हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक प्रो० मैनेजर पांडेय ने किया पारमिता शतपथी की पुस्तकों का लोकार्पण
- · ओड़िआ की प्रख्यात लेखिका पारमिता शतपथी की हिंदी में अनूदित तीन पुस्तकों का लोकार्पण
- · हिंदी में अभी अनुवाद को जितनी प्रतिष्ठा मिलनी चाहिए उतनी मिली नहीं है: प्रो० मैंनेजर पांडेय
- · 'प्राप्ति' कहानी संग्रह के लिए पारमिता शतपथी को वर्ष 2016 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था
- · 'अभिप्रेत काल' को ओडिशा के सर्वोच्च शारला सम्मान से 2021 से अलंकृत किया गया है।
नई दिल्ली: ओड़िआ की प्रख्यात लेखिका पारमिता शतपथी की हिंदी में अनूदित तीन पुस्तकों का लोकार्पण और चर्चा का कार्यक्रम 01 अक्तूबर, 2021 को साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के सभागार में संपन्न हुआ। उपन्यास 'अभिप्रेत काल', कहानी-संग्रह 'प्राप्ति' और कविता-संग्रह 'तुम और शब्द' का लोकार्पण हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक प्रो० मैंनेजर पांडेय के कर-कमलों से हुआ। लोकार्पण से पहले पारमिता शतपथी ने फूल के गुलदस्ते से प्रो० मैंनेजर पांडेय का स्वागत किया. अपने वक्तव्य में डॉ० पांडेय ने कहा, “पारमिता शतपथी जी और उनका साहित्य दोनों ही उनके बहुत पुराने परिचित हैं; और वह पहली लेखिका हैं उनकी जानकारी में जो दो भाषाओँ में लिखती हैं: ओड़िया और अंग्रेज़ी.” ओड़िया के लेखों पर उन्होंने कहा की, "ज्ञान और संवेदना दोनों ही एक साथ जहाँ होती है वहीँ अच्छा साहित्य पैदा होता है. ओड़िया के सारे लेखक ज्ञान और संवेदना के लेखक हैं." आगे पुस्तकों के ओड़िया से हिंदी के अनुवाद पर उन्होंने कहा की, “अनुवादक डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्रा ने यह साबित कर दिया है की अनुवाद भी एक महान काम है. हिंदी में अभी अनुवाद को जितनी प्रतिष्ठा मिलनी चाहिए उतनी मिली नहीं है. लोग यह नहीं जानते हैं की अनुवाद कई बार मौलिक लेखन से ज़्यादे कठिन काम होता है. डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्रा ने अपने प्रतन्य से ओड़िया साहित्य को हिंदी साहित्य का हिस्सा बना लिया है.” इसके बाद तीनो किताबों पर चर्चा हुई। कहानी-संग्रह: प्राप्ति (जिसे साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त हुआ है) पर चर्चा की आलोचक व साहित्यकार डॉ चंद्रकला सिंह ने; कविता-संग्रह: तुम और शब्द पर चर्चा की प्रसिद्ध आलोचक व दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राध्यापक रेखा सेठी ने; और उपन्यास: अभिप्रेत काल (जिसे शारला सम्मान ओड़िशा प्राप्त है) पर चर्चा की दलित साहित्य से जुड़े विशिष्ट साहित्यकार डॉ. जयप्रकाश कर्दम ने.
आगे चलकर लेखिका पारमिता शतपथी ने साहित्य के प्रति अपने समर्पित भाव के बारे में विचार रखे और अपनी दो कविताएँ भी पढ़कर सुनाईं। उनहोंने कहा, “शब्दों और भावनाओं के साथ अपनी लंबी यात्रा में वह अक्सर मानव जीवन, उनके उत्साह और दर्द, उनके विश्वासों, उनकी हार और जीत आदि का एक अद्भुत कैनवास पाकर हैरान रह जाती है।” इसके बाद प्रलेक प्रकाशन समूह के अनुवादक डॉ. राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने ओड़िआ से हिंदी अनुवाद के संबंध में अपने अनुभव सुनाए. लोकपर्ण में उपस्थित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवयित्री अनामिका तथा उपन्यासकार गीतांजलि श्री ने पारमिता के स्त्री लेखन और कविताओं की प्रशंसा की और उन्हें बधाई दी। इस अवसर पर डॉ० अनामिका, श्री ज्ञानेशवर मुले, डॉ. आशीष कुँधवे, श्री नारायण कुमार, डॉ० रणजीत साहा, श्री हरिसुमन बिष्ट, श्री कुमार अनुपम, श्री ब्रजेंद्र त्रिपाठी, डॉ. ओम प्रकाश सिंह, श्री राम गोपाल शर्मा, सुश्री गीतांजलि श्री, श्री महेश दर्पण. श्री विनोद कुमार अग्रवाल के अलावा हिंदी के अनेक साहित्यकार उपस्थित थे. पारमिता के हिंदी उपन्यास 'अभिप्रेत काल' का हिंदी अनुवाद किया है जाने-माने साहित्यकार डॉ. अजय कुमार पटनायक ने और इसे प्रकाशित किया है मुंबई के प्रलेक प्रकाशन ने. कहानी-संग्रह 'प्राप्ति' और कविता-संग्रह 'तुम और शब्द' का अनुवाद डॉ० राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने किया है। 'प्राप्ति' का प्रकाशन साहित्य अकादेमी और कविता-संग्रह 'तुम और शब्द' का प्रकाशन आलोकपर्व प्रकाशन द्वारा किया गया है। उल्लेखनीय है कि 'प्राप्ति' कहानी संग्रह के लिए पारमिता शतपथी को वर्ष 2016 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । उपन्यास 'अभिप्रेत काल' को ओडिशा के सर्वोच्च ‘शारला सम्मान से 2021 से अलंकृत किया गया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें