नयी दिल्ली 15 जुलाई, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को राजद्रोह कानून के संबंध में उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी की सराहना करते हुए केंद्र से सवाल किया कि क्या आजादी के 75 साल बाद भी औपनिवेशिक युग के कानून की जरूरत है। श्री गांधी ने संबंधित खबर के स्लाइडर को संलग्न करते हुए अपने ट्वीट में कहा , “ हम उच्चतम न्यायालय की इस टिप्पणी का स्वागत करते हैं।” तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा, “ अंतत: उम्मीद बंधी है कि केंद्र सरकार द्वारा दुरुपयोग के तहत कायम रखे गये इस पुराने कानून को खत्म कर दिया जाएगा।” इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर कर भारतीय दड संहिता की धारा 124ए के तहत राजद्रोह की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। उच्चतम न्यायालय ने संबंधित याचिका पर आज सुनवाई के दौरान राजद्रोह के प्रावधानों के इस्तेमाल को निरंतर जारी रखने पर सवाल खड़े किये और कहा कि आजादी के 74 साल बाद भी इस तरह के प्रावधान को बनाये रखना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124(ए) को कायम रखने के औचित्य पर प्रश्नचिन्ह खड़े किये। न्यायमूर्ति रमन ने श्री वेणुगोपाल से पूछा कि आजादी के 74 साल बीत जाने के बाद भी उपनिवेशकाल के इस कानून की जरूरत है क्या, जिसका इस्तेमाल आजादी की लड़ाई को दबाने के लिए महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक के खिलाफ किया गया था।
शुक्रवार, 16 जुलाई 2021
राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी स्वागत योग्य : राहुल गाँधी
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