विशेष : ज्ञान की मशाल से ही संभव है परिवार नियोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 26 सितंबर 2021

विशेष : ज्ञान की मशाल से ही संभव है परिवार नियोजन

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हर साल पूरी दुनिया में 26 सितंबर को विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाया जाता है। हर बार की तरह इस बार भी लोगों को परिवार नियोजन के महत्व को समझाने के लिए जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस मौके पर भारत ही नहीं दुनिया के सभी देशों द्वारा लोगों को गर्भ निरोध के प्रति यौन जागरूकता और युवा पीढ़ी को इसके बारे में सही जानकारी देने के मकसद से कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।  हमारे देश में भी सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का सामूहिक प्रयास अब रंग ला रहा है और लोगों के व्यवहार में काफी बदलाव देखने को मिल मिल रहा है लेकिन अभी भी एक बड़ी आबादी को परिवार नियोजन के बारे में जागरूक करने की ज़रूरत है। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में सी 3 संस्था के माध्यम से पंचायतों लीडरों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है जोकि अपनी ज़िम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं और लोगों को परिवार नियोजन अपनाने के फायदों के बारे में बता रहे हैं। सरपंच, उप सरपंच, वार्ड सदसय और पंचायत के आला अधिकारियों की मेहनत का ही नतीजा है कि लोगों ने परिवार नियोजन को अपनाना शुरू कर दिया है। इस तरह हम कह सकते हैं कि यह समाज कल्याण की दिशा में एक बड़ा कदम है।


एक ऐसी ही कहानी है कहानी बिहार के शेखपुरा ज़िले के बरबीघा प्रखंड की ललीता कुमारी की है। ललीता कुमारी की शादी कम उम्र में हो गई थी और वह केवल 12 वीं तक ही शिक्षा ग्रहण कर पाईं। परिवार नियोजन की जानकारी के अभाव में बच्चे भी जल्दी पैदा हो गए पर जब एक बार उन्हें सी 3 संस्था का साथ मिला और वह जागरूक हुईं तो तब से लेकर आज तक उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। ललिता कुमारी इसी ज़िले के सर्वा पंचायत के वार्ड 3 मिर्ज़ापुर की वार्ड सदस्य हैं। 2016 में उनका वार्ड सदस्य के रूप में सफर शुरू हुआ था जो तमाम उतार चढ़ाव से भरा हुआ था। ललिता कुमारी बताती हैं, " मेरे ख़ुद 4 बच्चे हैं और मैं जानती हूँ कि दो बच्चों के बीच सही  अंतर न होने पर कितनी परेशानियों सामना करना पड़ता है । ललिता कुमारी का मानना है कि यह परेशानी वार्ड में सिर्फ उनकी नहीं है बल्कि गांव की दूसरी महिलाएं भी इस परेशानी का सामना कर रही हैं। मैंने अपनी आंखों से देखा है कि वार्ड की एक गर्भवती महिला जिसने अपने दो बच्चों को सीने से लगा रखा था वह किस तरह चूल्हे पर कढ़ाई में कुछ काम कर रही थी। वहां उसकी मदद के लिए कोई नहीं था और खासतौर से उसका पति भी नहीं। वास्तव में यह दृश्य अपने आप में बहुत खराब था।’’ ललिता कुमारी की बातों से साफ पता चलता है कि परिवार नियोजन के बिना महिलाओं को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और कैसे अब परिवार नियोजन वक़्त की मांग बन चुका है। वैसे ललिता कुमारी बताती हैं कि उन्हें कभी ASHA से कोई सहायता नहीं मिली। हैरानी की बात तो यह है कि पिछले करीब दो साल से उनके वार्ड में कोई ASHA है भी नहीं।


ललिता कुमारी ने अपने वार्ड को जागरूक करने से पहले खुद परिवार नियोजन को अपनाया। कहा जाता है कि किसी भी बड़े बदलाव की शुरुआत पहले खुद से होती है और ललिता कुमारी ने इस कथन को बिल्कुल सही साबित किया। भविष्य में अनचाहे गर्भ से मुक्ति के लिए पिछले 3 साल से वह कॉपर टी का इस्तेमाल कर रही हैं और वह इससे पूरी तरह से संतुष्ट भी हैं। कॉपर-टी का इस्तेमाल महिलाओं में अनचाहे गर्भाधारण को रोकने के लिए किया जाता है जिसकी मदद से महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पातीं। कॉपर-टी की सबसे खास बात यह है कि जब भी महिलाएं गर्भधारण करना चाहती हैं तो इसका इस्तेमाल रोककर आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं। जब ललिता कुमारी ने अपने वार्ड की बाकी महिलाओं को परिवार नियोजन के बारे में बताया, ख़ास तौर पर जब कॉपर टी के बारे में बताया तब सबमें एक अलग सी हिचक थी। ललिता कुमारी ख़ुद बताती हैं कि, " सबके मन में हिचक थी, डर था, तमाम सवाल भी थे पर मैंने इस बात पर ध्यान दिया और सबको भरोसा दिलाया कि अगर किसी को भी कोई डर है या मन में कोई सवाल है तो चिंता ना करें मैं ख़ुद आपके साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाऊंगी ।" ललिता कुमारी अपने वादे पर एकदम खरी उतरीं और अभी तक वह अपने वार्ड में 56 महिलाओं को परिवार नियोजन के साधन से जोड़ चुकी हैं। वार्ड की महिलाओं के मन में जो तमाम डर मौजूद थे ख़ास तौर पर कॉपर-टी से संबंधित, ललिता कुमारी उन सबको ख़त्म करने में सफल रहीं जिससे वार्ड की तमाम महिलाओं की ज़िंदगी पहले से बहुत बेहतर हो गई। ध्यान दें कि ललिता को चार बच्चों की माँ बनने के बाद परिवार नियोजन की जानकारी मिली और उन्होंने इसे अपना भी लिया पर उनका मानना है कि यह समस्या सिर्फ उनकी नहीं है, यह समस्या तकरीबन हर परिवार की है जहाँ लड़कीयों की जल्दी उम्र में शादी करा दी जाती है और फिर बच्चा पैदा करने का दबाव बनाया जाता है। चूंकि ललिता कुमारी ने ख़ुद यह सब देखा है तो अब वो चाहती हैं कि समाज की सोच में बदलाव होना चाहिए और हर इंसान को परिवार नियोजन के बारे में जानकारी होनी चाहिए। ललिता देवी का मानना है कि समाज में ज्ञान की मशाल जलाकर ही परिवार नियोजन के प्रति लोगों को सचेत किया जा सकता है जो ललिता देवी अपने वार्ड में लगातार कर रही हैं।

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