22 महीनों में 97 लाख परिवारों को नल के पानी की आपूर्ति मिली - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 10 जुलाई 2021

22 महीनों में 97 लाख परिवारों को नल के पानी की आपूर्ति मिली

  • जल जीवन मिशन ने इन्सेफेलाइटिस निवारक उपायों को काफी मजबूत करते हुए 2021-22 के लिए जेई-एईएस घटक के रूप में पांच राज्यों को 463 करोड़ रुपए आवंटित की

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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा जापानी इन्सेफेलाइटिस - एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (जेई-एईएस) प्रभावित क्षेत्रों में हर घर को प्राथमिकता से नल का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने पर जोर देने के बाद जल जीवन मिशन ने इन्सेफेलाइटिस से प्रभावित प्राथमिकता वाले 61 जिलों में सिर्फ 22 महीनों में 97 लाख से ज्यादा परिवारों को नल के पानी की आपूर्ति की है। इस प्रकार, जल जीवन मिशन ने असम, बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के प्रभावित जिलों में आर्थिक रूप से गरीब परिवारों को स्वच्छ नल के पानी की आपूर्ति प्रदान करके इस बीमारी के प्रसार को कम करने के लिए निवारक उपायों को काफी मजबूत किया है।15 अगस्त, 2019 को, जब जल जीवन मिशन की घोषणा की गई थी, पांच राज्यों के 61 जापानी इन्सेफेलाइटिस - एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम प्रभावित जिलों में केवल 8.02 लाख (2.67%) घरों में नल के पानी की आपूर्ति थी। पिछले 22 महीनों में इन जिलों के 97.41 लाख अतिरिक्त घरों में नल के पानी के कनेक्शन दिए गए हैं। अब बीमारी से प्रभावित जिलों में 1.05 करोड़ (35%) परिवारों को नल के पानी की आपूर्ति मिल रही है। जापानी इन्सेफेलाइटिस - एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम प्रभावित प्राथमिकता वाले जिलों में घरेलू नल के पानी के कनेक्शन में 32% की यह वृद्धि इसी अवधि के दौरान देश भर में नल के पानी की आपूर्ति में 23.43% की राष्ट्रीय औसत वृद्धि से लगभग 12% अधिक है। जापानी इन्सेफेलाइटिस - एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम प्रभावित प्राथमिकता वाले जिलों के लिए विशिष्ट धनराशि पेयजल स्रोतों और जल प्रदूषण की सीमा के आधार पर आवंटित की जाती है। जल जीवन मिशन के तहत 0.5% बजट बीमारी से प्रभावित प्राथमिकता वाले जिलों के हर ग्रामीण परिवार में पीने योग्य पेयजल उपलब्ध कराने के लिए गतिविधियों को पूरा करने के लिए आवंटित किया गया है। इन पांच राज्यों को 2021-22 के लिए जेई-एईएस (जापानी इन्सेफेलाइटिस - एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम) घटक के रूप में 462.81 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। जापानी इन्सेफेलाइटिस- एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है। यह रोग ज्यादातर बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है जिससे रुग्णता और मौत हो सकती है। ये संक्रमण विशेष रूप से गरीब आर्थिक पृष्ठभूमि के कुपोषित बच्चों को प्रभावित करते हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के नोडल मंत्रालय के साथ पांच केंद्रीय मंत्रालयों के माध्यम से रोकथाम और नियंत्रण उपायों को मजबूत करने के लिए पांच राज्यों में 61 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों की पहचान की गई है। इन जिलों में बीमारी के बोझ को कम करने के लिए जल जीवन मिशन एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।


प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के सिद्धांत का पालन करते हुए मिशन का आदर्श वाक्य 'कोई भी छूटे ना'  है और लक्ष्य है कि हर गांव के हर घर में नल का पानी उपलब्ध कराया जाए। 2019 में मिशन की शुरुआत में, देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17%) के पास नल के पानी की आपूर्ति थी। पिछले 22 महीनों के दौरान, कोविड -19 महामारी और लॉकडाउन व्यवधानों के बावजूद, जल जीवन मिशन को तेजी से लागू किया गया है और 4.44 करोड़ परिवारों को नल के पानी का कनेक्शन प्रदान किया गया है। कवरेज में 23% की वृद्धि के साथ, वर्तमान में देश भर में 7.67 करोड़ (40.51%) ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति हो रही है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और पुडुच्चेरी ने ग्रामीण क्षेत्रों में 100% घरेलू कनेक्शन का लक्ष्य हासिल कर लिया है और वहां 'हर घर जल' का सपना साकार हो गया है। प्रधानमंत्री के हर घर में नल के स्वच्छ पानी की आपूर्ति के सपने को साकार करते हुए, इस समय देश के 69 जिलों और 98 हजार से अधिक गांवों में हर घर में नल का पानी उपलब्ध है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत असम, बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को लिखे अपने पत्रों में प्रधानमंत्री द्वारा प्राथमिकता के आधार पर अगले कुछ महीने में जापानी इन्सेफेलाइटिस - एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम प्रभावित जिलों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों और गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों के हर घर में नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराने पर जोर देने की बात दोहराते आए हैं। इन पांच राज्यों में, बिहार ने अपने 15 बीमारी प्रभावित प्राथमिकता वाले जिलों में ग्रामीण परिवारों को नल के पानी की आपूर्ति प्रदान करने में अच्छा प्रदर्शन किया है। इन जिलों में औसतन 85.53 प्रतिशत नल के पानी का कनेक्शन दिया गया है। नालंदा में 96% नल जल आपूर्ति कनेक्शन हैं, इसके बाद सारण और गोपालगंज (94%), वैशाली और सीवान (91%), पश्चिम चंपारण (84%), और पूर्वी चंपारण (80%) राज्य में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले जिले हैं।


देश में स्कूलों, आश्रमशालाओं और आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को सुरक्षित नल का पानी सुनिश्चित करने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 100 दिनों के अभियान की घोषणा की थी। केंद्रीय मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 अक्टूबर 2020 को इसका शुभारंभ किया था। परिणामस्वरूप, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, आंध्र प्रदेश, गोवा, तमिलनाडु, तेलंगाना, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह जैसे राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों ने स्कूलों, आश्रमशालाओं और आंगनवाड़ी केंद्रों में नल के पानी की व्यवस्था की। असम और पश्चिम बंगाल में, नल के पानी की आपूर्ति वाले स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों की संख्या राष्ट्रीय औसत से कम है। 65% स्कूलों और 60% आंगनवाड़ी केंद्रों के राष्ट्रीय औसत की तुलना में असम में 30% स्कूलों एवं 8% आंगनवाड़ी केंद्रों और पश्चिम बंगाल में 14% स्कूलों एवं 7% आंगनवाड़ी केंद्रों में नल के पानी की आपूर्ति है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रीश्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने असम, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को लिखे अपने पत्रों में सभी बचे हुए स्कूलों, आश्रमशालाओं और आंगनवाड़ी केंद्रों में अगले कुछ महीने में सुरक्षित नल के पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने की अपील की है। प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2019 को लाल किले की प्राचीर से जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। इस मिशन को 2024 तक देश के हर ग्रामीण परिवार को नल के पानी का कनेक्शन प्रदान करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किया जा रहा है। 2021-22 में जल जीवन मिशन के लिए कुल 50,011 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है। राज्य के अपने संसाधनों और पानी एवं स्वच्छता के लिए आरएलबी/पीआरआई को 15वें वित्त आयोग से संबद्ध अनुदान के रूप में 26,940 करोड़ रुपये की राशि के साथ, इस साल ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के क्षेत्र में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जा रहा है। इससे गांवों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।

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