विपक्षी सांसदों पर कठोर कार्रवाई की मांग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 12 अगस्त 2021

विपक्षी सांसदों पर कठोर कार्रवाई की मांग

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नयी दिल्ली 11 अगस्त, संसद का मानसून सत्र विपक्षी दलों के पेगासस जासूसी मामले, किसानों के आंदोलन, महंगाई और कई अन्य मुद्दों को लेकर भारी हंगामे के कारण निर्धारित समय से दो दिन पहले खत्म हो गया। राज्यसभा में कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किये जाने के पहले सदन के नेता एवं केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विपक्ष के आचरण की कड़ी निंदा करते हुए इसकी एक विशेष समिति से जांच कराने एवं उनपर कठोरतम कार्रवाई करने की मांग की। राज्यसभा में आज विपक्षी दलों के सदस्यों के पेगासस मुद्दे पर हंगामे के कारण शून्यकाल नहीं हुआ। सभापति एम वेंकैया नायडू ने प्रश्नकाल स्थगित करके संविधान के 105 वें संशोधन विधेयक पर चर्चा आरंभ करायी। जिसे करीब पांच घंटे की चर्चा के बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार द्वारा जवाब देने के बाद सदन ने इसे मत विभाजन के जरिये पारित कर दिया। इस विधेयक के पक्ष में 187 मत पड़े जबकि विरोध में शून्य। लोकसभा से मंगलवार को पारित इस विधेयक के आज राज्यसभा से भी पारित होने के बाद राज्यों को फिर से अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की सूची बनाने का अधिकार मिलने का रास्ता साफ हो गया। बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश साधारण बीमा कारबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक 2021 तथा आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल द्वारा पेश भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग (संशोधन) विधेयक 2021 तथा होम्योपैथी केन्द्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक 2021 विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे एवं नारेबाजी के बीच संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित किये गये। इस दौरान विपक्ष के विरोध के कारण सदन की कार्यवाही एक बार 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।


राज्यसभा के नेता सदन एवं केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विधेयकों के पारित होने के बाद विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि वह पहले दिन से ही संसद की कार्यवाही को चलने नहीं देना चाहता था और इसकी बाकायदा योजना बनायी गयी थी। सभापति एवं सरकार ने सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने का यथा संभव प्रयास किया लेकिन सदन चलने नहीं दिया गया। विपक्ष पर सदन की गरिमा गिराने का आरोप लगाया और इसकी निंदा की। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने सदन और सभापीठ का अपमान किया। सदन में विरोध के दौरान कोविड प्रोटोकोल का पालन नहीं किया। कोविड मामले, किसानों के आंदोलन और अर्थव्यवस्था पर चर्चा कराने काे लेकर विपक्ष के साथ सहमति बनी थी लेकिन कोविड पर चर्चा हो सकी। श्री गोयल ने सत्र की शुरुआत से लेकर आज तक की घटनाओं का विस्तार से विवरण दिया और कहा कि सदन में मर्यादाहीनता, महासचिव से हाथापायी की कोशिश, कागज फेंकना, सुरक्षाकर्मियाें से दुर्व्यवहार, कांच तोड़ना आदि घटनाओं को इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने इसी क्रम में छह सदस्यों को निलंबित करने की घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि विपक्ष को विरोध करने का पूरा करने का अधिकार है लेकिन उसकी एक सीमा होती है। उन्होंने मांग की कि विपक्षी सदस्यों के आचरण के हर पहलू की एक विशेष समिति से जांच करायी जाये तथा हिंसक श्रेणी की घटनाओं पर कठोर से कठोर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में इसकी एक नजीर बने और कोई देश एवं सदन का अपमान नहीं करे। इस वक्त आसन पर उपसभापति हरिवंश विराजमान थे। श्री गोयल के वक्तव्य के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी।


लोकसभा की कार्यवाही पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होते ही अध्यक्ष ओम बिरला ने अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। इस दौरान श्री बिरला ने विपक्ष के गतिरोध के कारण सदन का कामकाज प्रभावित होने को लेकर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस सत्र में गतिरोध के कारण केवल 17 बैठकें हुईं और केवल 21 घंटे 24 मिनट का कामकाज ही हो सका, जो कुल निर्धारित अवधि का महज 22 फीसदी है। अध्यक्ष ने कहा कि सदस्यों के हंगामे के कारण 74 घंटे 46 मिनट कामकाज बाधित हुआ। उन्होंने इस सत्र में पारित ओबीसी की सूची से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक सहित विभिन्न विधेयकों का भी जिक्र किया। तत्पश्चात अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और ज्यादातर केंद्रीय मंत्री भी मौजूद थे। विपक्ष की दीर्घा में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी भी उपस्थित थीं। संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हुआ था और 13 अगस्त तक चलना था जिसमें कुल 19 बैठकें होनी थीं। सरकार ने इस सत्र में लोकसभा में 23 नये विधेयक पेश करने, छह अध्यादेशों के स्थान पर विधेयक लाने और दो वित्तीय संकल्प पारित कराने की तैयारी की थी। लेकिन लोकसभा में 13 विधेयक पेश किये जा सके जबकि 20 विधयेक पारित किये गये। राज्यसभा में 21 विधेयकों को पारित किया गया। प्रमुख विधेयकों में न्यायाधिकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण एवं सेवाशर्त) विधेयक 2021, दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक 2021, आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन विधेयक 2021, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप संशोधन विधेयक 2021, केन्द्रीय विश्वविद्यालय विधेयक 2021, अंतरदेशीय जलयान विधेयक 2021 शामिल हैं।

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