विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 04 जुलाई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 4 जुलाई 2021

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 04 जुलाई

कोरोना गाइड लाइन से समझिए कब मरीज को घर पर रहना है और किन स्थितियों में अस्पताल जाना जरूरी


vidisha news
कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण है फिर भी अगर हल्के लक्षण हों तो घर पर ऐल आसोलेशन में रहें, बुखार ज्यादा तेज न हो, हल्के लक्षण हों। फिजिकल डिस्टेंसिंग रखें, घर में मास्क पहनकर रखें, हाथों को साफ करते रहें। सेंप्टोमेटिक मेनेजमेंट पर ध्यान दें। आवश्यक दवाएं जैसे बुखार के लिए,पैरासिटामोल मल्टीविटामिन लें, हाइड्रेट होते रहें। अपने फिजिशियन के सम्पर्क में रहें। शरीर का तापमान-ऑक्सीजन चेक करते रहें। अगर पांच दिन से अधिक समय तक सांस लेने में परेशानी हो रही हो, तेज बुखार हो, सीवियर कफ हो तो तत्काल डाक्टर को दिखाएं।


ऑक्सीजन 93 के नीचे हो, तब ही अस्पताल में जाना जरूरी। 

जब प्रति मिनट सांस लेने की रफ्तार 24 और ऑक्सीजन का स्तर 90-93 हो। ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाए। चेस्ट टेस्ट करवाएं। नॉन रिब्रिदिंग फेस मास्क का इस्तेमाल हो। वक्त-वक्त पर ऑक्सीजन थेरेपी दी जाए। जरूरत पड़ने पर लंग्स का एचआरसीटी और अन्य टेस्ट करवाएं। अस्पताल में भर्ती मरीज की हालत गंभीर है, तो उसे रेमडेसिविर दी जाए। घर पर आइसोलेट या अस्पताल में बिना ऑक्सीजन बैड के भर्ती मरीजों को रेमडेसिविर न दी जाए। सांस लेने की दर प्रति मिनट 30 से अधिक हो। ऑक्सीजन लेवक 90 से कम हो जाए। 60 वर्ष से अधिक के लोग, तनाव, कार्डियोवस्कुलर डिजीज, डायबिटीज, लंग, किडनी, लीवर क बीमारी, सेरेब्रोवस्कुलर डिजीज या मोटापे से ग्रसित गंभीर संक्रिमितों के लिए यह ज्यादा जरूरी है। वेंटिलेटर का इस्तेमाल प्रोटोकाल के तहत किया जाए। मरीज की गंभीर स्थिति में इसका इस्तेमाल हो। रिपोर्ट कोरोना निगेटिव और बाकी सारी जांचें सही पाए जाने पर उसे डिस्चार्ज किया जाए। कोविड मरीज ऑक्सीजन लेवल मानिटर करते रहें। 93 से कम होने पर हॉस्पिटल जाएं। सभी मरीजों की रेमडेसिविर, प्लाज्मा, इवरमेक्टिन, ब्लड थिनर्स जैसी चीजों की जरूरत नहीं। बैड ऑक्सीजन सिलेण्डर और आइसीयू उन मरीजों के लिए हैं जो कोविड के गंभीर मरीज हैं। वैक्सीन लगवाने पर जोर दें। ज्यादा लोगों का टीकाकरण होगा अस्पताल पर बोझ कम होगा। 


भूमि सम्बन्धी जानकारी नवीन खसरे से आसानी से मिलेगी


हाल ही में जारी नवीन खसरा का प्रारूप में अनेक जानकारियां समाविष्ट की गयी हैं।इससे भूमि सम्बंधी जानकारी आसानी से मिलेगी। नवीन खसरे के कॉलम नंबर एक में भूमि के भाग की यूनिक आईडी, कॉलम नंबर दो में भूमि के भाग का प्रकार, कॉलम नंबर तीन में भू-खण्ड  संख्यां क, कॉलम नंबर चार में क्षेत्रफल, भूमि उपयोग जिसके लिए निर्धारण किया गया है, भू-राजस्वू, भू-भाटक, कॉलम नंबर पांच में भूमि स्वामी का नाम तथा निवास का पता तथा इसी में शासकी य भूमि दर्ज होगा। कॉलम नंबर छरू में प्रत्येक भूमि स्वामी का अंश, कॉलम नंबर सात में सरकारी पट्टेदार का नाम तथा निवास का पता, पट्टे की अवधि पट्टे के अधीन क्षेत्र, कॉलम नंबर आठ में अधिकारी कृषक (यदि कोई हो) का नाम तथा निवास का पता, कॉलम नंबर नौ में भूमि पर विल्लंगत तथा प्रभार, कॉलम नंबर दस में फसल खरीफ, रबी, जायद, अन्य, कॉलम नंबर ग्यारह में फसल के अधीन क्षेत्रफल तथा कॉलम नंबर बारह में भूमि के सिंचाई संबंधी प्रास्थिति भूमि पर संरचना, वृक्ष अन्यल अभ्युक्तियां वर्ष के दौरान कॉलम संख्या  एक से नौ तक में प्रविष्टियों में सुधार के आदेश शामिल है।


दस्तक अभियान 19 जुलाई से 18 अगस्त तक


दस्तक अभियान 19 जुलाई से 18 अगस्त 2021 तक आयोजित किया जाएगा। अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त दल (ए.एन.एम., आशा, एवं आंगनवाडी कार्यकर्ता) द्वारा 5 वर्ष तक की उम्र के बच्चों वाले परिवारों के घर-घर जाकर बच्चों में प्रायरू पाई जाने वाली बीमारियों की सक्रिय पहचान एवं उचित प्रबंधन सुनिश्चित किया जायेगा। दस्तक अभियान का उद्देश्य 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में प्रमुख बाल्यकालीन बीमारियों की सामुदायिक स्तर पर सक्रिय पहचान एवं त्वरित प्रबंधन करना है, जिससे बाल मृत्यु दर में वांछित कमी लाई जा सके। उल्लेखनीय है कि माह जून-जुलाई में सघन दस्त रोग नियंत्रण पखवाड़ा (आई.डी.सी.एफ.) गतिविधियां भी आयोजित की जाना है, जिन्हें दस्तक अभियान की गतिविधियों के साथ 10 जुलाई से 18 अगस्त 2021 तक आयोजित किया जायेगा। 9 माह से 5 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों का विटामिन ’ए’ अनुपूरण पृथक से न कर दस्तक अभियान अंतर्गत दिनांक 19 जुलाई से 18 अगस्त 2021 तक घर-घर जाकर किया जायेगा तथा रिपोर्टिंग भी दस्तक अभियान अंतर्गत दस्तक मॉनिटरिंग टूल में की जायेगी। समुदाय में बीमार नवजातों और बच्चों की पहचान प्रबंधन एवं रेफरल। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान, प्रबंधन एवं रेफरल। 5 वर्ष से कम उम्र के गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान, रेफरल एवं प्रबंधन। 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बाल्यकालीन दस्त रोग की पहचान एवं नियंत्रण हेतु ओ.आर.एस. एवं जिंक के उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरूकता में बढ़ावा एवं प्रत्येक घर में गृहमेंट के दौरान ओ.आर.एस. पहुँचाना। (सधन दस्त रोग पखवाड़ा-आई.डी.सी.एफ. गतिविधि आयोजन) 9 माह से 5 वर्ष तक के समस्त बच्चों को विटामिन ए अनुपूरण। बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलंब की पहचान। समुचित शिशु एवं बाल आहारपूर्ति संबंधी समझाइश समुदाय को देना। एस.एन.सी.यू एवं एन.आर.सी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फॉलोअप को प्रोत्साहन। गृह भेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुये बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना। दस्तक अभियान के दौरान यदि किसी बच्चे में कोविड-19 के लक्षण यथा पिछले 3 दिन से बुखार, सांस लेने में कठिनाई, कोविड-10 संक्रमित व्यक्ति के संपर्क की हिस्ट्री हो, आदि मिलने पर बच्चे को कोविड-19 की जांच हेतु रेफर किया जायेगा। अभियान की पूर्व तैयारियों हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया है कि सर्वे अद्यतन एवं ड्यू लिस्ट अभियान के पूर्व आशाओं द्वारा 0 से 5 वर्ष तक के समस्त बच्चों की नामजद सूची अद्यतन की जावे तथा ए.एन.एम. के माध्यम से विकास खण्ड स्तर पर जमा की जाये। विकासखंड स्तर पर दस्तक मॉनिटरिंग टूल में 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों की नामजद जानकारी इन्द्राज की जाये, जिससे दस्तक अभियान हेतु अपडेटेड इयू लिस्ट उपलब्ध हो।

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