरकार तत्काल हस्तक्षेप करें और बहुसंख्यक मजदूरों की मांग को पूरा करते हुए मिल चलाएं और जबरिया तरीके से प्रबंधन द्वारा वीआरएस देने और नियम विरुद्ध मजदूरों के खातों में पैसे डालने के पर रोक लगा।  इंदौर में भी किसान संघर्ष समिति, अखिल भारतीय किसान सभा ,हिंद मजदूर सभा, एआई यूटीसी, किसान खेत मजदूर संगठन ,आजादी बचाओ आंदोलन, लोहिया विचार मंच ,सोशलिस्ट पार्टी इंडिया, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया,  युवा किसान संगठन सहित विभिन्न संगठनों की ओर से संभाग आयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया । ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से रामस्वरूप मंत्री,हरिओम सूर्यवंशी, अरूण चौहान,  सोनू शर्मा, जयप्रकाश गुगरी,  रविंद्र चौधरी ,राजेश पटेल, भारतसिंह यादव, भारतसिंह  चौहान, दिनेश सिंह कुशवाह,अजय यादव,  आदि शामिल थे ।


मुख्यमंत्री के नाम संभागायुक्त को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है किसेंचुरी यार्न/ डेनिम इकाई के श्रमिकों के द्वारा 1371 दिन से मध्यप्रदेश के  खरगोन जिले में एबी रोड पर ग्राम  सत्राटी  में आंदोलन किया जा रहा है। इसे किसी भी आदेश के तहत हटाना सही नहीं होगा। श्रमिकों के हकों से चल रहा यह संघर्ष संवैधानिक  एवं न्याय संगत है। 29 जून 2021 को कारखाना प्रबंधक द्वारा श्रमिक एवं कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के संबंध में अचानक नोटिस लगाकर श्रमिकों से कहा गया कि 13 जुलाई तक सभी श्रमिक एवं कर्मचारी वीआरएस ले लें। लेकिन 910 में से 800 से ज्यादा श्रमिकों ने वी आर एस लेने से लिखित तौर पर इंकार कर दिया है। स्वैच्छिकक योजना अनैच्छिक रूप से थोपना अन्याय है। पिछले 6 जुलाई को श्रमिक जनता संघ के पदाधिकारी और मुंबई की सेंचुरी यूनियन के पदाधिकारी तथा इंदौर में समाजवादी समागम के साथी  मध्य प्रदेश के श्रम आयुक्त से मिले थे तथा वीआरएस को अनिवार्य सेवानिवृत्ति बदलने की आशंका जताई थी तब मध्य प्रदेश के श्रम आयुक्त ने विश्वास दिलाया था कि यदि मजदूर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने को तैयार नहीं है तो कोई भी मालिक उन्हें जब रिया तरीके से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नहीं दे सकता है ,,लेकिन श्रम आयुक्त ने  यह भी कहा था कि यदि ऐसा होता है तो श्रम विभाग Mil प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाही करेगा लेकिन अभी तक श्रम आयुक्त की ओर से Mil प्रबंधन के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया है। जनता श्रमिक संघ की याचिका के चलते औद्योगिक ट्रिब्यूनल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर  मिल बंद होने के बावजूद श्रमिकों को वेतन दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कुमार मंगलम बिड़ला समूह ने मिल बेचने का फर्जी विक्रय पत्र बनाकर जो धोखा किया था वह ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया । इसी तरह फिर से  सेंधवा के श्री मनजीत सिंह को मिल बेचने का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है जो गैरकानूनी है। मंजीत सिंह को मिल चलाने का क्या अनुभव है? वह मिल्स चलाना चाहतेहै? आज तक के अनुभवी मालिक और कर्मचारियों को कार्य में शामिल करना क्यों नही चाहते ? क्या केवल श्रमिकों को बेरोजगार कर जमीन हड़पना चाहते है ?    श्रमिक  'वीआरएस नहीं, रोजगार चाहिए' के  संकल्प और मांग के साथ संघर्ष कर रहे हैं।  इसलिए  श्रमिकों के पक्ष में राज्य सरकार का हस्तक्षेप आवश्यक है ।

     

आपके संज्ञान में हम लाना चाहते हैं कि श्रमिक जनता संघ द्वारा दिनांक 6 जुलाई 2021 को एक रिट याचिका माननीय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर की थी जिसकी सुनवाई  16 जुलाई 2021 को, माननीय सुबोध अभ्यंकर साहब की एक पीठ के समक्ष हुई। फैसला आरक्षित रखा गया है। इस याचिका के द्वारा 'श्रमिक जनता संघ' ने सेंचुरी द्वारा जारी नोटिस दिनांक 29.06.2021 को चुनौती दी। जिसके अनुसार सेंचुरी की ग्राम सत्राती, खरगोन में स्थित दोनों यूनिट यार्न एवम डेनिम, मंजीत कॉटन प्राइवेट लिमिटेड एवं मंजीत ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को बेचने का प्रस्ताव है एवं यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि मंजीत कॉटन प्राइवेट लिमिटेड एवं मंजीत ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड, वर्तमान में कार्यरत किसी भी श्रमिक को कार्य पर नहीं रखेंगे। श्रमिक जनता संघ की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अभिभाषक श्री संजय पारिख जी ने पक्ष रखा और कहा कि वर्ष 2017 में सेंचुरी द्वारा वेरियेट ग्लोबल को  यार्न तथा डेनिम यूनिट बेची थी, जिसे इंडस्ट्रीयल ट्रिब्यूनल और उच्च न्यायालय द्वारा शैम ट्रांसेक्शन याने फर्जी माना गया।  इस कारण वर्तमान में सेंचुरी द्वारा किये गए किसी भी ट्रांसेक्शन को माननीय कोर्ट अथवा शासन द्वारा जांचना आवश्यक है, जिससे कि श्रमिकों के अधिकारों का हनन ना हो और जब तक जांच नहीं हो जाती तब तक कंपनी को औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25 (एफ) अथवा अन्य कोई भी मुआवजा राशि प्रदान करने से रोका जाए। श्री पारिख द्वारा यह भी उल्लेखित किया गया कि कंपनी द्वारा सेटेलमेंट दिनांक 17.08.2017 का भी पालन नहीं करते हुए सभी श्रमिकों अथवा याचिकाकर्ता ट्रेड यूनियन से किसी भी प्रकार की कोई बातचीत नहीं की और न ही कंपनी चलाने हेतु कोई कदम उठाए। सेंचुरी कंपनी की मंशा केवल मिलों को बंद करने की है परन्तु  उस हेतु जानबूझ कर औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25 (ओ) अथवा 25 (एन) का पालन कंपनी द्वारा नहीं किया गया क्योंकि इसके अंतर्गत मिल बंद करने अथवा श्रमिकों को कार्य से निकालने हेतु अनुमति राज्य शासन से लेना आवश्यक है, और राज्य शासन यह अनुमति केवल उचित जांच के बाद ही दे सकती है और कंपनी इस जांच प्रक्रिया से बचना चाहती है। सर्वोच्च अदालत के आदेशों में भी हाईकोर्ट ने अपने आदेश में मिल्स घाटे में है इसलिए बंद होनी ही चाहिए , यह मान लिया उसे ध्यान में ना लेते हुए राज्य सरकार निर्णय लें, यही कहा है।सेंचुरी द्वारा पहले भी गलत तरीके से मिलों को बेचा गया है, जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने भी गलत माना था , इसलिए कि कंपनी द्वारा कोई भी दस्तावेज माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया था । तब तक कंपनी को आगे कोई भी कार्यवाही करने से रोका जाए । जबरन श्रमिकों के खाते में पैसा डालने से रोका जाए और कंपनी को श्रमिकों का वेतन सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार चालू रखने हेतु आदेशित किया जाए । वर्तमान में 910 श्रमिकों में से 849 से ज्यादा श्रमिकों ने वीआरएस के विकल्प को नाकारा है । इस कारण श्रमिकों के अधिकारों एवं भविष्य की सुरक्षा आवश्यक है । इन तमाम मुद्दों पर 88 से 90% श्रमिक, जिसके सदस्य हैं , वही हिंद मजदूर सभा से संलग्न श्रमिक जनता संघ की यूनियन से ही सेंचुरी मिल्स पर प्रबंधन ने अपनी चर्चा सुलझाओ की प्रक्रिया चलानी होगी, अन्य किसी यूनियन से नहीं । आज की बेरोजगारी के आघात की परिस्थिति में क्या राज्य सरकार से रोजगार खत्म ना हो, इस दिशा में हस्तक्षेप जरूरी नहीं है ? अतः आपसे अनुरोध है कि कारखाना प्रबंधन की श्रम विरोधी कार्यवाही पर रोक लगाने हेतु श्रमिकों और कर्मचारियों के समर्थन में तत्काल हस्तक्षेप करने का कष्ट करें ताकि कम से कम 873 श्रमिक और  कर्मचारी जिन्होने वीआरएस अस्वीकार किया है  उनके रोजगार को बचाया जा सके । इसमें श्रमिक जनता संघ के साथ रिप्रेजेंटेटिव यूनियन के नाते खुली चर्चा के लिए आप व सेंचुरी मैनेजमेंट के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करें और समय दे, तथा निर्णायक चर्चा आयोजित करें । 

कोई टिप्पणी नहीं: