उपराष्ट्रपति ने कोविड-19 से निपटने के लिए पांच सिद्धांतों को अपनाने का सुझाव दिया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 10 जुलाई 2021

उपराष्ट्रपति ने कोविड-19 से निपटने के लिए पांच सिद्धांतों को अपनाने का सुझाव दिया

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उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज समाज के वर्गों के बीच टीका लगाने को लेकर हिचकिचाहट को दूर करने का आह्वाहन किया और फर्जी खबरों का मुकाबला करने व कोविड-19 से संबंधित मुद्दों पर मिथकों को दूर करने के लिए ठोस प्रयासों की जरूरत को रेखांकित किया। लोगों में मानसिक तनाव और भय के प्रभाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 और टीकाकरण के बारे में गलत सूचना गंभीर चिंता का एक विषय है। उपराष्ट्रपति ने विभिन्न क्षेत्रों की शख्सियतों, डॉक्टरों और अन्य लोगों से डर को दूर करने और टीकाकरण के महत्व पर लोगों में जागरूकता पैदा करने का आग्रह किया। इस बात की ओर संकेत करते हुए कि भारत विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को संचालित कर रहा है, श्री नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक भारतीय की सामाजिक जिम्मेदारी है कि वह खुद टीका लगवाए और दूसरों को टीका लेने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने आगे कहा कि टीकाकरण अभियान को एक जन आंदोलन बनना चाहिए और इसका नेतृत्व युवाओं को करना चाहिए। इस अवसर पर श्री नायडू ने पूरे विश्व के प्रख्यात लेखकों के तेलुगु भाषा में कोविड-19 पर 80 लघु कथाओं के संकलन 'कोठा (कोरोना) कथालू' पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने आगे लोगों को इस महामारी से निपटने के लिए पांच सिद्धांतों को अपनाने का सुझाव दिया। इनमें एक सक्रिय जीवन शैली का नेतृत्व करना जिसमें नियमित शारीरिक व्यायाम या योग शामिल है, आध्यात्मिक संतुष्टि की खोज करना, स्वस्थ पौष्टिक भोजन का सेवन करना, कोविड उपयुक्त व्यवहार जैसे, मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना व बार-बार हाथ धोना और हमेशा प्रकृति की रक्षा करना और प्रकृति के साथ समरसता में रहना शामिल हैं। उन्होंने इस महामारी के मद्देनजर व्यवहार में बदलाव की जरूरत पर भी जोर दिया। इस बात को कहते हुए कि भारत ने बड़ी आबादी और पर्याप्त स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की कमी के बावजूद महामारी से निपटने में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है, उन्होंने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में एक अमूल्य भूमिका निभाने में वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य लोगों के प्रयासों की सराहना की। यह देखते हुए कि कोविड-19 महामारी ने नियमित शारीरिक गतिविधि के महत्व को रेखांकित किया है, श्री नायडू ने कहा कि आधुनिक जीवन शैली व सुस्त आदतों ने कई गैर-संचारी रोगों के प्रसार को बढ़ा दिया है।


श्री नायडू ने इस महामारी के मद्देनजर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे के रूप में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और इसे समग्र रूप से संबोधित करने की आवश्यकता की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा कि ध्यान और अध्यात्म से जीवन को संतुलित बनाए रखने में सहायता मिलेगी। संतुलित आहार लेने के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने लोगों, विशेषकर युवाओं को फास्ट फूड की लत लगने के प्रति सावधान किया। उपराष्ट्रपति ने व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने व्यक्तिगत स्वस्छता को जरूरी बना दिया। उन्होंने लोगों से टीकाकरण के बाद भी सावधानियों का पालन करने का आग्रह किया। यह देखते हुए कि भारतीय लोकाचार, प्रकृति के साथ प्रेम करना और उसके साथ समरसता में रहना है, उपराष्ट्रपति ने रहने की जगहों को अच्छी तरह हवादार और प्रकाश-युक्त रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर श्री नायडू ने महान गायक स्वर्गीय श्री एस.पी. बालासुब्रमण्यम को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्हें यह पुस्तक समर्पित है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी गायक के जीवन को याद करते हुए श्री नायडू ने कहा कि उनकी संगीत यात्रा के पांच दशकों में श्री एस.पी. बालासुब्रमण्यम ने संगीत जगत पर एक अमिट छाप छोड़ी है। इसके अलावा इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए लेखकों व प्रकाशकों के प्रयासों की सराहना करते हुए श्री नायडू ने अपनी मूल भाषाओं और मातृभाषाओं को संरक्षित करने की जरूरत को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षा तक शिक्षण का माध्यम मातृभाषा में होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन और न्यायपालिका में स्थानीय भाषा के प्रयोग को महत्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने तकनीकी शिक्षा में भारतीय भाषाओं के उपयोग को धीरे-धीरे बढ़ाने का भी आह्वाहन किया। श्री नायडू ने लोगों से आग्रह किया कि वे अन्य भाषाओं को कमतर न मानते हुए हमेशा अपनी मातृभाषा में बोलें। इस वर्चुअल कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश विधानसभा के पूर्व  उपाध्यक्ष श्री मंडाली बुद्ध प्रसाद, अमेरिका स्थित हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अल्ला श्रीनिवास रेड्डी, ऑल इंडिया तेलुगु फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ. सी एम के रेड्डी, अमेरिका स्थित हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. केसानी मोहन किशोर, वाम्सी आर्ट थियेटर के संस्थापक अध्यक्ष वाम्सी रामाराजू और भारत व विदेशों के अन्य कई लोगों ने हिस्सा लिया।

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