और हिन्दू ? हिन्दू ईमानदारी से इसका पालन करेगा। फिलहाल इस क़ानून का विरोध नहीं कर रहे हैं। और सच तो यह है कि अधिकांशतः हिन्दू पूर्व से ही परिवार नियोजन का पालन कर रहे हैं। ध्यान करना होगा और सर्वे होना चाहिए कि हिन्दू परिवारों की महिलाओं में गर्भधारण नहीं होना एक समस्या हो रही है। विवाह को ८-१० वर्ष हो जाते हैं, लेकिन बच्चे नहीं हो रहै हैं। आईवीएफ सेन्टर में हिन्दु महिलाओं की ही भीड़ मची हुई है। जनसंख्या नियंत्रण कानून का एक पक्ष यह भी है और इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि इससे हिन्दुओं की जनसंख्या घटेगी और मुसलमानों के लिए यह "बाबा जी का ठुल्लू" जनसंख्या यदि नियन्त्रित ही करना है, तो घुसपैठिए रोहिंग्याओं, बंग्लादेशियों को निकाल बाहर करो। गौर करना होगा कि पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं का कत्लेआम रोहिंग्या मुसलमान कर रहे हैं। एक टीवी चैनल (जी न्यूज) के अनुसार एक गांव से एक हजार हिन्दू गायब हैं जिनमें से 45 के शव बरामद हुए हैं। आशंका तो यह है कि ऐसा समय किसी भी शहर, गांव, कस्बे में कभी भी आ सकता है। सरकार सियासत के गलियारों में सत्ता के नशे का हनीमून मनाना बन्द करें। सी.ए.ए. कानून तो बन गया, लेकिन जमीनी स्तर पर उसका इम्प्लीमेण्टेशन भी तो हो। देश के लगभग अधिकांश शहरों, गांव में घुसपैठिए डेरा जामाए हुए हैं और ताज्जुब तो यह है कि जिला प्रशासन व पुलिस विभाग के पास इसके कोई आंकड़े नहीं है। फर्ज करें देश में ऑफ दि रिकॉर्ड बीस लाख घुसपैठिए हैं, तो अगली साल ये चालीस लाख हो जाएंगे। इनके लिए बच्चे पैदा करना एक मशीनी काम है। दिन दूनी रात चौगुनी जनसंख्या तो बढ़नी ही है। अतः जनसंख्या नियंत्रण करना है तो हर शहर, गांव-गांव में घुसपैठियों का सर्वे करने हेतु सरकारी मशीनरी को लगा देना चाहिए और आम जनता व एनजीओ का सहयोग लेकर घुसपैठियों को चिन्हित कर उन्हें डिटेंशन सेन्टर में बन्द करना चाहिए। और फिर उन्हें देश से बाहर करना चाहिए। इस कार्य में किसी भी प्रकार का राजनीतिक विरोध हो, तो होने दीजिए। इससे देश के हिन्दुओं और मुसलमानो को राहत मिलेगी। जो तथाकथित सेक्युलर इसका विरोध करें, तो समझिए कि उन्हें इस देश की जनता से कोई लगाव नहीं है।
दतिया, मध्य प्रदेश
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