द्विदिवसीय KLF मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल का होगा आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 4 सितंबर 2021

द्विदिवसीय KLF मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल का होगा आयोजन

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नई दिल्ली। देश के प्रतिष्ठित साहित्य संगठन कलिंग  लिटरेरी  फेस्टिवल (KLF) के तत्वाधान में आगामी 11-12 सितम्बर  2021 को  द्विदिवसीय  KLF मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल आयोजित किया जायेगा। इस आयोजन की घोषणा KLF के संस्थापक निदेशक रश्मि रंजन परिदा जी ने दी। रश्मि रंजन ने कहा कि कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल विगत कई वर्षों से अपने आयोजनों में भारतीय भाषा कि समृद्धि हेतु काम किया है। देश एवं देश के बहार से भी विभिन्न भाषाओँ  के लेखकों को इस आयजनों  में सादर आमंत्रित कर  भाषा - साहित्य की परिधि और उसकी समृद्धि को बढ़ाया है, साथ ही विश्व -बंधुत्व कि दिशा में  एक मजबूत प्रयास किया है। इसमें शुरू से ही लेखकों, रंगकर्मियों, कला से संबंधित व्यक्तियों की सहभागिता रही है। यह आयोजन सदैव अपनी सार्थकता सिद्ध करती रही है। KLF  मैथिली  लिटरेरी  फेस्टिवल भी इसी इसी प्रयास का परिणाम है।  रश्मि रंजन ने बताया कि, इस वर्ष यह आयोजन वैश्विक महामारी के कारण वर्चुअल माध्यम से होगा। अगले वर्ष से इसका आयोजन मधुबनी में करने की योजना है।


KLF मैथिली  लिटरेरी फेस्टिवल के संयोजक डॉ कृष्ण मोहन ठाकुर ने कहा कि  मैथिली भाषा साहित्य के इस विराट आयोजन में भारत - नेपाल सहित विश्व के कई देशों में निवास कर रहे  मैथिली  लेखकों की सहमति और सहभागिता से यह आयोजन अपने में एक अनूठा कार्य सिद्ध होगा। इसके लोग भाषा -साहित्य के उन्नयन हेतु सक्रिय होंगे फलतः भारतीय भाषाओं में और अधिक मजबूती आएगी। इस आयोजन में कुल दस साहित्यिक सत्रों में सौ से अधिक संख्या में लेखकों की सहभागिता अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि मैथिली एक समृद्ध भाषा है। वर्तमान में भी इसमें छह पढ़ी के लेखक अपना लेखन कार्य कर रहे हैं। इन लेखकों को एक साथ लेकर एक साहित्य महोत्सव का रूप देना निश्चय ही प्रशंसनीय प्रयास है।

 

कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल के सह - निदेशक आशुतोष कुमार ठाकुर ने कहा कि कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल ने अपने प्रमुख आयोजनों में भारत के क्षेत्रीय भाषाओं को भी स्थान दिया है। हाल ही में कंधमाल लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन सफलतापूर्वक किया है। KLF का हमेशा से धेय्य रहा है कि भारतीय भाषाओँ में क्षेत्रीय भाषाओँ की भी हिस्सेदारी हो और इसमें भी विकास हो। ऐसे साहित्यिक आयोजनों से समाज और देश सहित सभ्यता और संस्कृति को भी बढ़ावा मिलता है। आशुतोष ने कहा कि यह उनका सपना है कि मैथिली भाषा का विराट साहित्य का अनुवाद अन्य भाषाओँ में भी हो, बड़े प्रकाशक इस साहित्य की अंतर्ध्वनि को समझे। आज पुरे विश्व में मैथिली भाषा भाषी लोग रहते हैं,  इसका साहित्यिक बाजार बहुत संभावनाओं से भरा है। समाज में  गुणात्मक विकास का एक समर्थ माध्यम है साहित्यिक सांस्कृतिक आयोजन। मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल से इस साहित्य से इस साहित्यिक समाज सामाजिक सौहार्द को शक्ति मिलेगी और मैथिली भाषा साहित्य के लेखक और साहित्य प्रेमियों को और भी उत्साह मिलेगा। 

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