पटना 28 सितंबर, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि नीतीश कुमार और जदयू के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का सवाल पाॅलिटिकल स्टंटबाजी से ज्यादा कभी कुछ नहीं रहा. आज जदयू के लोग कह रहे हैं कि विशेष राज्य का दर्जा मांगते-मांगते वे थक चुके हैं, इसलिए अब वे आर्थिक पैकेज से ही काम चला लेंगे. इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि विगत 16 वर्षों से बिहार में लगभग भाजपा-जदयू की ही सरकार है. जब बिहार का बंटवारा हो रहा था उस वक्त केंद्र में भाजपा की ही सरकार थी और अभी विगत 7 वर्षों से केंद्र में भाजपा की ही सरकार है. भाजपा-जदयू के लोग बिहार में ‘डबल इंजन’ सरकार की दुहाइयां देते नहीं अघाते, फिर इसका जवाब भाजपा-जदयू को ही देना होगा कि आज तक बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं मिला? एक बात तो पूरी तरह साफ है कि भाजपा बिहार के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रही है. न केवल वह विशेष राज्य के दर्जे के सवाल पर हमेशा चुप रही बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव 2015 के ठीक पहले प्रधानमंत्री ने बिहार के लिए जिस राशि की बढ़-चढ़कर घोषणा की थी, वह भी आज तक नहीं मिली. भाजपा सरकार ने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय तक नहीं बनने दिया. यदि जदयू इस मुद्दे के प्रति सचमुच गंभीर होती, तो आज तक वह भाजपा के साथ गलबहियां न करती. नीति आयोग की रिपोर्ट, जिसमें बिहार को विभिन्न विकास मानकों पर 28 वें नंबर पर रखा गया है, ने बिहार की असिलयत सामने ला दी है. इसके लिए पूरी तरह भाजपा-जदयू की सरकार ही दोषी है. विकास-विकास की रट लगाने वाली सरकार आज देश में खिसकर 28 वें नंबर पर पहुंच गई है, इससे शर्मनाक और क्या हो सकता है?
मंगलवार, 28 सितंबर 2021
बिहार : विशेष राज्य दर्जा देने का सवाल नीतीश के लिए महज पाॅलिटिकल स्टंट : माले
Tags
# बिहार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
बिहार
Labels:
बिहार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें