- सड़कों को अनिश्चितकाल तक बंद नहीं कर सकते
नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर, उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को एक बार फिर स्पष्ट किया कि किसानों को धरना-प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन इसके कारण सड़कों को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की खंडपीठ ने आंदोलनकारियों को सड़कों से हटाने की मांग करने वाली एक याचिका की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की। याचिका उत्तर प्रदेश की नोएडा की निवासी मोनिका अग्रवाल ने दायर की थी। उन्होंने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा एवं अन्य किसान संगठनों पर सड़कों को अवरुद्ध करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार इस मामले में अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रही है। शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद किसान संगठनों से तीन सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा। इस मामले की अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी। खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें सड़क जाम से परेशानी है। इस प्रकार धरना प्रदर्शन कर सड़कों को अनंत काल के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता और सड़कों पर यातायात जाम की समस्या नहीं होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान किसानों का पक्ष रख रहे दुष्यंत दवे से पूछा कि क्या उन्हें (आंदोलनकारी किसानों) सड़कों को बंद करने का अधिकार है? इस पर श्री दवे ने कहा कि यातायात प्रबंधन का काम पुलिस अच्छे तरीके से कर सकती है। यदि वह ऐसा नहीं कर पा रही है तो हमें दिल्ली के जंतर-मंतर या रामलीला मैदान में धरना-प्रदर्शन करने की इजाजत दी जाए। उनकी इस मांग का सरकार ने विरोध किया। सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किसानों की मांग का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान में धरना-प्रदर्शन की इजाजत दी गई, तो कुछ लोग यहां घर बना सकते हैं। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों के प्रदर्शन के दौरान भारी हिंसा हुई थी। प्रदर्शन से पहले किसान संगठनों ने सरकार को आश्वासन दिया था कि आंदोलन के दौरान किसी प्रकार की हिंसा नहीं होगी, लेकिन उन्होंने उस पर अमल नहीं किया। गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा करीब 40 से अधिक किसान संगठनों का एक मोर्चा है। इस मोर्चे के तहत किसान पिछले कई महीनों से राजधानी दिल्ली की सीमाओं समेत देश के कई हिस्सों में लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले साल नवंबर में पंजाब एवं हरियाणा से शुरू हुआ आंदोलन लगातार चल रहा है।
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